गतांक से आगे:-
पहले तो सिया को लगा ये उसका वहम है ।वह बार बार आंख मसलने लगी लेकिन वो परछाईं लगातार उनके पलंग के चक्कर काटते हुए उसके बिल्कुल पास आ रही थी।सिया जैसे अर्ध निद्रा में थी।
उसने देखा एक बहुत ही खूबसूरत औरत जिसने लाल रंग का दुल्हन का जोड़ा पहन रखा है और उसके कपड़े बड़े ही विचित्र ढंग के थे ।ऐसे कपड़े सिया ने पुरानी कामिक्स बुक में रानियों को पहने देखा था।वो औरत लगातार उसके समीप आती जा रही थी।अब वह उसे बड़े साफ साफ देख पा रही थी ।उसने पलंग के चक्कर लगाने बंद कर दिए।सिया एक बार तो घबराई कि ये क्या बला है वह उस औरत को जानती भी नहीं है और वो उनके कमरे में कैसे आई।वह अपना हाथ उठाना चाहती थी जिया को जगाने के लिए लेकिन उसका हाथ हिल भी नहीं पा रहा था।सिया की डर के मारे घिग्घी बंध गई।उसने देखा उस औरत की आंखों में उसे देखकर ममता की बाढ़ सी आ गई थी वह धीरे से उसके कान के पास आकर बोली ,"सिया बेटी कैसी हो। तुम को भगवान ने चुना है एक अनमोल तोहफ़े के लिए…..
हां …हां मैं प्यार की ही बात कर रही हूं तुम जिस राह पर निकलने वाली हो वो जन्नत है ।तुम प्यार करके एक तरह से खुदा की इबादत कर रही हो मेरी बेटी।"
सिया जैसे घुटी जा रही थी लेकिन जैसे ही उस ममतामई ने सिया के सिर पर हाथ फेरा सिया एकदम से बोली पड़ी,"आप कौन हैं?"
वो परछाईं होले से मुस्कुराई और बोली ," मां……
सिया प्रश्न सूचक निगाहों से उस परछाईं को देखने लगी और मन ही मन बुदबुदाई," मां …और आप ? मां तो रमनी मां……"
वो परछाईं अब सिया के बिल्कुल सिहराने बैठ कर उसका सिर सहला रही थी वह फिर मुस्कुराई," हां .. बिटिया मैं मां ही हूं तुम्हारी। तुम्हारा कसूर नहीं है पहले कभी देखा भी नहीं तुमने मुझे और रमनी परिचय करवाये गी नहीं हमारा। मैं चंचला मां हूं तुम सब की ।"
चंचला का नाम सुनते ही सिया का दिल जोर जोर से धड़कने लगा ।मतलब वो एक आत्मा से बातें कर रही थी।
" आप…… आप के विषय में कमला दाई मां से सुना है । आप तो पिताजी को अपने साथ ……?"
सिया सिसकने लगी थी।
" हां हां बिटिया मैं ही तुम्हारे पिता को अपने साथ ले गयी थी। मैं प्यार के हाथों मजबूर हो गयी थी बहुत कोशिश की अपने आप को मिटा डालने की पर शायद नियति को यही मंजूर था।कुछ मैं भी स्वार्थ में अंधी हो गयी थी । सदियों का इंतजार करने के बाद जब अपने प्यार को सामने पाया तो दिल किया दौड़कर उनमें समा जाऊं पर हम दोनों में सदियों का फासला हो गया था। तुम्हारे पिता रमनी को चाहने लगे थे विवाह भी हो गया था । मैंने भी अपनी किस्मत समझ कर मुक्ति पा ली थी ।पर हाय री किस्मत दूसरे और तीसरे जन्म में भी तुम्हारे पिता के आस-पास ही मेरा अस्तित्व रहा।अपने पिछले जन्म को ना भुलने के कारण मैं तुम्हारे पिता की और खिंचती चली गई और मुझे तब यही अहसास हुआ कि मेरी मुक्ति इन को(जोगिंदर) पा लेने से ही होगी।
पर मेरी बिटिया प्यार केवल पा लेना ही नहीं होता । मैंने तुम्हारे पिता की आत्मा को पा तो लिया पर वो अभी भी रमनी के ही हैं।"
चंचला की आत्मा अश्रुपूरित नेत्रों से बोली।
