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क्या यही प्यार है?-2(भाग:-12)

28 जुलाई 2023

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गतांक से आगे:-

रमनी एकदम से हड़बड़ा कर उठ बैठी और अपने आप को चेताया तो उसने पाया वहां कोई भी नहीं था।
नौकर ने एक बार फिर से दरवाजा खटखटाया,"बड़ी मां कोई आया है वो आप से मिलना चाहता है।"
रमनी अनमने ढंग से उठी और दरवाजा खोल कर बाहर आई और नौकर पर झल्ला कर बोली,"कौन आया है ?"

नौकर ने बैठक की तरफ इशारा कर दिया।रमनी ने जाकर देखा तो उसके चाचा ससुर का बड़ा लड़का बैठा था उसने रमनी को देखते ही खड़े होकर प्रणाम किया 
"प्रणाम भोजाई"

रमनी ने उसे देखा तो माथा ठनक गया और बड़े ही अनमने ढंग से उसका प्रणाम स्वीकार किया।
"नमस्कार लला जी ,बोलों किस काम से आये?"

"बस भाभी शहर आया था सोचा आप से मिलता चलूं और सब ठीक है यहां।"  गांव से आते उसके देवर ने कहा।
रमनी भी चिढ़ कर बोली,"काम तो जरूर कोई और ही है ललाजी ,वरना आप लोग तो पूछते भी नहीं हमें कि हम मर रहे हैं या जी रहे हैं ।"
"ना भोजाई ऐसी कोई बात ना है बस दो एक काम थे आप से ।एक तो बेटे की नौकरी नवीन के महकमें में क्लर्क की भर्ती होनी है थोड़ी नवीन की सिफारिश….
दूसरा वो तालाब के पास वाली जमीन चाहिए थी । मां का बड़ा मन था वहां एक छोटा सा मंदिर बनवाने का।"

रमनी शेरनी की तरह गुर्राते हुए बोली,"अच्छा तो जमीन हड़पने आये हो ऐसे नहीं तो वैसे ।अब मंदिर का बहाना ।सुनो ललाजी नवीन कभी किसी की सिफारिश नहीं करता और रही बात मंदिर की तो वो मैं अपने आप देख लूंगी गांव जाकर एक दिन ।आप को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।और हां आप अपने भाई के घर आते हो नाश्ता पानी कर के जाना ।"
यह कहकर रमनी ने विशनू को आवाज दी और स्वयं उठकर अंदर चली गई।
गांव से आये उसके चाचा ससुर के लड़के से और बेइज्जती बर्दाश्त नहीं हुई और वह उठकर चला गया।
रमनी की बातों से उसकी कठोरता झलकती थी ।ये वही कुनबे वाले थे जो जोगिंदर की चिता की आग भी शांत ना हुई थी और ये जमीन हड़पने की बात करने लगे थे ।जेसे ही रमनी ने मना किया झट से उठकर चल दिए थे। बेचारी ने अकेले ही सीने पर पत्थर रखकर तेरहवीं की थी जोगिंदर की ।आज चौदह बरस हो गये थे कभी पूछने नही आये कि उसका और बच्चों का क्या हाल है।

