गतांक से आगे:-
रमनी ने हाथ में लगे टांकों को देखा और घबराकर पूछा,"ये क्या हो गया हाथ पर?"
जोगिंदर ने माहौल को सहज करते हुए कहा,"अरे कुछ नहीं रमनी तुम्हें तो पता है आजकल लोग स्कूटर वगैरह कैसे चलाते हैं एक लड़के ने टक्कर मार दी और मैं नीचे गिर गया और थोड़ा हाथ पर चोट आ गई जख्म गहरा था तो टांकें लगवाने पड़े।"
जोगिंदर जानबूझ कर बात छुपा गया।अगर वो ये बात जान जाती कि वह भी चंचला की आत्मा से खौफ खा गया है और उसने ताबीज और रक्षासूत्र अपनी बाज़ू में इंप्लांट करवा लिया है तो ये बात समझते देर नहीं लगाती कि मामला कितना गम्भीर हो गया है।
अब रमनी को भी शहर आये लगभग दो महीने हो गए थे।उसने यह महसूस किया था कि जब से उसने रक्षासूत्र व ताबीज पहना था तब से उस काली बिल्ली का आंतक कुछ कम हो गया था।अब तो वो घर में दिखाई ही नहीं दी थी उसके बाद से ।रमनी को भी लगा कि चंलो अब उससे पिंड छूट गया।
रमनी को आठवां महीना लग गया था ।डाकटरनी ने चेकअप करके बताया था कि बच्चे जुड़वां हैं। रमनी का पेट बहुत बड़ा हो गया था चलना फिरना दुश्वार हो गया था फिर घर का काम कैसे करती । इसलिए जोगिंदर ने उसके लिए सारे काम वाली एक नौकरानी रख दी थी।
कमला नाम था उसका, पास ही झोपड़पट्टी में रहती थी।पति शराबी था इसलिए अपना और बच्चों का पेट पालने के लिए घर घर काम करती थी ।पहले पांच घरों में झाड़ू पोंछा करती थी लेकिन रमनी ने उसे पूरे महीने की तनख्वाह उसकी महीने की कमाई से ज्यादा देकर पूरे दिन के लिए अपने यहां रख लिया था ।अब वो सारा दिन रमनी और बच्चों की सेवा टहल करती थी।
बड़ा अपनापन सा हो गया था उसे रमनी और बच्चों से।
एक दिन ऐसे ही बैठे हुए वो रमनी के सिर में तेल मालिश कर रही थी बात भूत प्रेत की चल निकली।वो अपने गांव का कोई किस्सा सुना रही थी तभी रमनी ने भी चंचला वाला किस्सा उसे बता दिया और ये भी बता दिया कि कैसे वो बिल्ली के रूप में उसे डराती थी।
ये सुनकर कमला मुंह पर हाथ रखकर बोली,"ओह रे! मेम साहब आप तो बहुत बड़ी मुश्किल में फंसे गयी हो।ये भूत प्रेत अगर किसी के पीछे पड़ जाए तो जल्दी से पीछा नहीं छोड़ते। हमारे गांव में भी इसी तरह की घटना हुई थी वो आत्मा उसके पति को अपने साथ ले जाकर ही मानी।"
रमनी का मन पहले से ही अंदर से डरा हुआ था अब ये सुनकर उसका कलेजा ही मुंह को आ गया था ।वह बस यही सोचे जा रही थी कि "क्या प्यार इसे ही कहते है"
प्यार का नाम तो किसी पर कुर्बान हो जाना होता है फिर चंचला मर कर भी पीछे क्यों पड़ी है ।एक बार उसकी आत्मा की मुक्ति करवा दी थी शादी के समय लेकिन ये फिर लौट आई।
वह जोगिंदर के बगैर जी पायेगी।नहीं बिल्कुल भी नहीं बच्चों का क्या होगा। बस वह यही सोच रही थी।
तभी कमला ने उसे चुप देखकर कहा,"क्या हुआ बीवी जी आप चुप क्यों हो गयी?"