अब सिया को चंचला से डर नहीं लग रहा था वह उससे बड़े आराम से वार्तालाप कर रही थी।सिया के मन में बहुत सी बातें थीं जो उसे चंचला से पूछनी थी ।वह बातें कर रही रही थी कि बाहर से रमनी की कड़क आवाज ने सिया का ध्यान भंग कर दिया।
"क्यों री लड़कियों तुम रात को दो बजे भी खुसर फुसर कर रही हो। शर्म करो सो जाओ अब ,नहीं तो कोचिंग से नाम कटवा दूंगी।"
शायद रमनी पानी पीने के लिए ही उठी थी । रसोई घर सिया और जिया के कमरे से आगे था निसंदेह वो दरवाजे के आगे से गुजरी होगी तो उसे सिया के फुसफुसाने की आवाज सुनी तभी वह बाहर से चिल्लाई थी।
सिया को तो मानों बेहोशी से होश आया था वह अंदर से ही डरते हुए बोली,"बड़ी मां जिया तो सो रही है वो…वो मैं सपने में डर गई थी इसलिए बुदबुदा रही थी।"
शायद रमनी ने सिया की बात सुनी ही नहीं थी।
समय के थपेड़ो ने एक कोमल हृदय वाली लड़की को पत्थर दिल औरत में बदल दिया था।
वैसे भी रमनी को शादी के बाद से जब से चंचला के विषय मे पता चला था उसे हमेशा लगता था वो उधार का सिंदूर माथे पर लगाएं घुम रही है।
दिलोजान से चाहती थी जोगिंदर को ,उसे याद आती थी वो बातें जब जोगिंदर दसवीं के बाद शहर पढ़ने जा रहा था तब ही तो उसे पता चला था कि जोगिंदर ही उसका सब कुछ है उसके जिस्म में जो नन्हा सा दिल है वो उसी के लिए धड़कता है ।बिछोह से ही तो उसे पता चला था कि अब उसका दिल उसका नहीं रहा जोगिंदर का हो गया है।
जोगिंदर ने भी जी जान एक कर दी अपनी रमनी को पाने के लिए। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था चंचला नाम का तूफान रमनी की गृहस्थी को उजाड़ कर चला गया और वो देखती ही रह गई तभी से रमनी ऐसी हो गई थी ना मुंह पर मुस्कुराहट,ना वो मस्त अल्हड़ पन,बस हर वक्त गुस्सा ही गुस्सा रहता था उसके दिमाग में।
सिया ने रमनी की बात का जब उत्तर दिया तो उसका मुंह दरवाजे की तरफ था बाद में जब उसने मुड़ कर देखा तो चंचला गायब थी ।सिया के सारे प्रश्न मन की मन में यह गये ।वो अपनी चंचला मां को अच्छे से जानना चाहती थी।उसे कमला दाई मां से ये तो पता चल गया था कि चंचला मां हमेशा इस घर में कोई भी परेशानी आ जाए मदद के लिए तैयार रहती है । बहुत बार बड़ी मां को भी नुकसान होने से बचाया था।
उसे अभी हाल ही की बात याद आ रही थी एक दिन रमनी अपनी कम्पनी में बड़े हाल में खड़ी थी शायद कोई बड़ी मशीन नीचे के माले से ऊपर क्रेन द्वारा पहुंचाई जा रही थी रमनी बता रही थी नीचे से कि कहां रखवानी है मशीन ।तभी क्रेन का बेलेंस बिगड़ गया और क्रेन के पंजे से मशीन छूट गई रमनी बिल्कुल मशीन के नीचे खड़ी थी ।पता नही कैसे रमनी को ऐसे लगा जैसे किसी ने उसकी बाजू पकड़ कर एक तरफ़ खींच लिया और वो मशीन गिरने के स्थान से दूर जा गिरी।अगर क्षण भर की भी देरी हो जाती तो रमनी इस दुनिया में ना होती।कमला ने ही आकर सिया और जिया को ये बात बताई थी जिससे उनको पक्का विश्वास हो गया था कि चंचला मां ही हमें सब परेशानियों से बचाती है।
आज तो उसकी चंचला मां प्यार की राह पर चलने को बोल गयी थी तो सिया भविष्य के सपने बुनते हुए सपनों की दुनिया में खो गई।
(क्रमशः)