गतांक से आगे:-
जोगिंदर की सांसें बहुत तेजी से चल रही थी ।उसने सपने मे देखा ।जैसे रमनी अपनी मां के यहां से वापस हवेली की ओर आ रही थी । रास्ते मे एक दम से रमनी जोर जोर से चिल्लाने लगी । जोगिंदर ने जब उसकी ओर देखा तो पाया उसकी आंखें और जीभ बाहर आ गयी है और उसके दोनों बेटे जो उसके साथ साथ चल रहे थे वो भी कही गायब हो गये थे ।रमनी ज़मीन पर पड़ी पछाड़ खा रही थी।वह गर्भ से थी । पांचवां महीना चल रहा था। जोगिंदर को बच्चे का डर सता रहा था कही गर्भपात ना हो जाए ।साथ ही दोनों बच्चे भी गायब थे ।अब वह बच्चों को ढूंढने जाए या रमनी को सम्हाले।तभी उसने देखा रमनी की साड़ी खून से लाल हो गयी । जोगिंदर जोर जोर से रोने लगा ।उसे लग रहा था जैसे चंचला ही ये सब करवा रही हो।तभी उसने जोर से आवाज लगाते हुए कहा,"चंचला मेरे परिवार को छोड़ दो ।तुम मुझ से खफा हो तो मुझे ले जाओ इन्हें छोड़ दो।"
तभी जैसे चमत्कार सा हुआ रमनी उठकर खड़ी हो गयी और झाड़ी के पीछे से दोनों बच्चे भी बाहर आ गये ।तभी जोगिंदर को ऐसे लगा जैसे कोई उसे खींच कर खाई की ओर धकेल रहा है ।रमनी रोते रोते पीछे दौड़ रही है ।पर वो उसे पकड़ नही पा रही ।तभी उसकी आंख खुल गयी
वह बदहवास सा उठा और मटके से पानी लेकर पीने लगा ।उसने सोचा कि हो सकता है रमनी बार बार चंचला का जिक्र करती रहती है हो सकता है वही बात मेरे सपने मे आ गयी हो।
चंचला का खौफ इतने सालों बाद भी जोगिंदर के दिमाग से उतरा नही था। हां वो डर ही था जोगिंदर का चंचला के प्रति क्यों कि प्यार तो उसे किसी हालत मे नही कह सकते।
जो वो इतने सालों बाद भी डरता था कही चंचला उसके परिवार को क्षति ना पहुंचा दे।
सुबह होने वाली थी आज तो उसे बहुत काम करने थे ।सामान गाड़ी मे भरवाकर शहर ले कर जाना था ।
वहां सारी व्यवस्था भी करनी थी । क्यों कि रमनी गर्भ से थी ।सोई सारा काम उसे ही देखना था वरना रमनी जोगिंदर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती थी। सुबह सात बजते ही जोगिंदर रमनी को लिवाने चल पड़ा अपनी ससुराल।चाहे रमनी के माता पिता कैसे भी थे पर जोगिंदर की आवभगत पूरे दिल से करते थे अपनी हैसियत से उपर होकर । जोगिंदर भी बार बार मना करता रहता था कि मै आप के बेटे जैसा ही हूं ।आप व्यर्थ मे इतना खर्च करते हो ।पर रमनी के मां पिताजी को जोगिंदर की ये बात भी बहुत बड़ा मान दे जाती थी वरना कहां जोगिंदर का परिवार और कहां रमनी का।
जोगिंदर जब ससुराल पहुंचा तो रमनी तैयार हो रही थी साथ मे जाने के लिए।रमनी के बापू ने खूब आवभगत की अपने जमाई की और बड़े ही लाड़ प्यार से अपनी बेटी को विदा किया साथ ही ये वादा भी किया कि तुम्हारी जचचगी मे तुम्हारी मां आ जाएगी।
रास्ते मे जब रमनी और जोगिंदर तांगे मे जा रहे थे तो अचानक से जोगिंदर को रात के सपने का ख्याल आ गया और उसे एकदम से झुरझुरी सी आ गयी । तभी पास बैठी रमनी बोली,"आप को क्या हुआ एकदम से चेहरा क्यों पीला पड़ गया।"
जोगिंदर अपने आप को सम्हालते हुए बोला,"अरेरे.. कुछ नही बस ऐसे ही रात के सपने के विषय में सोच रहा था।"
रमनी बोली,"कैसा सपना?"
