गतांक से आगे:-
कहते हैं इंसान जो बात सोचता सोचता सोता
है अक्सर वही स्वप्न में आ जाता है। जोगिंदर चंचला के विषय में सोच रहा था और सो गया तो उसे एक स्वप्न दिखाई दिया जैसे चंचला पूरा श्रृंगार करके ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठी है और उसे आवाज लगाए जा रही है "आप कब चलेंगे सरकार । बहुत समय हो गया है बस अब और इंतज़ार नहीं होता चलिए ना अपने महल चलते हैं ।"
जोगिंदर उसे डांटते हुए बोला जैसे सूरज उसे डांटता था,"क्या सरकार सरकार लगा रखा है । मैं सूरज नहीं जोगिंदर हूं।मैं तुम्हारा नहीं रमनी का पति हूं मेरे दो बच्चे है और तीसरा होने वाला है ।"
जोगिंदर के इस तरह डांटने पर चंचला आंखों में पानी भर कर बोली,"आप चाहें मेरा कितना तिरस्कार कर लें पर मैं आप को नहीं छोड़ सकती ।आप को भी पता है कि मैं जन्मों जन्मों भटकी हूं पर क्या करूं दिल के हाथों मजबूर हूं।पता नहीं क्यों हर जन्म में आप का स्मरण रहता है। मैं जानती हूं आप मेरे नहीं किसी और के पति हैं दिल को बार बार समझाती हूं लेकिन फिर ना जाने कौन सी डोर है जो आप तक खींच ही लाती है मुझे। मुक्ति के बाद भी दोनों जन्मों में आप ही के आंगन में जगह मिली अब तो मुझे भी लग रहा है कि मेरी मुक्ति जब ही होगी जब आप से मिलन हो जाएगा।शायद मेरी आत्मा आप से मिलन के लिए ही तड़प रही है।"
इतना कह कर वह जोर जोर से सुबकने लगी।
जोगिंदर अंदर तक सहमत गया चंचला की बातें सुनकर वह बेबस सा होकर बोला,"चंचला मेरी पत्नी और बच्चों का तो ख्याल करो अगर मैं चला गया तो उनका क्या होगा।"
चंचला आंखें पोछते हुए बोली,"आप चिंता ना करें वो मेरी सदा छोटी बहन रहेंगी और तुम्हारे बच्चे मेरे नहीं है क्या? अपने बच्चों से भी बढ़कर प्यार करूंगी उनको और सदा उनकी रक्षा के लिए खड़ी रहूंगी।"
*लेकिन रमनी तो मर ही जाएगी मेरे बगैर।फिर मेरे बच्चों का क्या होगा ?" जोगिंदर जैसे गिड़गिड़ाने लगा था चंचला के आगे।
तभी चंचला आंखों में पानी लिए उसके पास आयी
और बोली," मेरे सरकार आपको रमनी की चिंता है जो केवल इसी जन्म में आपके साथ है और मेरा क्या मैं तो मर कर भी आप से अलग नहीं हो पाई।पहले सदियों इंतज़ार के बाद आप मिले भी तो किसी और के हो चुके थे।मन कों समझाते हुए अपने आप को मुक्ति की ओर अग्रसर किया ,मुक्ति हो भी गयी फिर भी दूसरे जन्मों में भी आप ही याद रहे।ये आप भी जानते हैं कि मेरा प्यार सच्चा है । लेकिन आप के उपर से इस जन्म का आवरण जब हट जाएगा तो आप स्वयं ही मेरे हो जाएंगे।"
जोगिंदर तो पहले ही चंचला के प्यार को सर्वोच्च मान चुका था ।ऐसा नहीं था कि उसने अपने प्यार का बलिदान नहीं दिया था लेकिन नियति बार बार उसे उसके(जोगिंदर) के पास ले आती थी।
तभी रमनी ने उसे जगा दिया कि आप नींद में किस्से बातें कर रहें थे?
