गतांक से आगे:-
जोगिंदर ने देखा गैस पर जो खीर का पतीला रखा था वह औंधें मुंह पड़ा था सारी गैस खीर से लबालब हो गयी थी और वही काली बिल्ली..…. हां हां वही काली बिल्ली जो सामान के साथ गांव से शहर उनके साथ आयी थी वह सप सप करके सारी खीर खा रही थी।
रमनी को बड़ा गुस्सा आया कितने चाव से नये घर मे आने के नाम की खीर बनाई थी उसने ।पर इस बिल्ली की बच्ची ने सारा सत्यानाश कर दिया।रमनी ने पास पड़ा बेलन घुमा कर उस बिल्ली को मारा ।जिससे बचते हुए उस बिल्ली ने एक दम से रमनी पर ही छलांग लगा दी ।
रमनी इस अचानक हमले के लिए तैयार नही थी। जैसे ही वो काली बिल्ली उसपर कूदी वो 'हाय राम ' कहकर एकदम पीछे को हुई तो उसका संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिरने को हुई तो जोगिंदर ने उसे भागकर पकड़ लिया।
"बच..के रमनी तुम अभी गिर जाती।"
रमनी की तो जैसे जान ही निकल गयी ।अब तो उसे विश्वास हो गया था कि इस बिल्ली में कोई तो बात है।
दोनों ने मिलकर सारा रसोईघर साफ किया और अपने कमरे में आ गये । दोनों बच्चे भी अपने कमरे में सोने के लिए जा चुके थे ।रमनी को बार बार उस काली बिल्ली का भ्रम हो रहा था । भ्रम तो क्या उसे डर लग रहा था । क्यों कि बहुत सी बातें अभी हाल ही में उसके साथ घटित हो चुकी थी ।उसे तो पक्का विश्वास था कि उस बिल्ली पर चंचला की ही आत्मा थी।पहले जोगिंदर और रमनी अलग अलग रहते थे जोगिंदर वहां शहर में और रमनी यहां गांव में लेकिन अब तो रमनी अपने जोगिंदर की रानी बनकर शहर में जो आज गयी थी । हाय ये! सोतिया डाह मरने के बाद भी चंचला को चैन नहीं था कि उसका सूरज किसी और का हो जाएं
जब कि जोगिंदर जो पिछले जन्म में सूरजसेन था वो इस जन्म में अपना निर्णय चंचला की आत्मा को सुना चुका था लेकिन फिर भी वो उसको छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं थी ।
अगले दिन सुबह सुबह बच्चों को नहला धुला कर तैयार कर दिया था रमनी ने ।पांचवां महीना चल रहा था उसका । गांव में तो दाई से दिखला लेती थी पर अब तो शहर आ गयी थी तो यहां डाक्टर ही थे वैसे भी कल से जब उस बिल्ली ने उस पर हमला किया था और उसका पैर ऊंचनीच हुआ था तब से बाईं ओर हल्का दर्द महसूस कर रही थी तो जोगिंदर ने आज छुट्टी लेना ही मुनासिब समझा। बच्चों का एडमिशन तो कराना ही था बड़े स्कूलों में लगे हाथ रमनी को भी किसी अच्छे डाक्टर को दिखा लाये गा ।आगे जब जचचगी होगी तो आसानी रहेगी।
रमनी और बच्चों को लेकर जोगिंदर पहले डाक्टर के यहां पहुंचा ।जब डाकटरनी ने चेक किया तो सब कुछ नार्मल था ।बस थोड़ी ठेस लगी थी तो रमनी हल्का दर्द महसूस कर रही थी।अब बच्चों का एडमिशन अच्छे स्कूल में कराकर जोगिंदर सपरिवार शहर घुमाने निकल गया अच्छे से होटल में दोपहर का खाना खाया और बच्चे फिर पार्क में घूमने की जिद करने लगे ।शाम को रमनी ने घर के सामान की जो लिस्ट बनायी थी वो लेते हुए सांझ ढले ही घर पहुंचे थे।
सच में रमनी तो निहाल हो उठी थी शहर आकर ।उसे नहीं पता था शहर में इतने सुख है ।बटन दबाते ही पानी आ जाता था । गांव में तो कुओं से पानी ढोना पड़ता था रमनी को बचपन में ।वैसे तो ब्याह के बाद गांव की हवेली में भी जोगिंदर ने काफी सुख सुविधा करवा दी थी लेकिन गांव और शहर में फर्क होता ही है।दूसरा जोगिंदर शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई करता रहा था शहर मे दस पंद्रह दिन में एक दो दिन के लिए ही आता था गांव । लेकिन अब हर दिन पति का साथ रमनी को अंदर तक रोमांचित कर गया था।पर पता नहीं क्यों वो काली बिल्ली रमनी को फूटी आंख नहीं सुहाती थी।उसे वो साक्षात चंचला का रूप लगती थी।
रमनी निहाल हो उठी थी अपने भाग्य को निहार कर । क्या कुछ नहीं दिया था राम ने दो बेटे अब तीसरा होने वाला था , प्यार करने वाला पति,सुख सम्पत्ति सब कुछ तो था रमनी के पास ।
वह अपने भाग्य पर इठलाती हुई सो गयी। तकरीबन आधी सी रात को उसे ऐसे लगा जैसे उसके कमरे में कोई खटरपटर कर रहा है ।उसने उनींदापन में ही जोगिंदर को हिलाकर जगाया
"देखो ना कौन है जो खटरपटर कर रहा है ।"
पर जोगिंदर सारा दिन का थका था सोई उसे नींद ने जोरों से अपने आगोश में ले रखा था।वह रमनी के जगाने पर भी नहीं जगा।
रमनी स्वयं ही उठकर देखने लगी उसे दरवाजे पर एक परछाईं भी दिखाई दी।वह एकदम सहम गई कि ये कौन है पर फिर भी गांव की छोरी का जोश आ गया और वह उठकर उस परछाईं के पीछे पीछे चल दी जो पहले ही बेडरूम से ड्राइंग रूम में आ चुकी थी।
रमनी क्या देखती है वहीं काली बिल्ली सोफे पर बैठी है और वह काली परछाई दौड़ कर उस बिल्ली में समा गयी।तभी वो बिल्ली गुर्राते हुए औरत की आवाज में बोली," तू क्या समझती है तू सारे सुख भोगे गी मेरे पति के साथ और मैं यूंही योनि दर योनि भटकती रहूंगी ।
न..ही मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगी मेरा पति सिर्फ मेरा है मैं अपने सूरज सेन को अपने साथ लेकर ही जाऊंगी।अभी वो तेरे मोहपाश में बंधा है जिस दिन छूट जाएगा वो अपने आप मेरे पास आ जाएगा।"
बिल्ली को यूं औरत की आवाज में बातें करते देखकर रमनी की जोर से चीख निकल गयी।
उसकी चीख सुनकर जोगिंदर हड़बड़ा कर नींद से जागा और चीख की दिशा में भाग लिया जब वह ड्रांइग रुम में पहुंचा तो पाया रमनी नीचे फर्श पर पड़ी है ।उसने दौड़कर उसे उठाया तो पाया वह बेहोश थी ।वह उसे उठाकर बेडरूम में ले आया।पानी के जब छींटे मारें तो रमनी एक बार होश में आती और फिर ये कहकर दोबारा बेहोश हो गयी।
"हाय वो आ गई वह आ गई वह तुम्हें ले जाएगी हाय।
(क्रमशः)