बच्चों के प्रिय'चाचा नेहरू'एक प्रशंसनीय राजनेता,जिनका जन्म इलाहाबाद के धनाढ्य व कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण शंश के वकील श्री मोतीलाल नेहरू जी व मां श्रीमती स्वरूप रानी के घर 14नवंबर,सन् 1889में हुआ था। प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में प्रतिष्ठित जनोत्थान,जनकल्याण व सुखसमृद्धि उनके विचारों की धुरी थी। गुलामी को सबसे बङा अत्याचार और मानवीयता को सर्वोच्च शिखर पर पहुचांने के लिए जनहित के सच्चें हमदर्द व मसीहा थे।'भारत एक खोज'स्वयं की पुस्तक में लिखा है कि-किसी भी पराधीन देश के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्रथम तथा प्रधान आकांक्षा होनी चाहिए।वह लोकतंत्र को जीवन पद्धति मानने वाले व समाजवादी समाज के प्रवल समर्थक नेहरू जी मानते थे कि लोकतंत्र की सफलता के लिए'जनता का उच्चप्रतिमान' होना अतिआवश्यक हैं।उनका कहना था कि-लोगों की कला उनके दिमाग की सही दर्पण हैं। गुटनिरपेक्षता के मार्ग पर चलकर ,निर्वल देंशों को ताकतवर बनाया।पंचशील प्रवर्तक विश्वशांति में विश्वास रखते थे।उनका कहना था कि-बिना शांति के,और सभी सपनें खो जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।धर्मनिरपेक्ष सरकार की स्थापना पर जोर दिया जिससे समस्त धार्मिक विचारों का प्रचार-प्रसार हो।स्वतंत्र युद्ध को जंगली और असमयक मानते थे। उनके अथक प्रयास से अंग्रेजों द्वारा500देशी रियासतें आजाद कर झंडे के नीचें आई।स्वेज नहर,कोरियाई युद्ध का अंत करने,कांगों समझौते को मूर्त रूप देने जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।वर्ष1995 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।वही नेहरू जी पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध सुधारनें में असफल रहें।
बच्चों के चहेते चाचा नेहरू के विषय में श्रीमती सुचेताकृपलानी के विचारों में-नेहरू जी का जीवन बहुमुखी,कुशल राजनीतिज्ञ,अथक यौद्धा,प्रभावशाली,लेखक,अनुभवी राजनीतिज्ञ,मानवता के पुजारी थे।
मिस्त्र के राष्ट्रपति ने'नेहरू की जिन्दगी एक मशाल की तरह थी,जिससे हिन्दुस्तान,ऐशिया,दुनियां को रोशनी मिलती हैं।