गतांक से आगे:-
आज नसीब पूरे मूड में था ।सुबह से ही तैयार हो रहा था इंस्टीट्यूट जाने के लिए ।कमल देख रहा था नसीब ने बड़े करीने से दाढ़ी तराशी थी ।और आज जो पेंट शर्ट पहनी थी वो गजब ढा रही थी उस पर । इत्र की महक पूरे कमरे में आ रही थी ।कमल को लग ही रहा था शायद आज सिया को अपने मन की बात बोल ही देगा।
कोई प्यार भरा गाना नसीब गुनगुनाते हुए इंस्टीट्यूट के लिए साइकिल लेकर निकल गया।
आज मिस्टर अशोक बजाज अपने कमरे में बेचैनी से घूम रहे थे उन्होंने इंस्टीट्यूट जाते कमल को आवाज दी।
"कमल सुनो,मैं कुछ कहना चाहता हूं।"
"जी पापा , बोलिए।"
"बेटा मैंने तुम्हें एक काम सौंपा था उसमें कुछ आगे बढ़े?"
अशोक बजाज ने चिंतित होते हुए कहा।
कमल ने भी मुस्कुराकर कहा,"पापा आप का ही बेटा हूं कभी हार नहीं मानूंगा ।दाना फेंक दिया है बस शिकार फंसने की देर है ।"
अशोक बजाज भी रहस्यमय तरीके से मुस्कुराते हुए कमल को जाते हुए देखने लगे।
आज दोनों समय पर इंस्टीट्यूट पहुंचे थे नहीं तो नसीब हमेशा कमल से देरी से पहुंचता था साइकिल होने के कारण पर आज कमल के पापा ने उसे रोक लिया था और नसीब पहले ही साइकिल लेकर निकल गया था।
सिया और जिया दोनों उन दोनों का क्लास रूम में इंतजार कर रही थी ।आज रुबी ने भी कोई नया लड़का पटा रखा था।तभी कमल और नसीब दोनों अंदर आये और जिया और सिया के साथ बैठ गये ।आज सिया को नसीब बड़ा ही हैंडसम लग रहा था।वह उसे देखकर अंदर ही अंदर सिमटी जा रही थी।आज नसीब मूड़ में था तभी कभी सिया के साथ पर हाथ रख देता था तो कभी उससे बिल्कुल सट कर बैठ जाता था और वो बेचारी शरमा जाती थी।तभी लंच टाइम हुआ।सिया वोशरूम के लिए बाहर निकली तो नसीब भी उसके पीछे-पीछे चल दिया तभी कमल ने मन ही मन सोचा "आज तो मन की बात कहकर ही दम लेगा ये लड़का।"
जब सिया वाशरुम से बाहर निकली तो नसीब कोरिडोर में ही खड़ा था जैसे ही सिया उसके पास से गुजरी उसने उसका हाथ पकड़ा और खींच कर बराबर वाले खाली रूम में ले गया और आंखों में नमी भर कर बोला,"ऐसे कब तक अंजान बनी रहोगी तुम ।जबसे तुम्हें पहली बार देखा है सच में तुम्हारा होकर रह गया हूं और तुम अभी तक नहीं समझी।आज जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ने चाह तो तुमने पीछे क्यों कर लिया।"
नसीब बहुत इमोशनल होकर सिया को ये सब कह रहा था।
तभी सिया के गालों पर आंसू लुढ़क आये वह नसीब के सीने से लगकर बोली,"हमें प्यार करने की इजाजत नहीं है।"
"पर क्यों? प्यार तो खुदा का दिया अनमोल तोहफा है फिर तुम क्यों इससे दूर भागती है।" नसीब ने सिया से कहा।
"तुम समझते नहीं हो नसीब ।हमारी बड़ी मां प्यार के सख्त खिलाफ हैं उन्होंने इंस्टीट्यूट भी इसी शर्त पर भेजा है कि हम प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़े गी तभी हम यहां आ सकती है।" सिया ने आंखों में पानी भर कर कहा।
"देखना एक दिन तुम्हें तुम्हारी बड़ी मां के सामने से उठाकर ले जाऊंगा और वो देखती रह जाएंगी।" नसीब ने तैश में कहा।
"तुम समझते हो प्यार तुम ही जताना जानते हो अरे जब से तुम्हें देखा है बस खींची चली जा रही हूं तुम्हारी ओर पर जब बड़ी मां की बात याद आती है तो कदम पीछे हट जाते हैं।चंचला मां ने तो कहा…….." अचानक से सिया के मुंह से चंचला का नाम निकल गया वह एकदम चुप हो गयी।
"कौन….कौन चंचला मां?" नसीब ने उससे पूछा।
"कोई नहीं….. वो दाई मां को हम कभी कभी चंचला मां कह देते हैं। सिया ने बात बदलने की कोशिश की।
"हां हां …. वहीं तुम्हारी चंचला मां ने क्या कहा था?"
