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क्या यही प्यार है?-2(भाग:-3)

22 जुलाई 2023

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गतांक से आगे:-

रमनी शहर जा रही थी अपनी गृहस्थी बसाने ।गांव से नाता टूटता जा रहा था ।वह जैसे ही गाड़ी की अगली सीट पर बैठी तभी अचानक से एक काली बिल्ली हवेली के दरवाजे से निकल कर उनके सामान वाली गाड़ी मे चढ़ गयी ।पता नही रमनी को ऐसे लगा जैसे उस काली बिल्ली मे कुछ है।वह बहुत बार हवेली में भी उसे देख चुकी थी । वह अकसर देखती थी जब जोगिंदर शहर से आता था तो वह जोगिंदर के आस पास मंडराती रहती थी। लेकिन जब वह नही होता था तो रमनी को परेशान कर देती थी ।एक अजीब सा डर लगता था रमनी को उसकी आंखों में देख कर ।आज वो उनके साथ शहर भी जा रही थी वह सामान गाड़ी मे चढ़ गयी थी ।रमनी शू शू शू करके उसे हटाती रही पर वो ना जाने सामान मे जाकर कहां गायब हो गई।
  जोगिंदर भी झल्ला उठा और बोला," क्या रमनी तुम भी । बिल्ली ही तो है ।शहर जाकर जब सामान उतारे गे तो  अपने आप भाग जाएंगी।"
अपनी आवाज को धीमा करते हुए बोला," ये चंचला नही है।" 
और जोगिंदर की जोर से हंसी छूट गयी।

रमनी गुस्से से जोगिंदर को देखने लगी ।

गाडियां शहर को चल पड़ी।रमनी के आंखो के कौर गीले हो चुके थे।जिस गांव मे बचपन बीता , ब्याह हुआ , बच्चे हुए ।आज वो आंखों से ओझल हो रहा है ।
वह शहर के वातावरण में रम भी पायेगी या नही देखो। 

रमनी शहर जाते हुए सारे रास्ते अपने भगवान को याद करते हुए जा रही थी कि सब कुशल से हो जाए ।पता नही क्यों जब से जोगिंदर ने उसे वो सपना बताया था उसका जी बैठा जा रहा था । रास्ते मे दो बार गाड़ी दूसरी गाडी से टकराते हुए बची थी जिससे रमनी का विश्वास पक्का हो गया था कि कुछ ना कुछ तो होने ही वाला है उन लोगों के साथ।
किसी तरह  रमनी और जोगिंदर शहर पहुंच ही गये ।
रमनी ने देखा क्या खूबसूरत हवेली नुमा घर पसंद किया था जोगिंदर ने अपने परिवार के लिए।उसका तो मुंह खुला का खुला रह गया। क्या आलीशान मकान था ।सबसे बड़ी बात बाजार हाट सब पास पड़ता था उस घर से ।वरना गांव मे तो रमनी एक एक चीज के लिए तरस जाती थी । क्योंकि गांव मे महीने मे दो बार बाजार लगता था ।अपनी जरूरत का जो सामान खरीदना हो तो उस समय ही खरीद सकते थे ।बाकि इस बीच कोई चीज की जरूरत हो तो दस किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता था । पर यहां तो गली से बाहर निकलते ही हर चीज मिल जाती थी।रमनी जो ये सोचकर आयी थी कि पता नही शहर मे मन लगेगा या नही वो बात की चिंता शहर आकर खत्म हो गयी थी ।
   मजदूर लोग सामान गाड़ी से सामान उतारने लगे ।रमनी ने उन से जोर देकर कहा ," देखो सामान  के साथ कोई काली बिल्ली घर मे ना घुसने पाये।इस बात का ख्याल रखना।"
नौकर बोले ,"ठीक है मैडम।"
अपने आप को इस नये सम्बोधन से बुलाने पर रमनी फूली नही समा रही थी ‌कयोकि गांव मे तो वो जोगिंदर की बहू के नाम से जानी जाती थी ।नौकर चाकर थे ही नही घर पर ।अपने लिए 'मैडम' शब्द उसे कही अंदर तक गर्व का अहसास करा गया कि अब वो भी शहर की माडर्न औरतों की तरह रहेगी।
वो अभी ये सोच ही रही थी कि तभी "टप्प" से वो काली बिल्ली गाड़ी से नीचे कूदी और घर मे भाग गयी ।रमनी पीछे पीछे दौड़ी तभी जोगिंदर बोला,"क्या है तुम्हें? अपनी सेहत का तो ध्यान रखो ।कही पैर वैर फिसल गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे । पांचवां महीना चल रहा है ।"
रमनी को तो जैसे काली बिल्ली मे साक्षात चंचला का ही रूप दिखाई दे रहा था ।
जब जोगिंदर ने उसे जोर से डांट लगाई तो रमनी थोड़ी देर के लिए शांत बैठ गयी और मन ही मन सोचने लगी । गांव में तो मै इसे हवेली से नही निकाल पायी क्योंकि वहां सब खुला डुला था लेकिन अब यहां पर तो मै इसे घरसे बाहर खदेड़ कर ही दम लूंगी एक बार जोगिंदर आफिस चला जाए ।
सारा सामान गाड़ी से उतार दिया गया । नौकरों की सहायता से जोगिंदर ने सभी सामान सजा भी लिया था घर मे । क्यों कि रमनी तो पेट से थी ।
शाम तक काफी हद तक सामान उस बंगले मे सज चुका था ।कुछ फर्नीचर तो जोगिंदर ने नया ही बनवाया था।
रात को नये घर मे सब से पहले मीठा बनाने की रस्म की गयी क्योंकि ये उनका गृह प्रवेश ही तो था।रमनी ने सब के लिए खीर बनायी थी ।
सभी डायनिंग टेबल पर बैठ कर खीर खा रहे थे ।तभी रमनी बोली,"तुम्हें पता है जब मैंने उन मजदूरों को ये कहा कि काली बिल्ली अंदर नही जानी चाहिए तो पता है उन्होंने मुझे क्या कहा?"
जोगिंदर उसकी ओर देखते हुए बोला ,"क्या कहा"

