धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रख महादेव संग माता पार्वती की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां करती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है।
कार्तिक महीने में कब है मासिक शिवरात्रि? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत लाभ।
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। तदनुसार, कार्तिक महीने में मासिक शिवरात्रि 11 नवंबर को है। यह दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती को समर्पित होता है। शिव पुराण में निहित है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः इस तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रख महादेव संग माता पार्वती की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां करती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत लाभ जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 नवंबर को 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 11 नवंबर को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले देवों के देव महादेव और माता पार्वती को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और श्वेत वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा घर में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भगवान शिव को सफेद रंग का फूल, फल, दूध, दही, पंचामृत, शहद, सुगंध, तिल, जौ, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में मंत्र जाप एवं आरती कर सुख, समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। इस समय शिव विवाह का भी आयोजन कीर्तन भजन के जरिए कर सकते हैं।