गतांक से आगे:-
रमनी तो जैसे पत्थर की मूरत हो गई थी सिया की मौत के बाद ।बार बार अपने मन को धिक्कारती कि ये क्या कर दिया तूने रमनी ? क्या तेरा वहम और अहम् इतना बड़ा हो गया था कि तूने अपनी ही बच्ची को मार डाला । तभी कोठी के बाहर कार का होरन बजा ।रमनी की तंद्रा भंग हो गयी ।उसने देखा मिस्टर बजाज ,कमल और हमीदा बेगम तीनों ही कार से उतर कर घर के अंदर प्रवेश कर चुके थे।रमनी ने आगे बढ़कर उनका अभिवादन किया और उन्हें बैठक में बिठाया।उसने सोचा था कि वो सिया का पूछेंगे। इसलिए वह सहमीं सी बैठी थी तभी बात मिस्टर बजाज ने शुरू की ,
"बहन जी, बड़ा अफसोस हुआ ये जानकर कि सिया बेटी….
रमनी का दिल धड़क गया कि इन्हें कैसे पता चला कि सिया मर चुकी है।
…..घर से फिर से चली गयी है ।सच में बहन जी अगर मां बाप बच्चों के मन की ना करें तो बच्चे ये दिन भी दिखा देते हैं ये मुझे आज ही पता चला। इसलिए मैं तो आज मन कड़ा करके आ ही गया आपके पास कि आज तो जिया बेटी का हाथ आप से मांग कर ही दम लूंगा।कमल ने भी जिद बांध रखी है कि शादी करेगा तो जिया से वरना मर जाएगा। अब मेरा एक ही बेटा है अगर उसे कुछ हो गया तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा ।इसकी मां तो हमें छोड़कर पहले ही जा चुकी है।अब बेटे को कुछ हो गया तो……"
मिस्टर बजाज झूठे आंसू बहाते हुए बोले।
रमनी भी कुछ सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी इसलिए उसने भी हामी भर दी कि जैसा आप उचित समझो।रमनी की तरफ से हां होने पर मिस्टर बजाज की और कमल की बांछे खिल गई।वे एक दूसरे से ही बधाई देने लगे। वो साथ में मिठाई का डिब्बा भी लायें थे एक दूसरे का मुंह मीठा करवाने के लिए उन्होंने एक मिठाई का टुकड़ा जब रमनी की तरफ बढ़ाया तो उसने सजल आंखों से हाथ जोड़कर मना कर दिया। क्यों कि सिया का दुःख उसके कलेजे को भारी कर रहा था।
रमनी मन से ये बिल्कुल नहीं चाहती थी कि सिया की जान पर बन जाए वो तो उसे दण्ड देना चाहती थी कि जिस के लिए वो उन दोनों को मना कर रही है वहीं काम उनकी दोनों बेटियों ने उनसे ऊपर होकर किया।जिया की नजरों में रमनी बहुत ही बड़ी खलनायिका बन चुकी थी जिसने एक प्रेमी जोड़े को जुदा कर दिया।
जब बात पक्की हो गयी तो ये तय हुआ कि अभी अभी सिया घर से गई है तो एक सादे से समारोह में जिया और कमल का विवाह कर देंगे पर थे दोनों ही शहर की जानी मानी हस्तियां तो बाद में शादी का रिसेप्शन धूमधाम से कर देंगे।
घर में शादी की तैयारियां होने लगीं थीं रमनी ने बहुत कुछ चुपके चुपके जोड़ रखा था दोनो बेटियों की शादी के लिए बस उसे देखती और अपने कमरे में जाकर चुपके-चुपके आंसू बहाती ।हर बार यही सोचती ,"ओह पापन ये तूने क्या किया अपने ही हाथों अपनी ही बेटी को मार दिया आज वो होती तो उसकी शादी की भी तैयारियां धूमधाम से होती ।पूरा शहर देखता कि जोगिंदर एंटरप्राइजेज की बेटियों की शादी हो रही है पर हाय री किस्मत मेरा ही अहम् मेरी बेटी को खा गया । भगवान मुझे कभी माफ नहीं करेगा।