रमनी ने मुंह बिचका दिया था एक बारी जब वो उसके गांव के देवर उठ कर गये।
रमनी ने देखा सिया और जिया के कमरे से जोर जोर से आवाजें आ रही थी ।वो किसी बात को लेकर खुश हो रही थी ऐसा उनकी बातों से लग रहा था ।रमनी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और उनके कमरे में भड़भड़ा कर पहुंच गयी और जोर से डांट पिलाई थी दोनों को," तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसे हंसी ठठ्ठा कर रही हो जैसे पता नहीं क्या खजाना मिल गया है तुम दोनों को , बेशर्मों कुछ शर्म करो आज तुम्हारे पिता की पुण्यतिथि है और तुम दांत निकाल रही हो ।"
बेचारी सिया और जिया एकदम से सहमत गयी बड़ी मुश्किल से सिया ने हकलाते हुए कहा,"वोवोवो…. बड़ी मां , जिया मुझे कह रही थी कि कल ट्यूशन पढ़ने जाएं गे तो कौन कौन सी किताबें लेकर जानी है।"
रमनी को उनका बाहर जाना पहले ही गले नहीं उतर रहा था उपर से उन दोनों में बाहर जाने की उत्सुकता देखकर रमनी जोर से दहाड़ी "सुनो री छोरियों।बाहर पढ़ने ही जाना ।कहीं बाहर की हवा में बह कर नयन मटक्का ना करने लग जाना।अगर मुझे कहीं भी ग़लत खड़ी दिखाई दे गयी तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।"
दोनों लड़कियों की हिम्मत नहीं हो रही थी अपनी मां  की तरफ देख भी जाए।आंखें नीची किए वहीं खड़ी रही।रमनी दोनों को डांट कर अपने कमरे में आ गयी।
कमला ने जब रमनी को सिया और जिया के कमरे में जाते देखा तो उसे समझ आ गया कि आज रमनी मेमसाब का गुस्सा दोनों मासूम पर बरस कर रहेगा।
जैसे ही रमनी कमरे से बाहर गयी कमला दौड़ कर कमरे में गई और दोनों को सीने से लगा लिया।
तभी सिया सिसक पड़ी,"दाई मां आप ही बताओ हमने ऐसा क्या कर दिया था जो बड़ी मां हम पर इतना नाराज़ हो गई।हमने कभी कोई शिक़ायत नहीं की उन से वो हमेशा हमें दबा कर रखती है ।घर से बाहर नहीं जाने देती ,हमने बाहर की दुनिया को कभी जाना ही नहीं ।अगर कल हम ट्यूशन जाने के बहाने बहार जाने के लिए उत्सुक हैं तो क्या ग़लत है ।अगर किसी बच्चे को कभी टाफी ना मिले और अचानक उसे पूरा डिब्बा मिल जाए तो उस बच्चे की  खुशी  देखना दाईं मां कितना खुश हो जाता है। वैसा ही हमारा हाल था ।रही बात पिताजी की पुण्यतिथि की तो क्या पिता जी खुश हों गे ऐसे जो बड़ी मां हमें डांट पिलाकर चली गई।"
कमला ने उन्हें पुचकारते हुए कहा,"बिटिया वो साहब जी को कभी भूल ही नहीं पाई है । मैंने उन को देखा है कैसे टूट कर प्यार करती थी साहब जी से ।जब उन्हें चंचला का पता… नहीं नहीं कुछ नहीं।"कमला को याद आ गया कि रमनी ने कड़ाई से मना कर रखा था कि चंचला का नाम कोई भी इस घर में नहीं लेगा ।
सिया और जिया दोनों एकदम से चौंकी और कमला के पीछे ही पड़ गई कि दाई मां ये बताओ ये चंचला कौन है?"
कमला बात को टालते हुए बोली ,"नहीं बिटिया मेरे मुंह से ऐसे ही यह नाम निकल गया था।ऐसा कुछ भी नहीं था।"
उन दोनों को पता चल गया था कि उनकी दाई मां उन से कोई बात छुपा रही है उन दोनों ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और कमला के आगे खड़ी होकर उसके हाथ अपने सिर पर रख कर बोली,"दाईं मां आप को हमारी कसम आप हमें ये बताएं कि यह चंचला कौन है ?और उसका हमारे पिताजी और बड़ी मां से क्या रिश्ता है?"

कमला की आंखों में पानी आ गया और वो उन दोनों बच्चियों पर होने वाले अत्याचारों का होने वाला कारण उन दोनों को बताने के लिए तैयार हो गई।
(क्रमशः)





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रचनाएँ
क्या यही प्यार है?--2
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