ंगतांक से आगे:-
इधर रमनी का पलंग जोर जोर से उछलने लगा ।रमनी समझ गई कि चंचला दीदी है वो कुछ कहना चाहती है ।तभी उसे ऐसे लगा जैसे चंचला उससे कह रही हो "जा रमनी जा ,बचा ले जिया को वो मरने जा रही है ।वो बहुत तंग आ चुकी है।"
रमनी ने तुरन्त विक्की और गौतम को जगाया और आनन फानन में गाड़ी निकालकर जिया की ससुराल की ओर दौड़ पड़े।आधी रात को समधन को आया देख मिस्टर बजाज सकपका गये रमनी आते ही चीखी,"मेरी बेटी कहां है ? मुझे मेरी बेटी से मिलना है अभी इसी वक्त।"
मिस्टर बजाज बोले,"बहन जी पता नहीं क्या बात है आप की बेटी छोटी-छोटी बातों पर दरवाजा बंद करके बैठ जाती है । दोनों में कोई बात हुई और वे अपने कमरे में एक घंटे से दरवाजा बंद करके बैठी है।"
रमनी ने कमल को झिंझोड़ कर पूछा ,"अगर यहां इस अवस्था में तुम्हारी बहन होती तब भी तुम ऐसे ही हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहते । विक्की दरवाजा तोड़ दो ।"
गौतम और विक्की ने मिलकर दरवाजा तोडा तो सन्न रह गये जिया पंखे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुकी थी।रमनी की चीख निकल गयी । मिस्टर बजाज और कमल के होश फाख्ता हो गये थे ।तभी गौतम ने पुलिस को फोन कर दिया ।दनदनाते हुए पुलिस की पांच जिप्सी मिस्टर बजाज की कोठी के आगे खड़ी थी । दोनों बाप बेटे को जिया के सुसाइड नोट के हवाले से जेल भेज दिया गया ।और जिया का पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया ।जिस में ये साबित हो गया कि जिया को बड़ी बेदर्दी से मारा गया और सुसाइड के लिए उकसाया गया। दोनों बाप बेटे को आजीवन कारावास की सजा हुई ।
जिया का दाह-संस्कार करके रमनी ने उसकी भी अस्थियां सिया के साथ आंगन में ही गाड़ दी।और ऊपर से जिया और सिया को घर की देवियों का रुप देकर उनकी समाधि ही बना दी आंगन में ।ताकि रमनी को पल पल ये अहसास होता रहे कि उसके सनकी पन के कारण उसकी दो फूल सी बेटियां "प्यार" का मतलब नहीं समझ पाई और भगवान के पास चली गई।
रमनी बहुत रोती ,जिया और सिया को याद कर के पर जाने वाले कभी लौटकर नहीं आते ।बस यादें ही बाकी रह जाती है ।
जिया और सिया को गये साल भर से ऊपर हो गया था ।गौतम और विक्की की ससुराल वाले अब जोर देने लगे थे कि अब दोनों का ब्याह हो जाए।
रमनी का जिया और सिया के जाने के बाद किसी भी काम में मन ही नहीं लगता था ।बस वो तो जिंदगी काट रही थी। जब दोनों बेटों की ससुराल वालों ने ज्यादा जोर दिया तो रमनी ने हामी भर दी ।
गौतम और विक्की की शादी धूमधाम से हो गयी।पूरा शहर इस बात का साक्षी था कि क्या धूम मची थी शादी में। दोनों बहूएं जब घर आ गयी तो रमनी ने कमला से कहकर सारी रस्में करवाईं। आखिर में जब घर देवता की पूजा हो रही थी तो रमनी स्वयं उठी और दोनों बहूओं का हाथ पकड़ कर जिया और सिया की समाधि पर ले गयी और बोली ,"बेटा , यहां अपना माथा टेको ।ये इस घर की देवियां है ।” दोनों बहूओं ने जिया और सिया की समाधि के सामने शीश झुकाया। उनके मन में एक कौतूहल था कि आखिर ये किस की समाधियां है। दोनों में से एक पूछ ही बैठी," मां जी ये किस की समाधियां है?"
