राजस्थान में कई सामाजिक संगठन विधानसभा चुनाव के लिए तय की गई वोटिंग की तारीख को बदलने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार (9 अक्टूबर) को चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया था। Election Commision ने तारीखों की घोषणा करते हुए बताया कि सबसे पहले मिजोरम में 7 नवंबर को मतदान होगा, इसके बाद 17 नवंबर को मध्यप्रदेश में वोट डाले जाएंगे। वहीं, छत्तीसगढ़ में 2 चरणों में मतदान होगा पहला 7 नवंबर और दूसरा 17 नवंबर को।इसके बाद 23 नवंबर को राजस्थान और 30 नवंबर को तेलंगाना में वोट डाले जाएंगे। सभी 5 राज्यों के परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। इस बीच, खबर आ रही है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख़ बदली जा सकती है। दरअसल, राज्य के कई सामाजिक संगठन चुनाव की तारीख को बदलने की मांग कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, राजस्थान भाजपा ने चुनाव की तारीख़ बदलने को लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है। राजस्थान बीजेपी की तरफ से ये कदम क्यों उठाया गया आइए जानते हैं।
चुनाव की तारीख बदलने की क्यों उठ रही मांग
दरअसल, 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) है, जो अबूझ सावे (शादी) की तारीख होती है।इस दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं, ऐसे में राजस्थान के कई संगठनों ने तर्क दिया है कि देवउठनी एकादशी की वजह से वोटिंग प्रभावित होगी। एक रिपार्ट के अनुसार, राजस्थान में इस दिन 50 हजार से अधिक शादियां हैं, इनमें लाखों लोग शामिल होंगे।इस संबंध में विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशील ओझा ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखा है।उन्होंने कहा कि इस दिन से ही चार महीने बाद विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होंगे, इसलिए वोटिंग की तारीख को बदलना चाहिए।
भाजपा को हो सकता है भारी नुकसान
माना जा रहा है देवउठनी एकादशी के दिन मतदान होने पर भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।ऐसा इसलिए क्योंकि जितनी कम वोटिंग होगी उतना ही सत्ताधारी दल को फायदा होगा. राजस्थान में अगड़ी जातियां जैसे ब्राह्मण, बनिया और राजपूत भाजपा का कोर वोट बैंक हैं, और वो इस तिथि में ज्यादा आस्था रखती हैं, ऐसे में उनकी वोटिंग कम होने के आसार हैं। इसीलिए, भाजपा को इस दिन मतदान होने से नुकसान हो सकता है।हालांकि, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने दावा किया है कि हमारे कार्यकर्ता लोगों को बूथ तक लेकर आएंगे।