13 मार्च.....
रविवार.....।
सबसे पहले बात करते हैं महिला क्रिकेट टीम की..... न्युजीलैंड से पिछला मैच हारने के बाद.... कल वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और प्रतिद्वंद्वी को बहुत बड़े अंतर से शिक्स्त दी...। स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर के शतकों की बदौलत भारत ने विशाल स्कोर बनाया.....। सच में दोनों की बल्लेबाजी प्रशंसनीय थी....। उसके बाद स्नेह राणा की जबरदस्त गेंदबाजी ने सामने वाली टीम को ध्वस्त कर दिया...। इस बड़े अंतर की जीत से भारतीय टीम अब पहले स्थान पर पंहुच गई हैं...। उम्मीद हैं इस बार विश्वकप हमारे देश ही आएगा...। भारतीय महिला टीम को ढेर सारी शुभकामनाएं...।
अब बात करते हैं मेरी.... कल मेरी जिंदगी में ना जाने किसकी दुआओं का असर हुआ की जो सोचा भी नहीं था.... वो हुआ....। कल देर रात अपनी बड़ी बेटी के साथ सोसाइटी में वॉक करने गई थी...। हम दोनों हर रोज़ रात को जातें हैं...। छोटी बेटी सो जातीं हैं और पतिदेव अपने मोबाइल में खोए होतें हैं...। हम रोज़ की तरह कल भी गए....। कल हमें थोड़ी देर हो गई थी...। हम अपनी ही मस्ती में बातें करते हुए सोसाइटी के दरवाजे तक आ गए थे...। वहाँ से हम वापस मुड़कर आ ही रहे थे की एक बाईक सवार हमारे पास आकर रुका...। देर रात थी और थोड़ा अंधेरा भी था तो ठीक से शक्ल दिख नही रहीं थी...। लेकिन सोसाइटी में इस तरह बिना जान पहचान के आने पर बंदिश हैं तो हमें लगा कोई पहचान वाला होगा...। उसने हमारे पास में आकर अपनी बाईक रोकी और बाईक से उतरकर मेरे पैर छुएं...। फिर बोला :- कैसी हो छोटी माँ.... आशीर्वाद तो दो...।
मैनें उसे उठाकर गौ़र से देखा वो मेरा बेटा था.... जिससे ना जाने कबसे देखने को दिल कर रहा था...। मैं कुछ पल के लिए तो जैसे बुत बन गई थीं...। मैनें प्यार से उसके सिर पर हाथ रखा और खुश रहने का आशीर्वाद दिया...। फिर उसने बचपन की तरह मेरी बेटी की चोटी खिंचते हुए कहा... तेरी चोटी तो तेरी तरह मोटी होती जा रहीं हैं...।
कुछ पल वहीं रुक कर हमने बातें की पर सोसाइटी में इस तरह आना सही नहीं था तो वो वहीं से चला गया...वो हम तीनों के लिए ( दो बेटियां और मैं) चाकलेट लेकर आया था...। मैं अक्सर अपने मोबाइल के कवर में कुछ पैसे रखतीं हूँ... मैनें वहाँ से पैसे निकाल कर उसे जन्मदिन का तोहफा समझकर रखने को दिए....।
वो दो मिनट का मिलना और बात करना मेरे लिए बहुत मायने रखता हैं...। हाँ जानती हूँ अगर ससुराल में किसी को इस बात का पता चला तो मेरी शामत आ सकती हैं...। लेकिन इतना बड़ा पल अपनी डियर डायरी से ना कहूँ ये तो हो ही नहीं सकता....। यहाँ कहने का एक कारण ये भी हैं क्योंकि मेरे ससुराल में या मुझसे जुड़ा कोई भी रिश्तेदार (सिवाय एक दूर की बहन के) पढ़ने में रुचि नहीं रखता हैं..। आज तक किसी ने भी शायद ही मेरी कोई कहानी या लेख पढ़ा हो...। हाँ..... रोका और टोका बहुत बार हैं...। बंदिशे लगाई गई हैं...। मज़ाक बनाया गया हैं...।
लेकिन वो कहते हैं ना जिंदगी जीने का मज़ा तभी आता हैं जब राह में कांटे बिछे हो...और मंजिल मिलतीं भी उन्ही को हैं जो इन कांटों को पार कर जाता हो...। तो बस मेरी कोशिश भी जारी रहेगी... कभी तो मंजिल मिलेगी....।
आप सभी का दिल से शुक्रिया जिनकी दुआओं की वजह से बेटे से मिलना हुआ...।
जय श्री राम....। मेरे बनाए कुछ पेन्सिल स्केच....... ☺