गतांक से आगे
जोगिंदर को चंचला की आत्मा अपने साथ ले तो गई पर वो मन से कभी चंचला का नहीं हो पाया था।उसे सूरज सेन वाले जन्म की कोई बात याद नहीं थी।
पर कहते हैं जब कोई आत्मा किसी पर मोहित हो जाती है तो वो उसे अपने साथ ले ही जाती है । जोगिंदर तो हमेशा से रमनी का था।
आज सिया और जिया की कोचिंग का पहला दिन था ।वो सुबह सवेरे ही उठ गई थी।कमला आज तड़के ही आ गई थी फटाफट नाश्ता तैयार कर जिया और सिया के कमरे में गई तो देखा दोनों बहनें पहले से ही तैयार बैठी थी।आज दोनों ने बहुत ही खूबसूरत सूट पहने थे ।बाहर अकेले जाने की खुशी उन दोनों के चेहरे से साफ नजर आ रही थी।वे फटाफट तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर जाकर बैठ गई।तभी रमनी भी गाऊन में जम्भाई लेते हुए डाइनिंग हॉल में आई और टेबल पर बैठते हुए एक सरसरी निगाह दोनों पर डाली।
आज रमनी ने जिया और सिया को गौर से देखा था काफी समय बाद ।आज उसे वे बहुत बड़ी बड़ी दिखाई दे रही थी।और गजब की सुंदर भी लग रही थी ।रमनी का मन एक बार के लिए अंदर तक कांप गया कि पता नहीं इनकी ये सुंदरता ही कभी इनको ले डूबे।रमनी ने एक ओर मुंह करके दोनों से कहा,
" तुम दोनों मेरी एक बात याद रखना । पढ़ाई का मतलब पढ़ाई अगर किसी ओर चक्कर में पड़ी तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।….समझी।"
जिया और सिया की तो ज़बान जैसे तालू से ही चिपक गई थी।वे दोनों बस सिर हिलाती रही। फटाफट नाश्ता खत्म किया ही था कि तभी बाहर शोफर ने गाड़ी का हार्न बजा दिया ।वो दोनों ने तुरंत अपना बैग उठाया और घर से बाहर की तरफ दौड़ी।घर से कदम बाहर रखते ही एक तेज हवा के झोंके ने उन दोनों का स्वागत किया जिसमें आजादी की गंध मिली थी।वे गाड़ी में बैठी और गाड़ी अपने गंतव्य की ओर चल दी।
रास्ते में सिया ने जिया से कहा ,"तुम्हें एक ताजगी का अहसास नहीं हो रहा अपने अंदर? घर पर तो ऐसे लगता है जैसे डर की धुंध चारों और पसरी पड़ी है जिसमें रहकर शायद हमारा दम घुट जाएगा।"
जिया भी चहक कर बोली ," हां दीदी । बड़ा ही अच्छा लग रहा है बड़ी मां का डर हमारे चारों ओर कफ़न की तरह लिपटा हुआ है।"
वे दोनों इतनी बातें कर ही रही थी कि तभी शोफर बोला,"बेटा जी , कोचिंग संस्थान आ गया। जब तक आप की पढ़ाई खत्म नहीं हो जाती मैं यहीं पेड़ के नीचे गाड़ी लगाकर खड़ा रहूंगा । बड़ी मां ने सख्त हिदायत दी है कि दोनों को अपने साथ लेकर ही आना।"
जिया और सिया दोनों ही "जी चाचू " कहकर नीचे उतर गई।
शहर के जाने माने कोचिंग संस्थान"उज्जवल कोचिंग " में एडमिशन लिया था दोनों ने। बड़े बड़े रहीस आदमियों के बच्चे पढ़ते थे।उसकी फीस जुटाना इतना आसान नहीं था। पर रमनी के पास किस चीज की कमी थी । गांव से आमदनी का अच्छा स्रोत था।फिर दो चार काम शहर में भी शुरू कर लिये थे। बड़ा बेटा सरकारी नौकरी में चला गया था सोई पैसे की कोई कमी नहीं थी।
सिया और जिया को सब कुछ नया नया लग रहा था।
