20 मार्च....
रविवार...
विश्व गौरैया दिवस.....
एक समय था जब हम छोटे थे... हर छत पर... हर मुंडेर पर गौरैया का घोंसला होता ही था...। लेकिन आज ये छोटा सा पक्षी विलुप्त होने की कगार पर हैं..। साल 2010 से हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता हैं... सिर्फ इसलिए की लोग इस तरफ़ थोड़े जागरूक हो और इस नन्हें से पक्षी को विलुप्त होने से बचाएं...।
हमें कुछ ज्यादा नहीं करना हैं बस ....
घरों में एक स्थान ऐसा बनाए जहाँ गौरैया अपना घोंसला बना सकें... कोई झरोखा या मुंडेर...।
घर की छतों पर अनाज के दाने डालें.... मिट्टी के बर्तनों में पानी भरकर रखें...।
आंगन और छतों पर पौधें लगाएं...।
हमारी एक छोटी सी पहल से इस पक्षी की प्रजाति फिर से चहक सकतीं हैं...।
अब मेरी डियर डायरी सोचेगी मैं आज गौरैया के बारे में इतना ज्ञान क्यूँ दे रहीं हूँ...?
उसकी वजह सिर्फ इतनी सी हैं की मुझे गौरैया बहुत पसंद हैं... और आज उसके विलुप्त होने में हमारा बहुत बड़ा हाथ हैं...। मोबाइल टावर के रेडिएशन से और बढ़ते प्रदुषण से सबसे ज्यादा खतरा इस पक्षी को ही हुआ हैं..और फिर सुबह सुबह इस पक्षी के चहकने से मेरी कितनी ही सुबह महकी हैं...। एक छोटा सा पक्षी कितना कुछ सिखाता हैं हमें..। आज उस नन्ही गौरैया के नाम चंद पंक्तियाँ...
इक इक तिनका जोड़ कर चिड़िया....
अपना घर बनातीं हैं....।
धूप, हवा, बारिश से....
अपना परिवार बचाती हैं...।
मेहनत से तुम ना घबराना...
हम सब को सिखलाती हैं...।
छोटे छोटे कदमों से यह....
मीलों तय कर जातीं हैं...।
हर दम बढ़ते रहना तुम...
सीख ये दे जातीं हैं....।
इक इक तिनका जोड़ कर चिड़िया....
अपना घर बनातीं हैं....।।
एक छोटी सी पहल...
एक नई शुरुआत...
कुछ हम भी करें...
उसके लिए...
बस ये ही आस..।
जय श्री राम...।