गतांक से आगे:-
सिया ने एक बहादुर योद्धा की तरह बेड पर खड़े हो कर कहा," देखा जाएगा कमला मां ।जब प्यार कर ही लिया है तो डरना किस बात का । क्या पापा ने प्यार नहीं किया था मां से फिर हम इस अनमोल अहसास से दूर क्यों रहें।"
कमला आगे होने वाली अनहोनी को सोचकर अंदर से दहल गई।पर दोनों लड़कियों के आगे कुछ नहीं बोली।
इधर जब कमल और नसीब घर जा रहे थे तो नसीब की साइकिल कल्याण झुग्गी की ओर मुड़ गई क्योंकि अब्दुल मियां को ताजा अपडेट जो करना था।कमल सीधा घर पहुंचा और देखा उसके पापा स्टडी रूम में है वह वहीं पहुंच गया।बेटे का खिला हुआ चेहरा देखकर मिस्टर बजाज समझ गये की बात बन गई है। उन्होंने इशारें से पूछा तो कमल ने सिर हिलाकर हां में जवाब दिया। दोनों बाप बेटा मुस्कुरा दिए।
जब नसीब कल्याण झुग्गी पहुंचा तो अब्दुल मियां किसी काम से वापस लौटे थे थोड़ा झुंझलाए हुए थे ।जब नसीब ने जाकर ये खुशखबरी दी कि लड़की पट चुकी है ।उसने हामी भर ली है बस वो अपनी मां से डरती है ।तब अब्दुल मियां ने झुंझलाकर कहा,"भगा कर ले जाओ लड़की को तुम्हारा रहने का इंतजाम मैं करवा दूंगा दूसरे शहर में और जितना जल्दी हो सके धर्म परिवर्तन करवाकर हमारी कौम में शामिल करो।"
"जी चचाजान।" ये कहकर नसीब कमरे से बाहर हो गया।
रात को रमनी थोड़ा लेट हो गई थी फैक्ट्री से आने में । फैक्ट्री के किसी वर्कर की बेटी का ब्याह था ।वो बड़ी मिन्नतें कर रहा था रमनी से कि बड़ी मां आप एक बार आकर लड़की को आशीर्वाद दे जाओ।तभी रमनी ने सोचा लड़कियां सब की सांझी होती है इसलिए वह उसके ब्याह में कन्यादान देने चली गई थी।
रात को सिया को फिर से वही अहसास हुआ जैसे कोई उसके पलंग के चारों ओर मंडरा रहा है उसने पास में सो रही जिया को जोर से कोहनी मारी ।जिया एकदम से उठ बैठने को हुई तो सिया ने उसका हाथ पकड़कर खींचकर बेड पर लिटा दिया और हाथ के इशारे से चुप रहने को कहा ।तब जिया ने देखा कोई काली परछाई उनके बेड के चारों ओर मंडरा रही है।उसने सिया से इशारा करके पूछा "कौन है?"
तब सिया होंठों में ही बुदबुदा उठी ,"चंचला मां"
जिया की तो जैसे जान ही निकल गई।वह किसी आत्मा से साक्षात्कार पहली बार कर रही थी।वह बिल्कुल सीधी लेटी हुई थी।आज सिया को कम डर लग रहा था क्योंकि वह पहले भी चंचला से मिल चुकी थी।
वह परछाईं धीरे धीरे आकार ले रही थी।तभी जिया ने देखा एक लाल कपड़े जो पहले कि रानियां पहनती थी ऐसे श्रृंगार में एक औरत उन दोनों के बिल्कुल नजदीक खड़ी है।सिया ने पलंग पर बैठकर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया लेकिन जिया की घिग्घी बंधी हुई थी।
उसके प्रणाम करने से चंचला जैसे ममतामई बन गयी और बोली,"जीती रहो मेरी बच्चियों।"
जिया बड़े गौर से चंचला को देख रही थी बला की खूबसूरत थी वो।उसे अब समझ आया कि उसके पिता पिछले जन्म में इनके प्यार में पागल क्यो हो उठे थे कयोकि वो थी ही इतनी सुंदर कोई भी लड़का पागल हुए बिना नहीं रह सकता था। अब जब सिया को आराम से चंचला से बात करते देखकर जिया का डर भी कुछ कम हुआ वह बड़े प्यार से उन दोनों के सिर पर हाथ फेर रही थी।तभी वह कुछ चिंतित दिखाई थी तो सिया ने पूछा,"मां आप आज इतनी चिंतित क्यों दिखाई दे रही है?"