बड़ी मां ने कभी भी उन्हें बाहर पढ़ने नहीं भेजा घर आकर ही मास्टर जी उन्हें पढ़ा जाया करते थे।पर अब बड़ी क्लास थी तो कोचिंग की आवश्यकता महसूस हुई तो बड़े बेमन से रमनी ने दोनों लड़कियों का दाखिला करवाया था।
क्लास में कदम रखते ही दोनों बहनों का वास्ता एक बददिमाग लड़की से हो गया ।बात भी कुछ नहीं थी ।वो लड़की आगे के बेंच पर बैठी थी ।जिया और सिया उसके पास बैठने लगी तो उसने सिया को धक्का दे दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि सिया घुटनों के बल जमीन पर गिर गई जिया को बड़ा गुस्सा आया उसने भी उस लड़की को जोर से धक्का दे दिया और वह भी जमीन पर गिर गई।वह लड़की गुस्से में उठी और उसने तडाक से जिया को थप्पड़ रसीद कर दिया।तभी कमल और नसीब ने उन तीनों में बीच बचाव किया।
कमल और नसीब दोनों ही उस कोचिंग संस्थान में काफी समय से कोचिंग ले रहे थे। उन्हें पता था रुबी (वही लड़की जिसने सिया को धक्का दिया था) कैसी लड़की है।बीच बचाव करते समय नसीब सिया को पकड़ कर जमीन से उठाकर बैंच पर बैठा रहा था इस दौरान सिया और नसीब का एक दूसरे से आलिंगन हो गया।सिया के सारे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई।वह अपने को संभालते हुए बैंच पर बैठ गयी।
कमल ने जिया से मुखातिब होते हुए कहा," आप नहीं जानती ये रुबी है ही ऐसी ये अपने बैंच पर किसी को नहीं बैठने देती जब से इसके बायफ्रेंड ने इसे किसी दूसरी लड़की के चक्कर में छोड़ा है इसे हर लड़की में वो ही दिखाई देती है जिसने इसके बायफ्रेंड को छीन लिया था। बाय द वे मेरा नाम कमल है और ये नसीब है ।आप को कोई भी तकलीफ़ हो तो हमें बताना । मुझे लगता है आप दोनों नयी है ।पहले तो नहीं देखा हमने आपको क्लास में।"
जिया ने हाथ झाड़ते हुए कहा," जी आपने सही कहा ।हमारा आज पहला दिन है और आज ही ये बात हो गई बड़ी ही बदतमीज लड़की है ये तो।"
नसीब भी एकटक सिया की ओर देख रहा था।जब कमल ने नसीब का परिचय जिया और सिया से करवाया तो वह एकदम से हड़बड़ा गया जिसे देखकर सिया खिलखिला कर हंस पड़ी। नसीब तो बस टकटकी लगाकर देखता ही रह गया सिया को।
तभी क्लास में टीचर आ गई।माहौल शांत हो गया सभी अपनी अपनी सीट पर बैठ गये।सिया बार बार ये नोटिस कर रही थी वह जब भी नसीब की तरफ देखती तो उसे अपनी ओर देखता पाती। दोनों की आंखें मिलती तो हड़बड़ा कर दोनों अपनी अपनी नजरें झुका लेते।
आज का दिन बस परिचय और थोड़ी बहुत पढ़ाई के साथ खत्म हो गया ।जिया और सिया क्लास रूम से बाहर निकली ही थी के सामने शोफर चाचू को खड़े पाया
" चलो बिटिया । क्लास खत्म हो गयी अब घर चला जाए ।"
"जी चाचू "
कहकर दोनों गाड़ी में बैठ गई ।तभी सिया की नजर नसीब पर पड़ी जो साइकिल स्टैंड पर खड़ा अपनी साइकिल के पहिए को पकड़े था शायद टायर पंचर हो गया था या किसी ने जानबूझकर हवा निकाल दी थी।
तभी कमल अपनी होंडा सिटी में आया और नसीब को बैठाकर ले गया ।
सिया के मन में बड़ी उत्सुकता हो रही थी कि आखिर ये नसीब जो किसी भी हालत में इस कोचिंग की फीस नहीं जुटा सकता वो कैसे यहां पढ़ रहा है।यही सोचते हुए वह घर की ओर चल दी।
(क्रमशः)