19 फरवरी
शनिवार...
ना जाने क्यूँ जिंदगी से उलझनें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं....।
हर दिन एक नई परेशानी.... एक नई टेंशन....आ जाती हैं....।
जानते हैं सब की जिंदगी में ऐसा होता होगा पर मेरे साथ उलझनें भी ऐसी आतीं हैं जिसका समाधान खोजना भी बहुत मुश्किल हो गया हैं... । कभी कभी तो दिमाग काम करना बंद कर देता हैं की करें तो क्या करें..।
कभी कभी सोचते हैं ऐसे रिश्तों से जो सिर्फ तकलीफ और परेशानी देते हैं... इससे तो ना होतें वो ज्यादा बेहतर होता...।
बातें तो बहुत सी हैं जो दिल में दबी हुई हैं जो तकलीफ देतीं हैं.... मगर कुछ बातें बहुत दर्द देतीं हैं...।
मेरे एक बड़ेभाई.... एक बड़ी बहन....और दो छोटे भाई हैं....। मम्मी पापा दोनों नहीं हैं...। पापा तो अभी कुछ महीने पहले ही साथ छोड़ गए...। मम्मी को चार साल हो गए....।
मेरे दूसरे नम्बर के भाई जो मुझसे छोटे हैं.... वो भाभी के साथ दिल्ली में रहते हैं...। जहाँ अभी कुछ दिन पहले ही मैं गई थी उनके बेटे के नामकरण पर..।
बात हैं पिछले साल रक्षाबंधन की....। मैं आनलाईन रिसेलर का काम करतीं हूँ.... हर तरह का प्रोडक्ट....। त्यौहार और जरुरतों के हिसाब से मेरे पास चीज़ें आतीं हैं.... सेल करने के लिए...।
पिछले साल रक्षाबंधन पर नाम वालीं राखी और हाथ में पहनने वाली मंगलसूत्र राखी बहुत प्रचलित थीं...। मैने अपने तीनों भाईयों के लिए नाम वालीं राखी और दोनों भाभी यों के लिए मंगलसूत्र वालीं राखी आर्डर की...।
दिल्ली वाले भाई से पता मांगा क्योंकि उसने मकान बदला तो मेरे पास पता था नहीं...। पहले तो पता देने में ही बहुत वक्त लगा दिया... उसके बाद जब मिला तो गलत...। कुरियर वाला वापस देकर गया... भाई से फिर सही पता मांगा... फिर पता मिला .... फिर दूसरे कुरियर से भेजा पर फिर रिटर्न....। जब तीसरी बार फिर फोन किया तो भाई बोले:- तेरी राखी तेरे पास ही रख..... 100 रुपये की राखी के लिए दिमाग खराब कर दिया हैं.... वैसे भी मैं कौनसी बंधवाता हूँ राखी... पड़ीं रहतीं हैं कोने में...कोई जरूरत नहीं हैं भेजने की....। दूनिया भर के पार्सल आतें हैं तेरी ही राखी नहीं आ रहीं.... भेजीं भी हैं या ऐसे ही पागल बना रहीं हैं...।
मुझे ये सुनकर बहुत तकलीफ हुई.... मैने कुछ नहीं बोला फोन पर... कुरियर वाले से जो रिटर्न लिफाफा आया था उसका फोटो निकाल कर भेजा... और मैसेज किया..... आइ एम सॉरी..... तुझे परेशान किया...।
भाई ने कोई रिप्लाई नहीं किया और उस दिन से फोन और मैसेज ही बंद कर दिए....।
लेकिन कुछ महीनों बाद जरुरत पड़ने पर फिर से बातचीत चालू हो गई....। वो शायद ये सब भूल भी गया होगा लेकिन मैने अभी भी वो राखियाँ संभाल कर रखी हुई हैं....।
पता नहीं क्यूँ ऐसा बहुत बार हुआ हैं मेरे साथ.... मैनें हर रिश्ते को अपना शतप्रतिशत दिया हैं लेकिन सामने से 10 प्रतिशत भी नहीं मिला हैं...।
फिर चाहे वो मायका हो या ससुराल....।
चिड़िया होतीं हैं बेटियां...
पंख नहीं होतें इनके...
मायके भी होतें हैं....
ससुराल भी होतें हैं....
घर नहीं होतें इनके...
मायका कहता हैं... तु पराये घर की बेटी हैं...
ससुराल कहता हैं.... तु पराये घर से आई हैं...
अब तु ही बता ए खुदा... बेटियां किस घर के लिए बनाई हैं...!!
जय श्री राम.....।