23 फरवरी....
बुधवार.....
दोनों बेटियों के स्कूल खुल गए.... घर में सन्नाटा छा पसर गया हैं....। जब घर में थीं तब हम ही बार बार उनकी शैतानियों से तंग आकर कहते थे.... ना जाने कब ये स्कूल खुलेंगे और घर में शांति होगी....।
अब उनके स्कूल चले जाने पर घर जैसे विरान सा हो गया है....। उनके वापस आने का इंतजार करते हैं...। सच ही हैं बच्चों से ही घर में रौनक होती हैं...। बेटे हो या बेटियां... इससे कोई फर्क नहीं पड़ता....।
लेकिन आज भी बहुत लोगों को इससे फर्क पड़ता हैं... ना जाने कब लोगों की सोच बदलेगी.... ना जाने कब ये फर्क मिटेगा....।
लेकिन बदलाव तो आया हैं.... आज बेटियों की हालत पहले से तो बहुत बेहतर हो रहीं हैं..... शुरुआत हुई हैं तो अंजाम भी जरूर मिलेगा.... लेकिन बेटियों को भी इस आजादी और बदलाव का मान रखना चाहिए...। बदलाव का सही इस्तेमाल करना और उसे आगे बढ़ाना ये हमें ही करना हैं....।
क्योंकि चाहे समाज कितना भी बदल जाए..... मान ,मर्यादा, इज्जत की जिम्मेदारी तो आज भी हम औरतों के हिस्से ही आतीं हैं....।
हमें हमारी जिम्मेदारी और इस बदलाव में सामंजस्य बनाकर चलना हैं.... ताकि आने वाली पीढ़ी को ओर बेहतर मिल सकें...।