"वे बोले "ठीक है मैडम" ।रमनी ने शरमाते हुए कहा ।
जोगिंदर हंसते हुए बोला ," तुम भी ना रमनी ।गांव मे रहकर बिल्कुल गंवारो जैसी बातें करने लगी हो । यहां सभी नौकर लोग अपनी मालकिन को मैडम या मेमसाब ही कहते है ।तुम यहां थोड़े दिन रहोगी तो अपने आप यहां के तौर तरीके सीख जाओगी ।कल दोनों बच्चों का स्कूल मे एडमिशन भी करवाना है ।देखना मै अपने बच्चों को खूब पढ़ाऊं गा। और हां कल बैठकर लिस्ट बना लेना क्या क्या कम है घर मे कल शाम को आफिस से लौटने के बाद यहां के बड़े बाजार चलेंगे ।सुना है बहुत अच्छा बाजार है।"
रमनी बोली ,*ठीक है मै कल सामान देखकर सारी लिस्ट बना लूंगी। हां तुमने वादा भी किया था कि तुम शहर आओगी तब तुम्हें नयी साड़ी लेकर दूंगा ‌अब अपना वादा पूरा करों।"
जोगिंदर हंसते हुए बोला,"ठीक है बाबा ले लेना …बस ।अब थोड़ी सी खीर और मिलेगी मेमसाब।"
रमनी शरमाते हुए बोली ,"हां हां अभी लाती हूं।"
वह खीर की कटोरी उठा कर किचन मे चली गयी । लेकिन जैसे ही वह अंदर पहुंचीं उसकी जोर से चीख निकल गयी ।जिसे सुनकर जोगिंदर दौड़ा दौड़ा किचन की ओर आया वहां का नजारा देखकर वह भी दंग रह गया।
(क्रमशः)

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रचनाएँ
क्या यही प्यार है?--2
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जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने महबूब से । क्या वो सफल हो पाई अपने अपने प्यार को पाने में? आइए जानें।
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