गतांक से आगे:-
कमला के इस प्रकार चेताने से रमनी ने आंखें खोली और बोली,"अरे …तुम्हारे साहब आये थे ना अभी ।बता मैं इतने दर्द में हूं और ये मुझे छोड़कर जाने की बात कर रहें हैं।"
कमला अचरज से रमनी को देखते हुए बोली"किधर है साहब जी?"
"तुम्हारा दिमाग तो नहीं ख़राब हो गया।वो देखो दरवाजे पर खड़े हैं और जाने के लिए हाथ हिला रहे हैं।" रमनी ने दर्द से लगभग रोते हुए कहा।
तभी लेडी डाक्टर आ गयी ।कमला ने हाथ जोड़ते हुए कहा,"मैडम जरा देखिए लगता है बच्चा होने वाला है अपने होश में नहीं है बहकी बहकी बातें कर रही हैं अभी हमारे साहब यहां है भी नहीं और मेमसाब कह रही है वो वहां दरवाजे पर खड़े थे।"
लेडी डाक्टर ने नर्स को इशारा किया और उसने दो तीन इंजेक्शन लगाए और ओपरेशन थियेटर में ले गयी।
बात नार्मल ही थी , जुड़वां बच्चे थे तो ओपरेशन होना ही था।
इधर रमनी की मां अस्पताल में बैठी थी ,बेटी का ओपरेशन चल रहा था तभी जोगिंदर का दोस्त जो उसके आफिस में काम करता था वो बुरी खबर लेकर आया
पहले तो वो घर ही गया था लेकिन जब पता चला कि भाभी तो अस्पताल में हैं तो वो अस्पताल चला आया। क्योंकि दुर्घटना स्थल पर किसी को जोगिंदर की फोन वाली डायरी उसकी जेब से मिल गयी थी।उसी व्यक्ति ने एम्बुलेंस का इंतजाम करके जोगिंदर के दोस्त को फोन किया था।
भगवान की लीला देखो ।जिस अस्पताल में रमनी बच्चों को जन्म देने के लिए जिंदगी और मौत से जूझ रही थी ।उसी में ही जोगिंदर के शव को लाया गया था । डाक्टर ने आते ही उसे मृत घोषित कर दिया। जोगिंदर का दोस्त जब रमनी की मां के पास ये बुरी खबर लेकर पहुंचा तो वो दहाड़े मार मार कर रोने लगी।कमला ने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराते हुए कहा,"मां जी आप भी इस तरह करेंगी तो मेमसाब का क्या हाल होगा वो पहले ही कमजोर होंगी बच्चों को जन्म देकर ऊपर से जब ये खबर सुनेंगी तो उनका क्या हाल होगा ये सोचिए।मेरी तो जान सूखती जा रही है ,कैसे बताएंगे उन्हें कि साहब अब इस दुनिया में नहीं रहे।
हाय राम! कितना प्यार करती थी मेमसाब ,साहब को ।सच ही कहा रही थी कि तुम्हारे साहब मुझे छोड़कर जाने की कह रहे हैं । मांजी मुझे लगता है साहब जी की आत्मा आखिरी बार मेमसाब से मिलने आई थी।
और मेमसाब ठीक ही कह रही थी कि कोई चंचला नाम की औरत की आत्मा उनके पीछे पड़ी है वो ले गयी साहब जी को।"
यह कहकर कमला की आंखों से भी आंसू बहने लगे।
इतने में नर्स ने आकर खबर दी कि जुड़वां बेटियां हुई है । जच्चा और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं।
रमनी की मां ने माथा पीट लिया ,"हाय राम बच्चे भी जुड़वां हुए तो भगवान ने बेटियां ही देनी थी ।मेरी बेटी कैसे पाले गी पति के बगैर दोनों को।"
कमला को रमनी की मां पर बार बार झुंझलाहट हो रही थी वो ये नहीं सोच रही थी कि अपनी बेटी को जो अपने पति से इतना प्यार करती थी कैसे बतायेगी कि अब उसका पति इस दुनिया में नहीं रहा उल्टा लड़कियों के पैदा होने पर अफसोस कर रही थी।