चंचला ने चिंतित होते हुए कहा,"मेरी बच्चियों मैं जानती हूं तुम उस अहसास से गुजर रही हो जो अनमोल है मेरा मतलब "प्यार के अहसास से है " लेकिन मुझे कुछ ठीक दिखाई नहीं दे रहा वो दोनों लड़के मुझे कुछ सही नहीं लग रहे।"
दोनों एकदम से बोली,"क्यों मां? ऐसा क्या देखा आपने?"
"पता नहीं कुछ ठीक सा नहीं लग रहा।शायद ये एक मां की चिंता ही हो बस।" चंचला बोली।
तभी दोनों लड़कियों को रमनी के पदचापों की आवाज सुनाई दी।वो दोनों एकदम से घबरा गई और मुंह से जोर से निकल गया,"शायद बड़ी मां आ गई है।"
तभी चंचला अचानक से गायब हो गई।जिया और सिया एकदम चुपचाप दम साधे पड़ी रही ।
सुबह जब दोनों उठी तो जिया ने सिया से कहा,"दीदी चंचला मां ने ऐसा क्यों कहा कि लड़के सही नहीं है हम तो कितने दिनों से देख रहे हैं कमल और नसीब में तो हमें कोई कमी नजर नहीं आती।"
सिया ने हंसते हुए कहा,"तू ये बात क्यों नहीं समझती है कि चंचला मां भी तो एक मां का ही दिल रखती है हम उनकी प्यारी बेटियां हैं उनका चिंतित होना स्वाभाविक है।"
दोनों फटाफट तैयार हो कर इंस्टीट्यूट के लिए निकल गई।पता नहीं आज दोनों का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था बस अपने प्रियतम की एक झलक पाने के लिए दोनों उतावली हो रही थी।
आखिरकार थी तो वो रमनी और जोगिंदर की बेटियां । जोगिंदर का रमनी के प्रति जो प्यार था वह पूरा गांव जानता था किस प्रकार सब की आंखों के सामने रमनी का ब्याह तिकड़म बाजी करके रुकवा कर खुद उसका दुल्हा बन बैठा था।और रमनी भी सभी से बग़ावत करके जोगिंदर की होकर रही। प्यार चीज ही ऐसी है जब हो जाता है तो अच्छा बुरा कुछ नहीं सूझता सारी खूबियां अपने प्रेमी और प्रेमिका में ही दिखाई देती है।
सूरज सेन को चंचला का बंजारा जाति से होना भी ग़लत नहीं लगा वो राजा का बेटा और चंचला बंजारन। जोगिंदर जागीरदार होते हुए भी अपने खेत में काम करने वाले मजदूर की बेटी को ब्याह लाया।और अब सिया को भी नसीब का मुस्लिम जाति का होने से भी कोई परहेज नहीं था।।
दोनों इंस्टीट्यूट गयी तो वो दोनों अपनी क्लास के बाहर ही खड़े मिले दोनों जैसे ही वहां पहुंची दोनों आकर ऐसे लिपट गये दोनों से जैसे जन्मों के बिछड़े हो और उन्हें साथ के खाली पड़े कमरे में ले जाकर उलहाना सा देने लगे कि इतनी देर क्यों लगा दी हम कब से इंतजार कर रहे हैं।
दोनों भी उन दोनों के प्रेम पाश मे ऐसे बंध गई जैसे अब उनके बगैर रह ही नहीं पायेंगी।उन के प्रेम की मान मनुहार चल ही रही थी कि तभी सिया एकदम से किसी को खिड़की पर देखकर चीखी।
(क्रमशः)