मीराबाई जयंती का बड़ा धार्मिक महत्व है। वो भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं। वह 16वीं सदी की रहस्यवादी कवयित्री थीं। उन्होंने भगवान कृष्ण के लिए कई सारी कविताएं लिखी थीं जिसे आज भी लोग पढ़कर प्रसन्न हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार वो राजकुमारी थीं। उनका जन्म साल 1498 में जोधपुर राजस्थान के राजा रतन सिंह के घर हुआ था।
Meerabai Jayanti 2023
कृष्ण भक्त बड़े ही धूमधाम के साथ मीराबाई जयंती मनाते हैं। यह दिन बेहद शुभ माना गया है। क्योंकि वो भगवान कृष्ण की बड़ी भक्त थीं। लोग इस दिन को अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि या पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। मीराबाई (Meerabai) जयंती इस साल 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लोग इस दिन मीराबाई की आराधना करते हैं, जिससे उन्हें भी भक्ति का वरदान मिल सके।
मीराबाई जयंती महत्व
मीराबाई जयंती का बड़ा धार्मिक महत्व है। वो भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं। वह 16वीं सदी की रहस्यवादी कवयित्री थीं। उन्होंने भगवान कृष्ण के लिए कई सारी कविताएं लिखी थीं, जिसे आज भी लोग पढ़कर प्रसन्न हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वो राजकुमारी थीं। उनका जन्म साल 1498 में जोधपुर, राजस्थान के राजा रतन सिंह के घर हुआ था।
वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं और जब वह सिर्फ दो साल की थीं, तब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। मीराबाई के दादाजी ने उनका पालन-पोषण किया और वह भगवान विष्णु के परम भक्त भी थे। बड़े-बड़े संत उनसे मिलने आते थे इसलिए मीरा को हमेशा उन साधु-संतों से मिलने का मौका मिलता था। मीराबाई के आसपास हमेशा से भक्ति का माहौल था।
राम रतन धन पायो
''पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥
जनम-जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥
सत की नांव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥''
द्रोपदी की लाज
''हरि तुम हरो जन की भीर।द्रोपदी की लाज राखी,
तुरत बढ़ायो चीर॥
भगत कारण रूप नर हरि,धरयो आप सरीर॥
हिरण्याकुस को मारि लीन्हो,धरयो नाहिन धीर॥
बूड़तो गजराज राख्यो,कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर,चरण-कंवल पर सीर॥''