माना उसी ने रमनी को कहा था कि बिटिया एक बेटी पैदा कर लें जिसके यहां बेटी नहीं होती उनकी देहरी क्वारी रह जाती है पर अब इस स्थिति में उसे रमनी की नवजात बेटियां जहर जैसी लग रही थी।इधर बेटियां पैदा हुई उधर से दामाद के मरने की खबर आ गयी।
रमनी ओपरेशन थियेटर से बाहर आ गयी थी ।अभी बेहोश थी जैसे ही उसे प्राइवेट कमरे में शिफ्ट किया गया।उसकी मां की रुलाई फूट पड़ी
"हे राम! कैसे बिटिया को इस दुःख को बतायेगी यही सोच सोच कर रमनी की मां के हाथ पैर ठंडे पड़ गये थे।एक तो अभी कमजोर है दूसरा पति के जाने का दुःख।कभी बेटी को ही कुछ ना हो जाए इसी सोच में दोहरी हुई जा रही थी।
तभी रमनी को हल्का हल्का होश आने लगा था और वो एकदम जोर से चिल्लाई
"मां देखो जोगिंदर को क्या हो गया ये कुछ बोलते क्यों नहीं है । अब तुम उठते हो या नहीं देखो कैसे मुर्दों की तरह पड़े हो। मां …. मां देखो ना अपने दामाद को।"
रमनी बेहोशी की हालत में ही बोल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रही है।
तभी रमनी को होश आ गया ।उसने आंखे खोलकर कहा," मां बच्चे कहां है?"
रमनी की मां ने धीमें से कहा,"बेटियां हुई हैं । नर्स नहलाने ले गयी है।"
"देखा मैं ना कहती थी बेटियां ही होंगी। मां तुम्हारे दामाद को भी बेटियों का बड़ा शौक था ।सारा दिन मुझे कहते थे "रमनी भगवान ने दो बेटे तो दे दिए बस अब एक बेटी और हो जाए " लो एक की जगह दो बेटियां दे दी भगवान ने अब जी भर कर अपने मन की पूरी करेंगे बेटियों के लाड़ लड़ा कर।" रमनी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा।
"मां पर वो हैं कहां? जब मुझे दर्द हो रहे थे तो मेरे पास यही खड़े होकर कह रहे थे "तुम बच्चों का ध्यान रखना,मैं जा रहा हूं अब कोई उन्हें पूछे कि पत्नी की तबीयत ज्यादा जरूरी है या आफिस का काम । मां तुम देखना जरूर आफिस वालों ने उन्हें काम से बाहर भेज दिया होगा ।देखो ये भी कितने निष्ठुर है मुझे ऐसी हालत में छोड़ कर चल दिए।पता है मां अभी मुझे बेहोशी की हालत में ऐसे लगा जैसे मैं इसी अस्पताल में घुम रही हूं और वहां तुम्हारे दामाद एक बेड पर ऐसे लेटे थे जैसे….अब मां मैं तो अपने मुंह से ये शब्द बोल भी नहीं पा रही हूं ।तुम ही बताओ ये कोई समय है जाने का घर में लक्ष्मी आई है और ये चल दिए ।तुम देखना आते ही खबर लूंगी इनकी।"
रमनी अपनी ही धुन में बोले जा रही थी ।उधर रमनी की मां किसी तरह अपनी रुलाई रोके हुए थी।तभी नर्स दोनों बेटियों को नहला कर लें आई और रमनी की गोद में दे दिया । बेटियों का मुखड़ा देखकर रमनी निहाल हो उठी और बोली,"मां तुम देखना वो आते ही सबसे पहले अपनी बेटियों को ही गोद में लेंगे।मेरा हाल तो पूछेंगे ही नहीं।"
तभी रमनी की मां का सब्र का बांध टूट गया और वो जोर से रोते हुए बोली," ना बिटिया ना ।अब दामाद जी कभी नहीं आ पायेंगे "
(क्रमशः)