हमारा दयालु नजरिया और लोगों के प्रति सदभाव सुरक्षा कवच की तरह कङवे, कुटिल नकारात्मक, हानिकारक विचारों के विरुद्ध कार्य करता है।हमें सुखमयी जीवन और खुशगवार बनने के लिए हमारी मानसिक सोच कटुता हीन और चालाकी रहित होना चाहिए, तभी हमारे जीवन में दुख की घटा छटेंगी।जीवन में सर्वश्रेष्ठ कार्य तभी किया जा सकता है, जब हमारी मानसिकता में प्रतिशोध की भावना और शत्रुता का भाव नही होना चाहिए।हमारे आदर्श भाव के कारण ही हमारी शक्तियां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती है।साथ ही हमारे ह्रदय में सदभावना होने पर ही हम अच्छे मन से कार्य कर सकेंगे।क्योंकि किसी के प्रति नफरत की भावना, ईर्ष्या भाव, बदला लेने की भावना उस आर्सेनिक जहर के समान हैं जो शरीर को गला कर सारहीन कर देती है।हम अपने मनोहारी व्यक्तित्व द्वारा अपने आस पास के माहौल को जगमगा सकते हैं।
इंसानी व्यक्तित्व चुंबक की तरह होता है।जिस तरह चुंबक कचरे के ढेर में से अपने जैसी ही चीजों को आकर्षित करती है उसी तरह हम भी अपने अनुरूप विचार और आदर्श वाले व्यक्तित्व के प्रति आकर्षित होते हैं अर्थात संबंध बनाते हैं।यह संबंध तब तक कायम रहेगा जब तक हमारा उनके प्रति साम्य मौजूद रहेगा।ह्रदय केके गुण विकसित करें, जैसे उदारता, बङप्पन, सह्रदय ता, सहानुभूति, व्यापक दृष्टिकोण , सहयोगी प्रवृत्ति, आशावादी दृष्टिकोण जिनका बुद्धि और दिमागी शक्ति से कोई सरोकार नहीं होता है।प्रत्येक व्यक्ति ये गुण अपने चरित्र में शामिल कर सकता है, जिससे वह सांसारिक शक्ति की वास्तविकता को महसूस कर सकें।इन गुणों के विरोधी गुणों का दमन कर अपने चारित्रिक व्यक्तित्व को निखार सके।हमें अपने आस पास के लोगों का दिल जीतने के लिए खुशमिजाज, बहिर्मुखी, आशावादी होना पडेगा।ऐसा व्यक्तित्व हम विकसित कर सकते हैं।शारीरिक व मानसिक शक्तियां व्यक्तित्व में सहयोग देती है।हममें सामाजिक ता के अलावा एक और गुण होता है, आंतरिक प्रवृति का। यह प्रकृति प्रदत्त उपहार स्वरूप है जिससे अन्य सम चरित्र वाले प्रभावित होते हैं।सभी स्व शिक्षा व स्वविकास द्वारा व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं क्योंकि सभी के पास समान अवधि व समान अवसर है।मेहनत द्वारा अच्छा इंसान बन सकते हैं। चहुँ ओर हमें अच्छाई तलाशनी चाहिए।निराशावाद को परे कर आशावादी दृष्टिकोण रखना चाहिए।व्यक्तित्व को निखारने के लिए नकारात्मक छवियों, असमंजस पूर्ण स्थिति में सामंजस्य चीजों को तलाशे, मददगार चीजों को पास में लाएं।और सबसे अच्छा तरीका, जब हम दूसरों में अच्छे गुणों को तलाशे।जीवन की निराशा, चिंता, तनाव, अवसाद को उसी तरह दूर करे जिस तरह सूर्य की किरणें अंधकार को भेदकर उजाला कर देती हैं।स्वस्थ शरीर में, स्वस्थ मन निवास करता है।इसलिए स्वस्थ रहने के लिए हमें खुशमिजाज, आशावादी नजरिया, प्रफुल्लित मन, तीक्ष्ण बुद्धि होना आवश्यक है।इसके अलावा व्यक्तित्व को निखारने के लिए हमें अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत होनी चाहिए।गल्तियों का सुधारात्मक अध्ययन करना चाहिए।व्यवहार में भाव शून्यता और औपचारिकता नहीं होनी चाहिए।घुलनशीलता में कंजूसी नहीं बरतनी चाहिए बल्कि दिल के दरवाजे खोलकर सबको आमंत्रित करना चाहिए। इससे आपके अंदर की कठोरता, संकीर्णता, उदासीन भाव गायब हो जाते हैं। सह्रदयता का भाव बनाए रखने से सामाजिक शक्ति प्रभावशील होती है। व्यक्तित्व प्रभावशाली बनाने का सबसे उपयुक्त तरीका संजीदा व्यक्ति को मार्गदर्शक बना लें।