4 फरवरी 2022
शुक्रवार....
समय सवेरे छह: बजे....
आज की सुबह एक नई उम्मीद लेकर उठे....। पारिवारिक समस्याओं के कारण पिछली कुछ रातें सुकून से नहीं बिती हैं..... लेकिन सुबह मैं एकदम खुशनुमा मूड से उठती हूँ.... हर दिन एक नई उम्मीद और उत्साह के साथ...।
मेरे इस उत्साह को और ज्यादा बढ़ावा मिलता हैं जब ईश्वर और अल्लाह का संगम होता हैं...। हर सवेरे सबसे पहले मेरे कानों में एक भजन सुनाई देता हैं.... हांलाकि आवाज बहुत कम होता हैं , लेकिन सुबह के सन्नाटे में साफ साफ़ सुनाई देता हैं....।
मानों तो मैं गंगा माँ हूँ......
ना मानो तो बहता पानी.....
कुछ ही पंक्तियाँ सुनाई देती हैं.... लेकिन यह भजन हर रोज़ मेरे भीतर एक नई ऊर्जा जरूर देता हैं....।
सच ही तो हैं लोग गंगा पर, भगवान पर भी सवाल उठाते हैं..... तो फिर हम तो साधारण से इंसान हैं.... अगर हम पर गलत आरोप लग जाये तो इसमें कौन सी बड़ी बात हैं....।
हमें इमानदारी और सच से अपने कर्म करने चाहिए... आगे संभालने वाला , साथ देने वाला वो बैठा हैं ऊपरवाला...।
मैं बहुत विश्वास करतीं हूँ.... और मेरा विश्वास हमेशा रंग लाया हैं...। जब कभी कोई परेशानी, कोई मुसीबत आती हैं.... मैं उनके समक्ष हाथ जोड़कर अपनी बात रख देतीं हूँ..... मुझे कोई ना कोई उपाय जरूर मिलता हैं...।
जब भी मेरे भीतर किसी काम को करने या ना करने के सवाल आतें हैं.... जब तुरंत निर्णय लेना आसान नहीं होता.... तब मैं एक तरीका अपनाती हूँ...। सिक्का उछालना....।
हां बहुत बार मेरे परिवार वाले इस बात पर मेरा मजाक बनाते हैं पर मैं आज भी इसे जरुरत के वक्त इस्तेमाल करतीं हूँ..... और आप यकीन नहीं करेंगे.... हर बार जब जब मैं सिक्के के अनुसार चलीं हूँ.... मुझे कभी निराशा नहीं मिली...।
सिक्का लेतीं हूँ.... हां या ना का विकल्प चुनती हूँ.... सिक्के को जय श्रीराम का नाम लेकर हवा में उछालती हूँ.... और सिक्के के गिरने पर जो भी विकल्प आता हैं.... वही करतीं हूँ.... फिर चाहे दिल और दिमाग साथ दे या ना दे...। इसे ऊपरवाले का आदेश समझकर अपनाती हूँ....।
हां थोड़ा बचकाना और पागलपन हैं की जिंदगी के इतने कठिन फैसले हम सिर्फ एक सिक्के से कैसे कर सकते हैं.... लेकिन ये मेरा विश्वास हैं.... और मेरा तरीका हैं उस परमात्मा से जुड़ने का...।
ये विश्वास ही तो हैं जो हम मंदिर में रखी पत्थर की मुर्ति को भी पुजते हैं...। उसमें भगवान का अंश मानते हैं... । विश्वास सबसे बड़ी चीज हैं...।
फिर मिलुंगी आपसे एक नए विश्वास के साथ.....।
जय श्री राम....।