नसीब उत्सुक होकर बोला।
"यही की प्यार भगवान की तरफ से एक अनमोल तोहफा है अगर तुम्हारे मन को कोई जान से ज्यादा भा गया है तो उसे स्वीकार करो। " सिया ने बात पलट दी।
"कहां है तुम्हारी चंचला मां ? मैं उनके चरणों को चूमना चाहूंगा बताओं जो बात मैं तुमसे कह रहा हूं वो ही बात उन्होंने तुम से कहीं।" अंदर से धूर्तता भरी हुई थी नसीब के मन में । उस्ताद ने मिशन कामयाब करने को जो बोला था।
तभी जिया और कमल उन्हें ढूंढते हुए वहां आ गये।कमल उन दोनों को ऐसे खाली कमरे में बात करता देखकर बोला,"अगर लैला मजनू की बात पूरी हो गयी हो तो चले।"
तभी सिया ने कमल की ओर हंसते हुए कहा," हां हां हम लैला मजनू बने सब को दिखाई दे रहे हैं और कोई छुप छुप कर मजनू गिरी कर रहा है ।"
तभी जिया चिहुकी," तुम्हारा क्या मतलब है ?"
सिया ने आंखें मटकाते हुए कहा,"क्यों कमल कल जब मैंने नसीब के विषय में पूछा था तो तुम चोरी चोरी किसका स्केच बना रहे थे।"
"वो…वो वो …तो बस ऐसे ही ।"कमल झेंप गया।
"हां हां ऐसे ही … फिर उसके नीचे आई लव यू जिया क्यों लिखा था?" सिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
सिया ने कमल की तरफ प्रश्न सूचक निगाहों से देखा।
कमल मुस्करा दिया ," तो क्या ? हां मैं जिया को चाहता हूं उसे पसंद करता हूं ।अब ये उसकी मर्जी है वो मुझे चाहे या ना चाहे।"
जिया भी काफी समय से नोट कर रही थी ये बात कमल आजकल उसके नजदीक आने की कोशिश कर रहा था ।वैसे जिया को भी कमल अच्छा लगता था।पहली ही नजर में दिल दे बैठी थी कमल को पर अपनी स्वच्छंद प्रवृत्ति के कारण सामने से कभी स्वीकार नहीं किया था कि वह भी कमल को चाहती है।पर आज जब सिया ने कमल की ये बात बताई की वह चुप चुप कर उसकी तस्वीर बनाता है तो ये बात कहीं उसके मन को छू गयी और वह शरमा गई।जिया को इस तरह शर्माते देखकर सिया की हंसी छूट गई और वह हंसते हुए बोली," वाह!भयी वाह! आज तो हमारी टाम ब्वाय भी शर्मा रही है।"
चारों खिलखिला कर हंस पड़े और घर की ओर चल दिए।जिया और सिया पहले प्यार का अहसास अपने अपने मनो में लेकर और कमल और नसीब मिशन कामयाबी की खुशी अपने सीने में लेकर।
(क्रमशः)