एशियाई खेलों के लिए कबड्डी फेडरेशन ने 12 सदस्यीय कबड्डी टीम की घोषणा के बाद रितु गुलिया को कप्तान की जिम्मेदारी दी गई थी। रितु गुलिया दक्षिण एशियाई खेलों में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। जूनियर इंडिया 2018 में एशियाई खेल व दक्षिण एशियाई खेलों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
खिलाड़ी - फोटो : अमर उजाला
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एशियाई खेलों में कबड्डी में अपनी-अपनी टीम को स्वर्ण पदक दिलाने वाले बापौली के छोरे नीतिन रावल और बुड़शाम गांव की बहू रितू बुधवार को घर पहुंच गए। उनको गांव तक विजयी जुलूस के साथ ले जाया गया। जहां पर ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया। कबड्डी खिलाड़ियों को पलकों पर बैठाने को लोग उत्साहित नजर आए।
पानीपत की बहू ने संभाली कप्तानी
बुड़शाम गांव की बहू रितु गुलिया ने भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तानी संभाली। उनके नेतृत्व में टीम ने चीन में आयोजित एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। रितु मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के गांव शरोग निवासी है। वे कबड्डी खेल के आधार पर रेलवे में भर्ती हुई। उनकी डेढ़ साल पहले पानीपत के बुड़शाम गांव निवासी रोहित गुलिया के साथ शादी हुई। रोहित गुलिया कबड्डी खिलाड़ी हैं और वे भी रेलवे में नौकरी करत हैं।
एशियाई खेलों के लिए कबड्डी फेडरेशन ने 12 सदस्यीय कबड्डी टीम की घोषणा के बाद रितु गुलिया को कप्तान की जिम्मेदारी दी गई थी। रितु गुलिया दक्षिण एशियाई खेलों में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। जूनियर इंडिया 2018 में एशियाई खेल व दक्षिण एशियाई खेलों में बेहतर प्रदर्शन किया है। जकार्ता में रजत पदक जीता है। पति रोहित गुलिया ने बताया कि उनको अपनी पत्नी पर गर्व है। उनके पदक जीतने पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है। रितु गुलिया का पानीपत के महाराजा होटल में जजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र कादियान और उनकी पत्नी कपिला कादियान ने स्वागत किया। उनको यहां से विजयी जुलूस के रूप में गांव ले जाया गया। जहां पर उनका ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया।
पूर्व सरपंच के बेटे ने चीन में दिखाया कमाल
बापौली निवासी नीतिन रावल भारतीय कबड्डी टीम में लेफ्ट कॉनर पर खेलते हैं और अच्छे रेडर में से एक हैं। उनका एशियाई खेलों में देश को स्वर्ण पदक दिलाने में विशेष योगदान है। नीतिन रावल के पिता बलबीर रावल खेती बाड़ी करते हैं और दादा धीरू रावल गांव के पूर्व में सरपंच रहे हैं। वे बुधवार को दिल्ली से समालखा पहुंचे। यहां से उनको विजयी जुलूस के रूप में बापौली गांव लाया गया। जहां पर उनका ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। नीतिन रावल ने बताया कि वह गांव में ही कबड्डी खेलता था। उसकी तकनीकी कुछ हटकर रहती है।