गतांक से आगे:-
दोनों ने जिद भी ऐसी कर ली थी ना कि कमला से ना उगलते बनता था ना निगलते ।अगर वो चंचला का सत्य सिया और जिया को बता देती तो उसे रमनी मेमसाब का डर लगता था और नहीं बताती तो उन दोनों की कसम टूटती थी।कमला ने दोनों से वादा लिया कि तुम्हें कसम है जो कभी बड़ी मां के आगे चंचला का जिक्र किया तो।
कमला यादों में खो गई और वो सब कुछ बता दिया जो कभी रमनी ने उसे बताया था और जो जो बात उसके आंखों के सामने घटित हुई थी।उसने वो सब कुछ बताया कि किस तरह चंचला सदियों तक अपने सूरज की राह देखती रही ।और जब तक उसकी आत्मा को शांति ना मिली जब तक वो अपने प्यार को अपने साथ नहीं ले गयी।
सिया भावुक होते हुए बोली,"दाईं मां "क्या यही प्यार होता है"। क्या यही सच्चा प्यार है जो मरकर भी दो जन्म भटकने के बाद भी वो(चंचला) अपने प्यार को नहीं भुली और बार बार जन्म लेकर भी पिता जी के पास ही नियति उन्हें लाती रही।"
सिया और जिया भावुक हो चुकी थी दोनों की आंखों से आंसू बह चले थे सिया के सवाल से कमला भी भावुक हो गईं लेकिन उन्हें समझाते हुए बोली," बेटा जहां तक मुझे लगता है प्यार का नाम पा जाना नहीं बल्कि उसके लिए मर मिटना ही प्यार है।चंचला ने एक बार तो मुक्ति पा कर अपने प्यार के प्यार के लिए उसने सब कुछ त्याग दिया था लेकिन बाद में वो नियति के हाथों मजबूर हो गयी थी।"
वो तीनों चंचला की स्थिति को जान कर दुःखी हो रही थी ।सिया और जिया को ये भी पता था कि उनके पापा की उनकी बड़ी मां से लव मैरिज थी।तभी जिया बोली,"क्यों दीदी क्या बड़ी मां ने सच्चा प्यार नहीं किया पापा से। उनका तो सबसे सच्चा प्यार था जब ही तो पापा के बिछोह में बड़ी मां इतनी कठोर और संगदिल हो गई है।"
कमला ने भी इस बात की हामी भरी कि मेमसाब और साहब जी में बहुत गाढ़ा प्यार था तभी तो मरने के बाद भी साहब जी की आत्मा मेमसाब से मिलने आई थी और अभी तक आ रही है।
तभी बाहर से फिर रमनी चीखी,"लड़कियों तुम्हें एक बात बार बार कहनी पड़ेगी क्या। क्यों खुसर फुसर कर रही हो जाओ और चुपचाप अपनी किताब और कापी बैग में भरो और खाना खाकर सो जाओ।
सारा दिन का ये खींखीं करके हंसना और पटरपटर बातें करना मुझे नहीं पसंद।"
सिया ने मुंह पर अंगुली रखकर सब को चुप रहने का इशारा किया और बोली,"देखा मैं ना कहती थी बड़ी मां पिता जी के बिछोह में बंजर जमीन जैसी हो गई है।उन पर भावनाओं और प्यार भरी बातों का कोई असर नहीं होता है।"
सब अपने अपने कामों में लग गए।कमला भाग कर किचन में गई और खाना बनाने लगी और सिया और जिया को तो जैसे सांप ही सूंघ गया था।वो तो वैसे ही डरी सहमी रहती थी।
ऐसे ही एक दिन कमला ने रमनी का अच्छा मूड़ देखकर कहा,"मेमसाब आप सिया और जिया को इतना दबा कर क्यों रखती हो ?"
