बैग तैयार है?जल्दी चलो अम्मा,
ऑफिस जाते हुए, मंझले घर छोङ आऊंगा।
बहुरानी की आवाज आई,नाश्ता करके ही जाना ,अम्माजी।
मन ही मन अम्मा बङबङाई,बङी आई पूछ परख वाली।
क्यों नही?सर्वोल्लासहैं आज का दिन,
यह बोझ दूसरे घर जो ढोहा जा रहा हैं।
ऐसा आन्नदित वातावरण था,मानो मनहूस साया विदा हो रहा था।
टैक्सी उठा,दौङकर बैग उठा,बेटा ऐसे चल दिया,
अगर,पलभर भी देर हुई,तो परे न होगा यह काला साया।
चौतरफा नजर दौङा,भरे मन से बैठ गई
बाहर छोङ ,देर होती हैं,चलता बना।
बोझिल मन से घण्टी बजाई,
दरवाजा खोल, नौकर ने सामान 'गेस्टरूम'में रख दिया।
आवाज लगाई बहू को,नौकर दौङा आया,
पूछने पर ,पता नहीं, कब तक हैं आना,
कल साहब आऐगें,इतना कह चलता बना।
पेट पूजा कर, कब ऑख लग गई,
खिलखिलानें की आवाज से ,कब निद्रा टूट गई।
ललकवश चल दी बहू से मिलनें,
देख किसी ने पूछ रखा-'कितने दिन तक हैं अम्मा जी'?
बनावटी हॅसी में,अंदर-ही-अंदर तिलमिलाई।
बेटा आ गया,कुछ दिन अच्छा लगा,
आगा-पीछा विस्मृत हो,मन उल्लास से भर गया।
कुछ दिन में ही,बहु-बेटे को साथ में रखना मुश्किल हो गया।
एक दिन ,तङके बेटा बोला-मंझले घर चलना हैं।
बहु मन से उल्लासित,पर उदास मुॅह बनाकर बोली,
ऐसी क्या जल्दी हैं?बच्चों के लिए, थोङा और रह लेती।
दिल पिघला,पर मन वश में कर बोली-
जब भी लेने आओगें, तभी साथ चली आऊंगी।
बैठते ही, गाङी का दरवाजा बंद न हुआ था,
पर घर का दरवाजा, पहले ही बंद हो गया था।
मंझले घर में,अम्मा देख बहु अंदर चली गई,
थोङा हॅस खेल बच्चें भी ,खेलने चले गए।
व्यस्त बेटा,ऑख मिलते ही,अरे!अम्मा कब आई?
शार्गिद नौकर भी, औपचारिकता कर चलता बना।
ऐसी जिन्दगी से ऊब चुकी हूॅ।
बेटों ने माॅ को 'ऐसे बांटा',जैसे हो 'काम का बंटवारा'।
अजीब-सी ,कटते दिनों में, कब 31तारीख आ गई।
निश्चिंत बैठी अम्मा के कान खनक गए,
जब बहू-बेटे ने'शिकायती फरमान'सुनाया-
छोटे के पास छोङ आए, नही तो वो एक लिन बाद आने की शिकायत करेगा।
बीच में ही टोककर अम्मा बोली-
'आज तो तारीख 31है,कल एक हैं ना?
बात काटकर बहू बोली-
'दस-दस दिन रखने की बात हुई थी'।
बिना कुछ कहे,सामान बांध ,रिक्शा में बैठ गई।
बीच रास्ते रिक्शा रोक,बेटे से बोली-
मैं चली जाऊंगी,तुम अपने काम से जाओ।
थके पांव से,ठगे मन से सोचती जाती,
'ममता कभी ना बांटी, मुझें ये कैसे बांट दिया?'
शातद 'इस एक दिन'का ठिकाना'भगवान का घर'है।
भावविहल,अश्रुपूर्ण नैत्रों से,उदासीनता का भाव छिपाएं,
'वो एक अंजान रास्तें पर निकल पङी'।