गतांक से आगे:-
जोगिंदर ने रमनी को झिंझोड़ कर पूछा," कौन आ गयी और किसी ले जाएगी?"
पर रमनी तो जैसे शून्य में निहार रही थी जैसे उसका सामना साक्षात मौत से हो गया हो और अचानक से फिर चीखते हुए बेहोश हो गयी।
जोगिंदर हैरान परेशान सा अपनी रमनी को देख रहा था कि आखिर उसने ऐसा क्या देख लिया था।वह सोचने लगा कि रात को तो खुश खुश सोई थीं ।
वह रमनी को कलेजे से लगाकर लेट
गया थोड़ी देर बाद रमनी भी जोगिंदर का स्पर्श पाकर थोड़ा सहज हुई और होश में आ गयी।
जोगिंदर प्यार से रमनी के सिर पर हाथ फेर रहा था ।जब वह सहज हो गई तब जोगिंदर ने बड़े प्यार से पूछा," मेरी रानी।ये तो बताओ तुम क्या देखकर चीखी थी?"
रमनी को फिर से वही बात याद आ गया वह अंदर तक कांप गयी और जोगिंदर के सीने से लिपट कर सुबकने लगी और बोली,"पहले मेरी कसम खाओ ।जो मैं तुम्हें बताऊं गी तुम उसे मानोगे।"
जोगिंदर को तो उत्सुकता थी ही कि रमनी क्या देखकर बेहोश हुई थी।वो बोला,"अच्छा तुम्हारी कसम जो तुम कहोगी मैं उस पर विश्वास करुंगा।"
रमनी को तसल्ली हो गयी कि अब वो काली बिल्ली रूपी चंचला की आत्मा आसपास नहीं है तो वो बोली,"पता है अभी थोड़ी देर पहले मुझे कुछ आवाजें आ रही थी मैंने तुम्हें बहुत जगाया पर तुम नहीं उठे तब मैंने ही उठकर देखने का विचार किया कि ये खटरपटर कौन कर रहा है। मुझे अपने कमरे के दरवाजे के पास एक काली परछाई दिखी मैं उसका पीछा करती करती जब हाल में पहुंची तो देखा वही काली बिल्ली जो गांव से साथ आयी थी और कल खीर का पतीला उल्टा दिया था वहीं बिल्ली सोफे पर बैठी है और वह काली परछाई उस में समा गयी और वह औरत की आवाज में मुझे धमकाने लगी।"
यह कहकर रमनी ने सारी बात जोगिंदर को बता दी और जोर जोर से रोने लगी,
"वो तुमको ले जाएगी।वो ले जाएगी।हाय राम! मैं कैसे जिंदा रहूंगी तुम्हारे बगैर।मैं मर ही जाऊंगी । बच्चों को कौन देखेगा उनका हमारे सिवा कोई है भी नहीं दुनिया में।"
रमनी लगातार रोते जा रही थी और जोगिंदर उसे सीने से लगाये एक गहरी सोच में डूबा हुआ था।
वह देख रहा था कि जबसे मां पिताजी गुजरे थे और रमनी का शहर जाना तय हुआ था तबसे ये सिलसिला लगातार चल रहा था ।कभी वो बुरा स्वप्न देखता था तो कभी रमनी।और ये काली बिल्ली ना जाने कहां से आ गयी थी पूरा खौफ पैदा रखा था रमनी के मन में।अब तो उसे भी विश्वास हो गया था कि हो न हो चंचला की आत्मा कहीं आसपास है।
उसने मनमे सोचा कि क्यों ना एक बार तांत्रिक बाबा से सारा हाल बताया जाए।जब चंचला की आत्मा शहर से गांव तक उसके साथ आ गयी थी और वह रमनी में घुस गयी थी तो तांत्रिक बाबा ने इसका उपाय किया था पर वो तो अस्थियां गंगा में विसर्जित कर आया था फिर चंचला की आत्मा दोबारा कैसे आ गयी।
उसने दृढ़ निश्चय किया कि वह कल ही गांव जाकर तांत्रिक बाबा से बात करके आयेगा ।शाम तक वह लौट आयेगा।तब तक रमनी और बच्चों को वह अपने जिगरी दोस्त के पास छोड़ देगा। क्योंकि रमनी बहुत डरी हुई है वह अकेले घर में तो रहेगी नहीं ।