रमनी अपने मन का डर छुपाते हुए बोली,"अरे ना रे।ऐसा कुछ नहीं है वैसे भी हमने उस आत्मा से सुरक्षा के लिए रक्षासूत्र वो ताबीज पहना रखा है । हमारे तांत्रिक बाबा सब ठीक कर देंगे।
धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा ।रमनी की जचगी नजदीक आती जा रही थी एक तो जुड़वां बच्चे दूसरा अब तो वो बिल्कुल बैड पर बैठ गयी थी सोई जोगिंदर ने रमनी की मां को यहीं शहर में अपने पास बुला लिया क्यों कि एक मां से ज्यादा एक बेटी की देखभाल कौन कर सकता था।
एक रात रमनी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी। जोगिंदर ने फटाफट गाड़ी निकाली और रमनी को अस्पताल ले गया। अचानक से रमनी की मां को याद आया कि उसने जो जच्चा बच्चे के लिए थैला बना रखा था(मतलब जब बच्चे पैदा होंगे तो उनके लिए कपड़े तौलिया वगैरह का थैला) वो तो घर ही भूल आई हूं ।तभी जोगिंदर ने अस्पताल की सारी कार्यवाही पूरी करके अपनी सास से कहा," मां जी मैं ले आता हूं थैला आप निश्चित रहें।"
यह कहकर दर्द से तड़पती रमनी के सिर पर हाथ फेरकर जोगिंदर घर से थैला लेने चल दिया।
अब उसे क्या पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है ।उसे तो बस फटाफट अपनी रमनी के पास पहुंचना था जो अस्पताल में तड़प रही थी।इसी चक्कर में वै गाड़ी तेज भगाता हुआ अस्पताल की ओर जा रहा था। जल्दबाजी में उसने जैसे ही एक तीखा मोड़ पार किया सामने से आ रहे ट्रक ने उसकी गाड़ी में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयानक थी कि गाड़ी के परचखडे उड़ गये। गाड़ी के भाग दूर दूर जा कर पड़े। चारों तरह कोहराम मच गया।लोग भाग लिए कोई कह रहा था "हाय राम! टक्कर इतनी भयानक थी कि गाड़ी के अंदर बैठा आदमी दस फीट ऊपर उछल कर नीचे गिरा है ।"
जोगिंदर गाड़ी के नीचे दबा पड़ा था ।उसकी आंखें लगभग बंद होने को थी वो बस यही बुदबुदा रहा था कि "मैं बच्चों का मुख….
तभी जोगिंदर ने देखा उसने जिस बाज़ू में रक्षासूत्र इंप्लांट करवाया था वो कट कर दूर जा गिरा था और चंचला बिल्कुल उसके नजदीक बैठी उसके बालों में हाथ फेर रही थी।अब जोगिंदर को समझ आ गया था कि उसका रमनी से बिछड़े का समय हो गया है और उसने एक लम्बी सांस ली और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
धीरे धीरे उसकी आत्मा उसके शरीर से बाहर हो गयी और चंचला की आत्मा उसे लेकर दूर जंगल में कहीं अंधेरे में खो गयी।
इधर रमनी को लेबर पेन जोर से हो रहे थे रमनी बेहोशी की हालत में भी जोगिंदर को ही बुला रही थी तभी उसे ऐसे लगा जैसे जोगिंदर उसके पास खड़ा है और उसके सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेर रहा है और कह रहा है
"सुन मेरी जान , मैं तो जा रहा हूं तुम बच्चों का ख्याल रखना।"
रमनी ने दर्द में ही आंख खोले बिना कहा,"कहां जा रहे हो तुम मुझे छोड़ कर ।देखो….तुम मत जाना वरना मेरा मरा मुंह देखोगे।"
कमला ने उसे झिंझोड़ कर कहा,"मेम साहब किस से बातें कर रही हो?"
(क्रमशः)