इस साल बेमौसम बरसात की वजह से कई खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आई है। ऐसे में लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ा है। अब केंद्र सरकार ने खरीफ चावल के उत्पादन को लेकर अनुमान जताया है कि इस साल खरीफ चावल के उत्पादन में 3 फीसदी से ज्यादा कमी आ सकती है। आइए इस रिपोर्ट में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस साल खरीफ चावल के उत्पादन में 3 फीसदी से ज्यादा की हो सकती है गिरावट।
कृषि मंत्रालय ने बीते दिन एक आंकड़े जारी किये थे। इन आंकड़ों के बाद मंत्रालय ने अनुमान लगाया कि इस साल खरीफ चाल के उत्पादन में 3.79 प्रतिशत घटकर 106.31 मिलियन टन हो सकता है। इसकी वजह है कि देश में जिन राज्यों में सबसे ज्यादा चावल का उत्पादन होता है उन राज्यों में इस साल कम वर्षा हुई थी। इस वजह से खरीफ फसल के उत्पादन में गिरावट आई है।
पिछले साल खरीफ चावल का उत्पादन 110.5 मिलियन टन था। आपको बता दें कि खरीफ फसल में चावल मुख्य होता है। अभी इसकी कटाई शुरू हो गई है।
इन खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में आ सकती है कमी
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम अनुमान के अनुसार इस साल खरीफ सीजन 2023-24 में मक्के का उत्पादन 22.48 मिलियन टन होने का अनुमान है। वहीं, तुअर दाल का उत्पादन इस वर्ष 3.42 मिलियन टन होने की उम्मीद है। पिछले वर्ष के तुअर दाल का उत्पादन 3.31 मिलियन टन हुआ था।
इसी तरग मूंग का उत्पादन में भी कमी आ सकती है। पिछले साल की तुलना में इस साल मूंग का उत्पादन 1.71 मिलियन टन से कम होकर 1.40 मिलियन टन हो सकता है। वहीं, तिलहन उत्पादन 26.15 मिलियन टन से घटकर 21.53 मिलियन टन रहने का अनुमान है।
मूंगफली का उत्पादन 7.82 मिलियन टन और सोयाबीन का उत्पादन 11.52 मिलियन टन हो सकता है। इस साल गन्ने के उत्पादन में भी कमी आ सकती है। मंत्रालय ने अनुमान जताया है कि इस साल गन्ने का उत्पादन 434.7 मिलियन टन तक होने की उम्मीद है।
कपास के उत्पादन में भी 33.6 मिलियन गांठ से घटकर 31.65 मिलियन गांठ और जूट का उत्पादन 9.39 मिलियन गांठ से घटकर 9.19 मिलियन गांठ होने की उम्मीद है। इस तरह इस साल खरीफ सीजन में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 148.56 मिलियन टन होने की उम्मीद है। यह उत्पादन पिछले साल की तुलना में 155.7 मिलियन टन से कम है।
मंत्रालय ने कहा कि इस बात का भी ध्यान रखने की जरूरत है कि 2023-24 के खरीफ सीजन में पहला उत्पादन मूल्यांकन काफी हद तक पिछले तीन वर्षों की औसत उपज पर आधारित है। मंत्रालय द्वारा जताए अनुमान गलत भी हो सकता है। मंत्रालय ने उपज के आधार पर यह अनुमान जताया है।