23 मार्च.....
बुधवार.....
23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं..। शहीद दिवस.... शहीद भगत सिंह के त्याग और बलिदान के लिए स्मरण किया जाता हैं...।
भगत सिंह.... भारत का बच्चा बच्चा इस नाम को जानता होगा..। लेकिन आज भी बहुत कम लोग इस नाम की पूरी सच्चाई जानते होंगे...। कभी कभी बहुत सी ऐसी बातें और चीज़ें हमारे सामने होतीं हैं जो हम चाहते हैं सभी को पता चले.... सच और झूठ का फर्क सामने आए..... लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते... कुछ राजनीतिक पचड़े ऐसे होते हैं.... जिनसे दूर रहना ही हमारे परिवार के लिए बेहतर विकल्प हैं...। मैंने शहीद भगत सिंह के बारे में बहुत कुछ पढ़ा हैं....। नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह..... इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों को मैनें बहुत करीब से पढ़ा हैं.... इनके बारे में बहुत कुछ जाना हैं...। खैर मैं इन सब पर कुछ ना ही बोलूं तो बेहतर हैं.... लेकिन आज शहीद दिवस पर भगत सिंह की चंद पंक्तियाँ लिख रहीं हूँ....।
सीने में जूनून...आंखों में चमक रखता हूँ..
दूश्मन की सांसें थम जाए.... आवाज में वो धमक रखता हूँ...।
लिख रहा हूँ मैं अंजाम... जिसका कल आगाज़ आएगा.....
मेरे लहू का हर इक कटरा.... इंकलाब लाएगा....।
मैं रहूँ ना रहूँ.. ये वादा हैं मेरा तुझसे...
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा...।।
शहीद दिवस पर नमन हैं ऐसे सभी सेनानियों को जिन्होंने अपने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहूति हंसते हंसते दे दी.....।
अब बात करते हैं कल महिला टीम के हुए मैच की.... भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने बांग्लादेश को बड़े अंतर से हराते हुए.... लगभग सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली हैं....।
एक और बात जो मैं अपनी डियर डायरी को बताना चाहती हूँ की कल मेरी जो ख्वाहिश थी.... द कश्मीर फाइल्स देखने की वो पूरी हो गई....। अरे नहीं.... थियेटर में नहीं गई.....। अब इतने अच्छे दिन भी नहीं आए हैं की पतिदेव थिएटर में ले जाएंगे मना करने के बाद...। उनकी तरफ़ से एक बार मना हो गई मतलब हां की उम्मीद रखना बेवकूफी हैं...। दरअसल मेरी बड़ी बेटी ने मोबाइल से अपलोड करके मुझे दिखाई.... अपने किसी सहपाठी से लेकर....।
हां ...मोबाइल में थिएटर जैसा मज़ा तो नहीं आता हैं पर वजह सिर्फ फिल्म देखना थी....।
सच बताएं तो मैं बहुत ज्यादा इमोशनल हैं.... हम कभी भी कोई भी ऐसा सीन देखते हैं तो आंखों से पानी गंगा जमुना की तरह बहनें लगता हैं.... ये फिल्म देखते हुए भी ऐसा ही हुआ...।
आज भी हमारे देश के इतिहास से जूड़े ऐसे बहुत से पन्ने हैं जिसपर आज भी किसी की नज़र नहीं गई हैं...। कुछ इतिहास तो हमारी ही कौम से जूड़ा हुआ भी हैं.... जिसके बारे में हम भी हमारे पूर्वजों से सिर्फ सुनते आ रहें हैं.... कोई तथ्य और सबूत नहीं हैं....। लेकिन बात फिर वहीं आ जाती हैं.... खामोशी..... ।
खामोश रहने में ही शायद हमारा और हमारे परिवार का भला होगा...।
अभी चलतीं हूँ.... कुछ अनैतिक और गलत लगा हो तो क्षमा करें....।
जय श्री राम....।