5 - फरवरी - 2022
शनिवार......
आज की सुबह एक अलग ही उमंग के साथ हुई.... कल शाम को पता चला की मेरी पहली किताब पेपरबैक में भी उपलब्ध हो चुकी हैं...। एक अलग ही उत्साह और खुशी मिलीं इस खबर से...। एक चाहत जो हर लेखक की होतीं हैं की उनके नाम से कोई किताब प्रकाशित हो...। मेरी ये चाहत कल पूरी हुई....। उसके लिए कुछ खास लोगों का दिल से आभार...। बस अब इंतजार हैं अपनी लिखी किताब अपने हाथ में आने की....। उम्मीद हैं ये चाहत भी जल्द पूरी होगी...। क्योंकि उम्मीद पर "दिया"कायम....।
आज का दिन भी बहुत खास हैं.... आज बसंत पंचमी का त्यौहार हैं.... तो आप सभी को सबसे पहले तो बसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं...।
इस त्यौहार से बहुत सी कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ीं हुई हैं.... आज जानते हैं कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में....।
बंसत पंचमी.....
इस त्यौहार की अपनी एक अलग ही महत्वाकांक्षा हैं....। यह त्योहार हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता हैं...।
ये तो सभी लोग जानते होंगे की इस दिन सभी माँ सरस्वती जो संगीत और ज्ञान की देवी हैं उनकी पुजा अर्चना करते हैं.... लेकिन यह दिन मुस्लिम समुदाय के लिए भी एक त्यौहार हैं ऐसा शायद कम लोग ही जानते होंगे...।
बंसत पंचमी एक ऐसा त्यौहार जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं....।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता हैं की इस दिन निजामुद्दीन औलिया की दरगाह जो दिल्ली में स्थित हैं... और चिस्ती की सभी दरगाहों में मनाया जाता हैं।
इसका इतिहास कुछ इस तरह हैं की निजामुद्दीन औलिया अपने भतीजे की मौत से बेहद दुखी थे जिसके कारण आमीर खुसरो भी अपने गुरु की उदासीनता से बेहद दुखी थे...। उन्होंने एक दिन देखा की कुछ महिलाओं का समूह पीले वस्त्र पहनकर.... पीले पुष्प हाथों में लिए... गाते हुए वहाँ से गुजर रहीं थी...। आमीर खुसरो उन सभी को संत मानते हुए उनकी मदद करने के लिए उनके पास गए....और सारी बात बताते हुए उनको निजामुद्दीन के पास लेकर आए....। निजामुद्दीन ये सब सुनकर खुसरो की मासुमियत देखकर मुस्कुराने लगे....। तभी से यह दरगाहों में भी मनाया जाता हैं...।
ऐसी ही ना जाने कितनी पौराणिक कथाएँ इस दिन से जूड़ी हुई हैं... एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम सबरी से मिले थे और उनके झूठे बैर खाए थे....।
एक और प्राचीन लोककथा के अनुसार कवि कालिदास ज्ञान प्राप्त करने से पहले एक साधारण से मनुष्य थे..... उनका विवाह एक ऐसी औरत से धोखे से करवाया गया था जो कालिदास का बिल्कुल भी सम्मान नही करतीं थीं.... परेशान होकर एक दिन कालिदास आत्महत्या करने के लिए घर से निकल गए...। नदी के किनारे पहुंचते ही उनके समक्ष देवी सरस्वती प्रकट हुई.... और उन्होंने कालिदास को उस नदी में डुबकी लगाने को कहा.... कालिदास ने वैसा ही किया.... डुबकी लगाकर बाहर आने पर कालिदास ने अपने भीतर गहन परिवर्तन महसूस किया..... और तभी से वो ज्ञान के पथ पर अग्रसर हुए और आगे चलकर कवि कालिदास बने....।
बंसत पंचमी को शास्त्रों में बहुत अहम माना जाता हैं... इस दिन से धरती पर उर्जा की शुरुआत होती हैं.... और अच्छे दिनों की भी शुरुआत होती हैं....।
आप सभी के जीवन में भी सदैव हर्ष उल्लास रहें..... इसी कामना के साथ आपसे विदा लेती हूँ...।
जय श्री राम.....।