3 फरवरी 2022.......गुरुवार.....
समय सुबह के 5:30 बजे........ मेरे घर का सबसे प्यारा हिस्सा बालकनी.... यहाँ आतें ही एक अजीब सा सुकून मिलता हैं...। ठंडी ठंडी हवा जैसे कानों में आकर कुछ कह रहीं हो...। पक्षियों की मधुर आवाज जैसे कोई गीत सुना रहे हो....। पेड़ के पतों की सरसराहट.... जैसे कोई धुन बजा रहे हो...। ये खुबसूरत नजारे.... ये प्रकृति जैसे सुबह सुबह मुझे गले से लगा रही हो....।
हर रोज उठते ही मैं कुछ पल यहाँ खड़े होकर.... सुबह का स्वागत करतीं हूँ.... इन नजारों को.... इन पलों को अपने आगोश में समा लेती हूँ...। बेहद सुकून और शांति होतीं हैं इस वक्त...।
मैं जिस जगह रहतीं हूँ वहाँ सभी देर से उठने के आदी हैं....। सवेरे आठ बजे सूरज दादा भी अपनी रोशनी बिखेरने आ जातें हैं पर हमारे पड़ोस में अभी भी बहुत लोग अपने बिस्तर में होतें हैं...। मुझे बचपन से ही जल्द उठने की आदत हैं...। बिना अलार्म के भी पांच बजे आंख खुल ही जाती हैं....।
कभी कभी सोचती हूँ.... आज हमारे पास सुख सुविधा की हर वस्तु हैं.... मोबाइल है.... टीवी हैं..... लेपटॉप..... कम्प्यूटर.... सब कुछ तो हैं....। लेकिन फिर भी क्या हमारे पास वो सुकून..... वो शांति हैं...?
आज हम सभी भौतिक सुविधाओं के लिए प्रकृति से बहुत दूर होते जा रहे हैं...। कभी बैठ कर देखिए प्रकृति की गोद में एक अलग ही खुशी मिलतीं हैं...।
कभी महसूस करके देखिए सुबह को बिखरी हुई शांति में छुपे संगीत को.....।
कभी सुनकर देखिए सवेरे पांच बजे होने वाली अजान और मंदिरों में बजते हुवे भजन का आपसी मिलाप.....।
मैं हर रोज़ महसूस करतीं हूँ.... सुनती हूँ.... कुदरत के इस दिल से दिए हुए तोहफे का आनंद लेतीं हूँ....
उसके बाद शुरुआत करतीं हूँ अपने दैनिक कार्य की....।
एक नए अहसास के साथ आपसे फिर मिलने आऊंगी.....
जय श्री राम......।