जोगिंदर ने उसे सोने को बोला और स्वयं किचन में पानी पीने चला गया ।वह देख रहा था चंचला उसे अपने साथ ले जाने के लिए कितनी उतावली हो चुकी थी। लेकिन वो मन ही मन भगवान से यही प्रार्थना कर रहा था कि रमनी की जचगी सही से हो जाए और दोनों बेटे थोड़ा बड़े हो जाए तो बेशक वो चंचला के साथ चला जाएगा।
वैसे भी खाने पीने और रहने के लिए वो इतना पैसा छोड़ जाएगा कि रमनी और बच्चे पूरी जिंदगी बड़े ऐशोअराम से गुजार लेंगे।बस बच्चे इतने बड़े हो जाए कि उसके जाने के बाद अपनी मां को सम्भाल सके ।अभी विक्की और गौतम दोनों नौ और दस साल के ही तो थे। लेकिन उसे तांत्रिक बाबा की बात याद थी कि चंचला जब तक तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती जब तक ये रक्षासूत्र और ताबीज उनके साथ रहेगा।अब जोगिंदर को ये पता चल चुका था कि चंचला केवल उसे ही ले जाना चाहती है पहले उसे ये डर था कि कहीं वो रमनी और बच्चों को नुक्सान ना पहुंचाने वाली हो।
उसने मन ही मन एक निर्णय लिया और अपने कमरे में जाकर सो गया।
अगले दिन सुबह जोगिंदर फटाफट तैयार होकर बाहर निकल गया । नाश्ता भी नहीं किया।रमनी पीछे से टोकती रह गयी पर उसे समय ही कहां था बहुत से काम करने थे ।
थोड़ी देर बाद जोगिंदर एक अस्पताल में था ।उसकी सर्जरी हो रही थी हाथ की ।ननना उसे कोई चोट वोट नहीं लगी थी बस वो जो ताबीज और रक्षासूत्र जो तांत्रिक बाबा ने दिया था वो उस ने अपने बाज़ू में इंप्लांट करवा लिया था।उसने देखा था कैसे जब रमनी का गृहप्रवेश हो रहा था तब चंचला ने तांत्रिक बाबा का दिया हुआ रक्षासूत्र छल से दरवाजे से रमनी के ही हाथों उतरवा दिया था ।वो नहीं चाहता था कि उसके साथ भी यही काम हो उसका सारा दिन बाहर अंदर का जाना होता है कहीं वो भूल गया ताबीज या रक्षासूत्र पहनना तो चंचला उसे किसी भी तरह अपने साथ ले जाएगी ।उसे बहुत काम करने थे अपने बच्चों को बड़ा होते देखना था तीसरे बच्चे के रूप में बेटी को चाह रहा था कि दो बेटे तो हो गये बस बेटी हो जाए तो परिवार पूरा हो जाए गा।
जोगिंदर को बड़ी चाहना थी बेटी की क्योंकि उसके भी कोई बहन नहीं थी और रमनी ने भी लगातार दो बेटों को जन्म दिया था।कहते है जिनके घर बेटी नहीं होती उनकी देहरी क्वारी रह जाती है।
सर्जरी होने के बाद थोड़ी देर आराम करके जोगिंदर सीधा वकील के पास पहुंचा।उसने अपनी वसीयत करवाई कि उसके मरने के बाद सारी अचल सम्पत्ति की मालिक रमनी और बच्चे होंगे।उसे ये डर था कहीं चाचा वगैरह गांव की जमीन न हड़प ले।उसके जाने के बाद रमनी और बच्चों का एक मात्र सहारा गांव से आने वाली आमदनी ही होगा।
आज सारा ही दिन उसे भागदौड़ करने में लग गया।जब घर पहुंचा तो सांझ हो चुकी थी।सुबह से खाली पेट गया जोगिंदर रमनी के दिल को धड़का रहा था।जबसे गांव से लौटा था तबसे कुछ ज्यादा ही बेचैन था वो ।रमनी कुछ समझ नहीं पा रही थी ये तो पता था कि चंचला की आत्मा से छुटकारा पाने के लिए वो गांव गया था पर तांत्रिक बाबा ने क्या कहा ये अभी तक शंका का विषय बना हुआ था।
जब जोगिंदर घर लौटा तो उसके हाथ पर टांकें लगें देखकर रमनी एकदम से घबरा गई।
(क्रमशः)