अगले दिन सुबह जोगिंदर ने दो दिन की छुट्टी ली और रमनी और बच्चों को दोस्त के घर छोडकर वह गांव चला गया दोपहर तक गांव पहुंच कर वह हवेली नहीं गया सबसे पहले तांत्रिक बाबा के मठ पर गया। तांत्रिक बाबा अपनी तपस्या में लीन थे वह थोड़ी देर बाहर बैठा रहा तभी तांत्रिक बाबा ने अपने शिष्य को आवाज लगाकर कहा,"जो बाहर लला बैठा है उसे अंदर भेज दो।"
जोगिंदर ने कमरे में प्रवेश कर नतमस्तक हो प्रणाम किया। जोगिंदर को देखते ही बाबा बोले," मैं जानता हूं किस कारण से आये हो लला।वो फिर से आ गयी है पर इस बार दो जन्मों बाद लौटी है मुक्ति के बाद एक गायें के रूप में जन्मी लेकिन फिर किस्मत का फेर देखो वो तुम्हारे ही घर में आकर बंधी। लेकिन बीमारी के कारण काल कवलित हुई।(जोगिंदर को याद आया कि जब उसका बड़ा बेटा हुआ था तो घर में खुशी के साथ साथ गम का भी माहौल था क्योंकि उनकी एक दुधारू गाय बीमारी के कारण मर गयी थी।) दूसरी बार बिल्ली के रूप में जन्मी है उसे हर जन्म में तुम याद थे वो मुक्ति पा कर भी अपना पिछला जन्म नहीं भूल पायी।पहले गाय के रूप में मजबूरीवश खूंटे से बंधे होने के कारण तुम्हें चाहते हुए भी नहीं देख पा रही थी पर अब वो बिल्ली के रूप में है वो कहीं भी आ जा सकती है।तुम मानो चाहे ना मानो वो एक सच्ची आत्मा है वो तुमसे सच्चा प्यार करती है जब ही मुक्ति पाने के बाद भी दूसरे जन्मों में भी वो तुम्हें नहीं भुला पायी है।बेटा अब एक सच्ची आत्मा से मैं भी नहीं लड़ सकता ।अब राम जाने वो क्या चाहती है । मैंने बहुत बार देखा है इस तरह कोई आत्मा अगर पीछे पड़ जाए तो वो उस जीव को साथ ही लेकर जाती है।बस मैं ताबीज और रक्षासूत्र से तुम्हारी रक्षा कर सकता हूं पर बचा नहीं सकता अगर उसके मन में तुम्हें ले जाने का है तो वो लेकर ही जाएगी।"
यह कहकर तांत्रिक बाबा ध्यान मग्न हो गये। जोगिंदर ने बाबा के शिष्य से ताबीज और रक्षासूत्र लिया और शहर के लिए वापसी हो लिया।उसे रमनी की भी चिंता सता रही थी ।शाम तक वो शहर पहुंच गया ।उसने जाते ही दोनों बच्चों और रमनी को ताबीज और रक्षासूत्र बांधे और खुद भी दोनों चीजें पहन ली।
रमनी पूछती ही रह गयी कि तांत्रिक बाबा ने क्या कहा पर जोगिंदर बात टालता ही रहा कि सब ठीक हो जाएगा बस तुम अपना ध्यान रखो।वह यह बात रमनी को अगर बता देता कि चंचला की आत्मा उसे ले जाकर ही दम लेगी तो पगली अभी रो रो कर हलकान हो जाती।वो उसका विरह सहन नहीं कर पाती।
जोगिंदर मन ही मन सोच रहा था" क्या यही प्यार है" जो चंचला मुक्त हो कर भी अपने पिछले जन्म के बंधनों से आजाद नहीं हो पायी और जन्म दर जन्म भटक रही है अपने प्रियतम के लिए क्या प्यार इसे कहते हैं जो उसने रमनी से किया जातपात की ,अमीर गरीब की परवाह किसे बगैर बस अपनी रमनी के लिए लड़ लिया पूरी दुनिया से अपने मां बाप से भी बगावत कर दी थी।पता नहीं क्यों जोगिंदर को अपना प्यार चंचला के प्यार के आगे बहुत छोटा दिखाई दे रहा था।वह सोच रहा था मैंने कितना दुत्कारा था चंचला की आत्मा को जब वह रमनी के शरीर में प्रवेश कर गयी थी लेकिन वो है कि प्यार करने से हटती ही नहीं है।ये सब सोचते सोचते जोगिंदर की आंख लग गयी।
(क्रमशः)