1350 से 1767 तक राज्य पर शासन करने वाले अयुत्यायन राजाओं को रामतिबोधि की उपाधि दी गई जो सनातन धर्म के भगवान राम के साथ उनके संबंध को दर्शाता था। भारत के लोगों की तरह अयुत्या (Ayodhya-Ayutthaya) में भी भगवान राम के प्रति भक्ति बेहद अटूट है। इस स्थान पर हिंदू मंदिरों के खंडहर इस आध्यात्मिक और धार्मिक संबंध के प्रमाण हैं।
अयुत्या से जुड़े कुछ अद्भूत रहस्य।
राम नगरी अयोध्या के बारे में तो हर कोई जानता है और जानें भी क्यों न ? इस विशेष स्थान पर हमारे प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ है। इस पवित्र स्थान की महिमा से कोई अंजान नहीं है, लेकिन क्या आपको पता है कि थाईलैंड में भी एक अयोध्या है? जहां भारत की प्राचीन परंपराओं को महत्व दिया जाता है।
दरअसल, थाईलैंड के अयुत्या शहर का नाम अयोध्या के नाम पर रखा गया है। यहां एक ऐसा राजवंश है जिसके हर राजा को राम का अवतार माना जाता है।
अयुत्या का इतिहास
अयुत्या एक प्राचीन थाई साम्राज्य की राजधानी थी, जिसे अयुत्यायन साम्राज्य के नाम से जाना जाता था। अयुत्यायन वंश के राजाओं को भगवान राम का अवतार माना जाता था।1350 से 1767 तक राज्य पर शासन करने वाले अयुत्यायन राजाओं को 'रामतिबोधि' की उपाधि दी गई, जो सनातन धर्म के भगवान राम के साथ उनके संबंध को दर्शाता था। भारत के लोगों की तरह अयुत्या में भी भगवान राम के प्रति भक्ति बेहद अटूट है।
इस स्थान पर हिंदू मंदिरों के खंडहर इस आध्यात्मिक और धार्मिक संबंध के प्रमाण हैं। श्री हरि विष्णु, ब्रह्मा जी और भगवान शिव को समर्पित पूजा स्थल अभी भी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से केवल 50 किलोमीटर दूर हैं। यह अद्भूत शहर आज भी अपने गौरवशाली अतीत के अवशेषों को समेटे हुए है।
अयुत्या से जुड़े कुछ अद्भूत रहस्य थाईलैंड के शहर अयुत्या के राजा 'रामतिबोधि' को प्रभु श्री राम की उपाधि दी जाती थी। प्रसिद्ध शहर अयुत्या को रामायण के उस प्रसंग के साथ जोड़ा जाता है, जब अयोध्या को श्री राम की राजधानी के रूप में बताया गया था।
अयुत्या को 1767 में बर्मी सेनाओं ने पूर्ण रूप से लूटकर नष्ट कर दिया था। बतादें, थाईलैंड में बौद्ध धर्म को माना जाता है, लेकिन रामायण का प्रभाव यहां भी उतना ही स्पष्ट है, जितना कि भारत में है।