6 फरवरी 2022
रविवार....
आज की सुबह बेहद थकावट भरी हुई हैं.... कल देर रात तक पड़ोस में एक बेटी की शादी के कार्यक्रम में गए हुए थे। पहले जाने का कोई प्लान नहीं था.... क्योंकि इस घर में हम अभी कुछ महीने पहले ही शिफ्ट हुए हैं और ठीक से किसी को जानते भी नहीं हैं... लेकिन पड़ोसी दो बार घर आकर बोलकर गए तो ऐसे में फिर ना जाना सही भी नहीं लगता हैं....। पतिदेव की गैरमौजूदगी में दोनों बेटियों के साथ जाने का प्रोग्राम बनाया...। जाने के बाद तो अपने स्वभाव वश हम पूरा इंजाय करते हैं.... और फिर रोज़ रोज़ कहा किसी से मिलना होता हैं....। सबसे बातें करने.... मिलने मिलाने.... खाना खाने में वक़्त कब निकल गया पता ही नहीं चला...। घर आतें आतें रात के बारह बजे गए थे.... उसके बाद भी बच्चों के साथ बातों में समय ऐसे ही निकल गया...।
देर रात एक बजे के बाद सोने के बाद सवेरे पांच बजे उठना थोड़ा थका देता हैं...।
लेकिन समाज में रहना और निभाना भी जरूरी होता हैं..।
गम हो या खुशी समाज के साथ.... पड़ोसियों के साथ हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर रहना चाहिए...।
कल का पुरा दिन व्यस्त रहा.... पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के लिए एक बेहद ही विचारणीय मुद्दे पर एक कहानी लिख रहीं हूँ....। पहला भाग तो लिखा हैं लेकिन थोड़ा सोच में भी हूँ...क्योंकि दिल कह रहा हैं कुछ बुद्धिजीवी लोग शायद विरोध करेंगे..।लेकिन फिर भी मैं लिखूंगी...।उम्मीद करतीं हूँ आपको भी पसंद आए.... ।
पर हाँ एक बात तो तय हैं की.....आज मेरी सारी थकान खुद ब खुद घुम हो जाएगी.... अब आप सोचेंगे कैसे.... आज से भारत और वेस्टइंडीज के बीच क्रिकेट प्रतियोगिता का आंरभ हो रहा हैं... ।
क्रिकेट की बचपन से फैन हूँ..... ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि हर तरह के बाहर खेले जाने वाले खेल बहुत पसंद हैं.... जैसे कब्बडी....बैडमिंटन....टेनिस ......। कब्बडी के भी सभी मैच हर रोज़ देखती हूँ....(Pro kabbhdi) । हाँ पर क्रिकेट से कुछ ज्यादा लगाव हैं क्योंकि एक समय पर मैं भी अंडर 16 स्टेट लेवल पर क्रिकेट खेल चुकी हूँ.... मुझे इसी फिल्ड में आगे भी बढ़ना था पर पारिवारिक परेशानियों की वजह से क्रिकेट छोड़ना पड़ा....। लेकिन जूनून आज भी वैसा ही हैं....। आज भी अगर कोई खेलने को बोले तो अपनी उम्र को भी कुछ देर के लिए साईड में रख दुंगी... ।
क्रिकेट को लेकर मेरे जीवन में बहुत से अविस्मरणीय पल जूड़े हुए हैं....। आज भी याद आतें हैं तो पलकें भीग जाती हैं...। पर जिंदगी रुक कर मातम मनाने का नहीं बल्कि लड़कर आगे बढ़ने का नाम हैं...। लड़ना मतलब लोगो से नहीं........ अपनी तकलीफों..... अपनी परेशानियों.... अपनी मजबूरियों से लड़ना...। लड़िये और आगे बढ़िये...।
अभी के लिए इतना ही कल फिर मिलुंगी कुछ रोचक बातों के साथ....।
जय श्री राम.....।