जोगिंदर खीजकर बोला," अब क्या बताऊं तुम जो सारा दिन बोलती रहती हो ना कि चंचला हमारे बीच खड़ी है ,वो हमारे बीच खड़ी है बस वही सपना आ गया कि मै तुम्हे तुम्हारे घर से ला रहा हूं और बीच रास्ते मे ही तुम उसकी झपट मे आ गयी और तुम्हारी तबियत खराब हो गयी । दोनों बच्चे भी नही मिल रहे थे ।तभी मैंने चंचला से कहा कि तुम मेरे परिवार को छोड़ दो बदले मे मुझे ले जाओ और चमत्कार हुआ तुम भली चंगी हो गयी और बच्चे भी मेरे पास आ गये तभी अचानक कोई मुझे खाई की तरफ धकेल रहा था और मै चिल्ला रहा था ।तभी मेरी आंख खुल गयी।"
तुम भी ना आप तो आप दूसरे के दिमाग मे भी भूत चढ़ा देती हो किसी बात का।"
रमनी एकदम से सिहर कर जोगिंदर के कंधे के लग गयी और बोली,"ये तुमने क्या किया उसे अपने को ले जाने के लिए बोल दिया । तुम्हारे बगैर मै कैसे रहूंगी।"इतना कहकर वह सिसकने लगी।
जोगिंदर भी मुस्कुराते हुए बोला,"ओह मेरी पगली रमनी । क्या कभी सपने भी सच होते है ।तुम तो ऐसे ही घबरा जाती हो । चलों अब जल्दी करो शहर जाने के लिए गाड़ी आती ही होगी।"
यह बात जोगिंदर कह तो गया पर उसे अंदर से अभी भी डर लग रहा था कही चंचला उसे अपने साथ ले ना जाए।
वे सब हवेली पहुंचे तो समान ढोने वाली गाड़ी आ चुकी थी ।और जो मजदूर जोगिंदर बाहर बैठा कर आया था वै इंतजार कर रहे थे। जोगिंदर ने फटाफट हवेली का ताला खोला और सामान माल ढोने वाली गाड़ी मे भरा जाने लगा। अभी सामान लदने मे टाइम लगने वाला था इसलिए उसने रमनी को थोड़ी देर आराम करने को कहा और स्वयं गांव से जाते जाते एक बार फिर से खेत खलिहानों को निहारने चल पड़ा साथ ही दोस्तों से भी अलविदा कह आये गा।
यह कह कर जोगिंदर ने नौकरों को बता दिया कैसे सामान लोड करना है गाड़ी मे और स्वयं चला गया ।
रमनी अपने कमरे मे लेटी हुई थी ।वैसे तो रमनी ने काफी सामान बांध लिया था शहर मे अपनी गृहस्थी बसाने के लिए लेकिन बहुत कुछ जैसे पलंग,बरतन रसोई का सामना वो छोड़े जा रही थी ।कभी कभार हिसाब किताब करने जोगिंदर आया करेगा तो कम से कम आराम से खा पी लेगा और आराम कर पायेंगा।
पता नही क्यों जब से जोगिंदर ने वो सपने वाली बात बताई थी रमनी के दिल की धडकन तेज हो गयी थी ।
वह अपने आप को ही कोस रही थी कि क्यों उसने चंचला को बार बार अपने रिश्ते के बीच लाया ।माना पहले वो बालक बुद्धि थी लेकिन अब तो वो परिपक्व हो गयी है दो बच्चों की मां और तीसरा पेट मे पल रहा है लेकिन फिर भी वो बचकानी बातें ही करती है । हां उसे जोगिंदर के प्यार का अहसास है पर वो जब औरतों की सिखाई मे आ गयी थी तब उसे ये लगता था जैसे जोगिंदर ने उसका इस्तेमाल किया है चंचला की आत्मा को अपने से दूर करने के लिए।
सामान गाड़ी मे लद चुका था । जोगिंदर भी आ गया था चलने की तैयारी हो गयी ।रमनी जाते हुए आख़िरी बार हवेली को जी भर कर देख रही थी कि ना जाने फिर कब आना होगा ।जब वो गाड़ी मे बैठने लगी तो पहले तो उसकी दाईं आंख जोर से फड़की।फिर एकदम से जोगिंदर को छींक आ गयी ।
रमनी ने दो मिनट के लिए पैर ठिठकाए ।फिर वह गाड़ी मे बैठ गयी जैसे ही गाड़ी चलने लगी तभी रमनी एक चीज देखकर घबरा गयी।
(क्रमशः)