उधर कमल के घर उसके पापा की तो बांछे खिल हुई थी । मनचाहा काम जो हो रहा था । बिजनेस में सबसे बड़ा रोड़ा "जोगिंदर एंटरप्राइजेज की मालकिन रमनी देवी उनकी समधन बनने जा रही थी।अब जो भी टेंडर बड़ा सा होगा उसमें रमनी टांग नहीं अडाएगी।वो बेटे को समझा रहे थे कि जिया को आते ही सिर पर मत बैठा लेना । थोड़ा डरा कर रखना वरना जो हम चाहते हैं वो काम वो कभी भी अपनी मां से कह कर नहीं करवाएगी।
शादी का दिन नजदीक आ चुका था।जिया ने रमनी को चेतावनी दे रखी थी कि बड़ी मां आप ने अगर शादी में कुछ अड़ंगा डालने की कोशिश की तो मैं भी दीदी की तरह अपनी जान दे दूंगी। इसलिए रमनी डरी सहमी सी रहती थी।
शादी से पहली रात रमनी अपने कमरे में सो रही थी तभी उसे कुछ अहसास सा हुआ जैसे चंचला उसके पास खड़ी है उसने थोड़ा सा अपने आप को चेताया तो पाया चंचला उसके पलंग के पास खड़ी उसका सिर सहला रही है तभी रमनी फफक पड़ी," ओह दीदी ये मुझ से क्या हो गया मुझे माफ़ कर दो मैं आप की बेटी को नहीं सम्भाल पाई।आप की सिया मर गयी ।…. दीदी ….दीदी मैं उसे मारना नहीं चाहती थी ….*
चंचला की आंखें भी नम हो रही थी वो एक बड़ी बहन की तरह रमनी का सिर सहला रही थी ,
" बस कर छोटी …मुझे पता है तू केवल उसे सजा देना चाहती थी ।तेरी मंशा उसे मारना नहीं था। आखिर थी तो तेरे ही शरीर का अंग । मां कठोर हो सकती है पर कातिल नहीं । मैंने देखा है तेरा पश्चाताप।तू मत सोच मैं जानती हूं सिया के मन में स्वयं ही आत्मग्लानि थी क्यों कि जिस प्यार के खातिर वो घर छोड़कर गयी थी उसी ने उसे धोखा दिया।वो मुझ से मिलकर ही परधाम को गमन कर गयी है वो कह रही थी" चंचला मां ,बड़ी मां को बोलना वो मेरे मरने को अपने दिल से ना लगायें मैं स्वयं ही यह दुनिया छोड़कर जाना चाहती थी क्योंकि जिस प्यार के खातिर सब छोडा वहीं दगाबाज औश्र फरेबी निकला। चंचला मां आप तो कहती थी कि प्यार भगवान की तरफ से दिया एक बहुत बड़ा तोहफा है चंचला मां "क्या यही प्यार है " जो नसीब ने मेरे साथ किया ।नहीं मां ये प्यार नहीं था ।"
यह कहकर चंचला भी रोने लगी आज दो माएं एक जन्म देने वाली और एक रक्षा करने वाली मां दोनों मिलकर अपनी बेटी की मौत पर सुबक रही थी।तभी चंचला एक दम से घबराकर बोली,"रमनी तुमने जिया के ससुराल वालों को भी परख लिया है ना? मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है ।"
तभी रमनी बोली,"ना जीजी अब वो जैसे भी है हमें ये रिश्ता कबूल करना ही पड़ेगा वरना जिया भी अपनी जान दे देगी।उसने धमकी दी है ।"
चंचला एकदम से बोली,"फिर भी रमनी तुम सतर्क रहना ।"
यह कहकर चंचला की आत्मा वहां से लोप हो गयी।
(क्रमशः)