गतांक से आगे:-
रमनी पागलों की तरह अपनी मां का चेहरा देखने लगी और झल्ला कर बोली,"क्या मां तुम भी ऐसे ही बोलती रहती हो माना जब बच्चे हुए तब इनको काम के सिलसिले में जाना पड़ गया पर इसका मतलब ये तो नहीं कि तुम गुस्से में जो मन में आयेगा वो बोल दोगी।देखो ऐसा नहीं बोलों आखिर वो तुम्हारे दामाद है।"
*बस मेरी बिटिया मन कड़ा कर ले जो बात मैं तुझे बताने जा रही हूं वो बिल्कुल सच है अब हमारे दामाद कभी वापस नहीं आयेंगे सुबह जब वो जचचगी का थैला लेने घर गये थे तब घर से लौटते समय उनका भयंकर एक्सीडेंट हो गया और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी ।अभी थोड़ी देर पहले उनका एक दोस्त बताकर गया है और दामाद जी का पार्थिव शरीर भी इसी अस्पताल में हैं।"
"नहीहीही…….. मां तुम बिल्कुल झूठ बोल रही हो ।वो अभी थोड़ी देर पहले तो यही थे । मैंने स्वयं उन्हें अपनी आंखों से देखा है।वोवोवो…बच्चों को सम्भाल कर रखने को बोल कर गये हैं ।देखना मां वो अभी आ जाएंगे।तुम देख लेना।" रमनी पागलों की तरह बातें करने लगी । जुड़वां बेटियों को ,जिसे उसने हाथ में ले रखा था वो उसके हाथ से गिरते गिरते बची।
रमनी की मां ने दौड़ कर दोनों बच्चों को पकड़ा।तभी कमला भी अंदर कमरे में आ गयी और रमनी के बेड के पास आकर अश्रु पूरित नेत्रों से उसका सिर सहलाने लगी और बोली," मेमसाब, मां जी ठीक कह रही हैं।मैं स्वयं अपनी आंखों से साहब जी का पार्थिव शरीर देखकर आ रही हूं। भगवान के आगे किस का बस चला है ।आप धीरज धरे और अपनी नवजात बच्चियों की तरफ देखिए।"
"कमला तू भी मां की तरह पागलों जैसी बातें कर रही है।अगर तुम्हारे साहब जी इस दुनिया में नहीं है तो मेरी सांसें कैसे चल रही है ।तुम दोनों ही झूठ बोल रही हो।"रमनी ने लगभग चीखते हुए कहा।
"ओ बिटिया धीरज रख ।अब होनी को कोई टाल नहीं सकता।" यह कहकर रमनी की मां जोर जोर से रोने लगी।
तभी उन दोनों ने देखा रमनी पागलों की तरह ठहाका मार मार कर हंसने लगी जैसे पागल हंसता है और फिर एकदम से पत्थर की मूरत की तरह शांत हो गयी।
रमनी की मां बार बार उसे हिला कर चेता रही थी ताकि उसे होश आ जाएं।पर रमनी तो एक अलग दुनिया में जा चुकी थी।
शाम तक जोगिंदर के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम भी हो गया और रमनी को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गयी । जोगिंदर के आफिस के लोग और गांव से हरिया और बोला भी आ गये थे। एम्बुलेंस में रमनी के बापू बैठे और दूसरी गाड़ी में रमनी और उसकी मां व कमला बच्चियों को लेकर घर आ गये ।
रमनी को कमरे में लिटा कर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे । रमनी को कोई होश नहीं था अपना ना वह बच्चियों को दूध पिला रही थी ना ही देख रही थी कि वो रो रही है ।
कमला ही बच्चियों का ध्यान रखें हुए थी।रमनी के बापू ने और हरिया व बोला ने नम आंखों से सारा इंतजाम किया जब अर्थी उठाने से पहले अंतिम दर्शन के लिए रमनी को लाया गया तो जोगिंदर का मुख देखकर रमनी जोर से बोली,"देख लिया मां कैसे नौटंकी कर रहे हैं ऐसे ही सपने में भी मुझे दिखे थे ।"
