'ऐसी भी होती हैं ममता'
सूरज की प्रस्फुटित किरणों के साथ ही,
कानों में पङती खङ-खङ,बेवाक आवाजें,
ये कर्कश आवाजें किसी और की नहीं,
घर की मुखिया, नानी मां की आवाजें।
उठो भई, भोर हुई, नही तो,किसी की खैर नही।
सहमें-सहमें से बहुएं,बच्चें,अपने कामों में लग जाते ,बचाकर नजरें।
पीछे से फिर सुनाई दी,
कुंभकरण की नींद में,पैर पस