तो रमनी ने जो बात कही वो सही भी लगी कमला को और उसका सनकीपन भी लगा वो बोली,"कमला अगर मैं इन्हें दबाकर नहीं रखूंगी तो ये बाहर जाएं गयी , प्यार मोहब्बत के चक्कर में पड़ेगी और फिर वही बातें होगी । मैं नहीं चाहती इनकी गति भी चंचला की तरह हो।"
तब बहुत सालों बाद रमनी के मुंह से चंचला का नाम निकला था।
कमला जानती थी रमनी मेमसाब के जीवन में चंचला की आत्मा ने क्या उथल पुथल मचाई थी। उसे पता था रमनी मेमसाब उसे एक नौकरानी से बहुत ज्यादा कुछ समझती थी।तभी अपने मन की सब बातें उसे बता देती है।
रमनी ने ही कमला को बताया था कि जोगिंदर के मरने के बाद उसे जोगिंदर और चंचला की आत्मा का अहसास होता है ।जब गांव में चाचा जी के लड़कों ने जमीन पर कब्जा करने की सोची थी तो चंचला की आत्मा ने ही उसे सचेत किया था कि " रमनी बहन जाओ और जा कर गांव की जमीन को सम्हालो । रिश्तेदार हड़पना चाहते हैं ।" रमनी तुरंत पुलिस लेकर गांव पहुंची थी और बड़ी मुश्किल से अपनी जमीन छुड़ाई थी उनके चंगुल से।
रमनी को एक आंख भी नहीं भाता था चंचला को बार बार उसके बच्चों को अपने बच्चे कहना। सिया और जिया से घृणा करने का एक कारण ये भी था कि रमनी की उन दोनों के प्रति उदासीनता देखकर चंचला की आत्मा उन दोनों को अपनी बेटियां ही कहकर बुलाती थी।वो जब भी उन्हें जरूरत से ज्यादा डांटती थी तो उसी रात जोगिंदर और चंचला की आत्मा आकर उसे डांटती थी "तुम क्यों सारा दिन मेरी बेटियों के पीछे पड़ी रहती हो " ये प्यार भरा उलहाना भी रमनी को अंदर तक नश्तर की तरह चुभता था।
पर चंचला की आत्मा ने जो वचन जोगिंदर की मृत्यु के बाद दिया था वो मन से निभा रही थी।
बहुत से ऐसे मौकों पर चंचला की आत्मा ने रमनी को आने वाली विपत्तियों से बचाया था ।एक बार जिया घर की छत पर चली गई थी अकेली जब वो तीन साल की ही होगी रमनी ने उसे किसी बात पर बहुत बुरी तरीके से डांट दिया था ।वह बेचारी डर के मारे छत पर भाग गयी और जाकर पानी के टैंक में छुपने के चक्कर में पानी के टैंक में गिर गई।बस उसकी सांसें थमने ही वाली थी कि तभी रमनी को लगा जैसे चंचला की आत्मा ने बड़े ही गुस्से से उसके कमरे में प्रवेश किया और जैसे रमनी को झकझोर दिया उसका बेड अपने आप हवा में लहराने लगा और वह चीखकर बोली,"तुम यहां बेखबर सो रही हो बेचारी जिया को डांटकर और वो उपर छत पर पानी में डूब रही है।"
रमनी ने इतना सुनते ही चीखते हुए नौकरों को आवाज दी और स्वयं नंगे पैर छत की तरफ दौड़ी और बड़ी मुश्किल से जिया को पानी से बाहर निकाला वह बेहोश थी और डर का आलम ये था कि वह बेहोशी में भी यही कह रही थी "बड़ी मां मुझे मत मारना।"
उस रात पूरी रात चंचला की आत्मा रमनी को परेशान करती रही ।रमनी देख रही थी जोगिंदर हमेशा उसके साथ होते थे पर वो बोलते कुछ भी नहीं थे।वो शायद मौन रहकर ही अपना वचन निभा रहे थे।
(क्रमशः)