रमनी ने एक लम्बी सांस लेकर कहा,"बेटा समय आने पर तुम्हें सब बता दूंगी।
दोनों बहूओं ने घर का सारा भार अपने ऊपर ले लिया ।रमनी ये देखकर हैरान थी कि चंचला दीदी इस दौरान एक बार भी उसे नहीं दिखी ।जिया और सिया के साथ साथ गौतम और विक्की भी तो उनके ही बेटे थे । उन्होंने बच्चों की शादी में अपनी उपस्थिति जाहिर नहीं की ।
अब रमनी का ज्यादातर समय पूजा-पाठ में ही व्यतीत होता था । विक्की ने अपनी सरकारी नौकरी की पोस्टिंग इसी शहर में करवा ली थी और गौतम ने अपना खानदानी कारोबार सम्भाल लिया था।अब फैक्ट्री का सारा काम गौतम ही सम्हालता था। दोनों भाइयों में बड़ा ही प्यार था गौतम छोटा होने के कारण सारे काम विक्की की सलाह लेकर ही करता था।
आज रमनी के घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी ।पैसा ,आपसी प्यार,छोटो बड़ों का मान सम्मान।एक तरह से स्वर्गीय आनंद झरता था रमनी के घर में । दोनों बहूएं भी सगी बहनें थीं वो भी दोनों एक दूसरे से पूरा स्नेह रखती थी।
एक दिन विक्की की पत्नी रमनी का सिर दबा रही थी उसके सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था सुबह से ही इसलिए वो तेल मालिश करने अपनी सास के पास चली गई।तभी मालिश करते करते उसने पूछ ही लिया,
"मां जी , शादी के समय आपने पिछले आंगन में बनी समाधि पर माथा टेकने को बोला था तब मैंने पूछा था कि ये किसकी समाधियां है तो आप ने बोला कि समय आने पर सब पता चल जाएगा।आज आप बता ही दो कि ये समाधियां किसकी है?"
ये सुन कर रमनी की रुलाई फूट पड़ी वह सिसकते हुए बोली,"बिटिया,ये इस घर की बेटियों की समाधि है मेरी कोख जाई। ये बहुत लम्बी कहानी है ।
एक प्यार की पुजारिन से धीरे-धीरे उसके सब अपने छीनते चले गये ।और वह पुजारिन से कब कर्कशा बन गयी ये उसे भी पता नहीं चला।अपनी ही बेटियों को अपना दुश्मन मान बैठी,उन मासूम बच्चियों को उनके पिता की मौत का कारण माना।उनका बचपन कभी खिलखिला नहीं पाया। बंदिशें , बंदिशें, बंदिशें बस यही मैं उनके जीवन में करती रही ।कभी पास बैठा कर उनको सही ग़लत नहीं समझाया,वो नादान इस दुनियादारी को क्या समझती।मेरी एक बेटी ने गलती की वो घर से चली गयी झूठे प्यार के झांसें में आकर ।वो वापस आई भी लेकिन मेरे अहम ने उसे जिंदा ही मार डाला। मैं बहुत पापन हूं। भगवान मुझे कभी माफ नहीं करेगा। मुझे कभी माफ नहीं करेगा।"
यह कहकर रमनी जोर जोर से रोने लगी। बड़ी मुश्किल से बड़ी बहू ने उसे सम्हाला और उसे उठाकर उसके कमरे में ले गयी।पूरा दिन रमनी कमरे से बाहर नहीं निकली।
रात को उसे फिर से बहुत समय बाद ये अहसास हुआ कि कमरे में कोई है।उसने गौर किया तो पाया हां वही तो थी उसकी अपनी चंचला दी।आज बड़ी ही खुश दिखाई दे रही थी ।रमनी ने इतने दिनों ना आने का उलहाना दिया तो वो बोली,"छोटी एक बहुत ही जरूरी काम में लगी थी ।और जल्द ही मैं इस योनि से मुक्त हो जाऊंगी।सुना तूने मैं इस योनि से मुक्त हो जाऊंगी।"
(क्रमशः)