वह जोगिंदर के शरीर को हिला हिला कर बोली,"अब उठ भी जाओ बहुत सता लिया तुमने ।तुम जानकर ऐसी हरकत करते हो ताकि मैं बार बार तुम्हें अहसास दिलाती रहूं कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूं। अच्छा बाबा आज सब के सामने कह रही हूं 'हां मैं तुम को बहुत प्यार करती हूं।"
रमनी के बापू ने उसकी मां की तरफ इशारा किया कि रमनी को रुलाओ नहीं तो ये पागल हो जाएगी ।तभी रमनी की मां रमनी के पास गयी और उसके हाथों को जोगिंदर के पार्थिव शरीर के ऊपर करके दोनों हाथों की चुड़ियों को तोड दिया और उसके गालों पर थप्पड़ बरसाते हुए बोली,"पगली क्यों नहीं समझती तेरा जोगिंदर अब इस दुनिया में नहीं रहा वो हम सब को छोड़कर जा चुका है।तू रोती क्यों नहीं देख अब तू विधवा है गयी है अपने जोगिंदर की विधवा।"
यह कहकर रमनी की मां ने अपना आपा पीट लिया।
तभी रमनी की जोर से चीख के साथ रुलाई फूट पड़ी
"नहीहीही…….. तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते ।देख लिया मां चंचला ले गयी उन्हें अपने साथ ।उसने कहा था वो उसके है वो उनको छोड़ेंगी नहीं। मां "क्या यही प्यार है " अपनी आत्मा को शांति देने के लिए उसने मेरा घर उजाड़ दिया हाय चंचला! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ।"
यह कहकर रमनी दहाड़े मार मार कर रोने लगी।
अब जाकर रमनी के पिता को तसल्ली हुई कि बिटिया ठीक हो जाएगी भगवान ने तो मार मार ही दी थी पर अगर रमनी भी पागल हो जाती तो बच्चों को कौन रखवाली होता। दोनों बेटे सहमे से अपनी नानी की बगल में बैठे अपने पिता के पार्थिव शरीर को ताक रहे थे ।
सभी गांव वालों ने मिलकर नम आंखों से जोगिंदर को अंतिम विदाई दी।
अंतिम संस्कार में रमनी के काकसर और कुनबे के लोग भी आये थे।सब की आंखें जोगिंदर की ज़मीन जायदाद पर लगी थी ।परमेश्वर काका ने तो बातों ही बातों में कह भी दिया था," बेटा बहू तुम किसी बात की चिंता मत करों गांव की जमीन की रखवाली हम कर लेंगे।तुम यहां शहर में आराम से रहो।"
रमनी ये सब पहले ही जानती थी क्योंकि जोगिंदर ने शहर आने से पहले सारा बंदोबस्त कर दिया था।तभी रमनी पल्लू माथे पर कर घूंघट निकाले बिरादरी में आई और बोली,"चाचा जी आप चिंता बिल्कुल भी मत करें।ये शहर आने से पहले सारा बंदोबस्त कर के आते थे । ज़मीन बंटाई पर दे दी है ।जब मर्जी जाकर गांव से पूरा हिसाब किताब ला सकते हैं।आप चिंता ना करें।"
रमनी के मुंह से ये बातें सुनकर कुनबे वालों को नमक मिर्च लगना लाज़मी था वो सुबह होते ही जोगिंदर की चिता की अग्नि शांत भी नहीं हुई थी तभी गांव भाग गये।
रमनी के बापू बड़बड़ाते हुए बोले,"कैसे रिश्तेदार हैं ? बेटे की चिता की अग्नि भी शांत ना हुई और ये लोग पैसों पर हक जताने आ गये । बिटिया तू चिंता मत कर मैं अभी जिंदा हूं इन शिकारियों से मैं बचाऊगा तुम्हें ।अपने जीते जी अपने नातियों का हक नहीं मरने दूंगा।
जोगिंदर की मृत्यु के चौथे दिन रमनी रात को अपने कमरे में लेटी थी चार रातों से वह सोई भी नहीं थी तभी अचानक उसकी पलकें बोझिल होने लगी और उसे नींद ने अपने आगोश में ले लिया तभी उसे लगा जैसे पलंग के पास खड़ा कोई उसका सिर सहला रहा है।
(क्रमशः)