इस बार करवा चौथ का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। सुहागन महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रतिवर्ष आता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा को छलनी से देखने की बेहद खास परंपरा है जिसका पालन लंबे समय से किया जा रहा है।
(फोटो सौजन्य से जागरण न्यूज)
सनातन धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। इस बार यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। सुहागन महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रतिवर्ष आता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा को छलनी से देखने की बेहद खास परंपरा है, जिसका पालन लंबे समय से किया जा रहा है।
आखिर क्यों किया जाता है छलनी से पति और चंद्रमा के दर्शन ?
करवा चौथ वाले दिन चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना वर्जित माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि छलनी से अपने पति के मुख को देखने से छलनी में सैकड़ों छेद की तरह पति की सैकड़ों वर्ष की उम्र होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा और पति को छलनी से देखा जाता है।
करवा चौथ कथा
करवा चौथ को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम करेंगे। करवा नाम की एक महिला थी, जो भद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में नहा रहा था, उस दौरान एक मगरमच्छ ने उसके पति को नदी के अंदर खींच लिया। उस भयानक क्षण में, करवा ने अपने पति की सुरक्षा के लिए मृत्यु के देवता यमराज से बहुत प्रार्थना की।
उसकी भक्ति से प्रभावित होकर, यमराज ने उसे एक विशेष आशीर्वाद दिया, जो भी महिला इस दिन उसके नाम पर व्रत रखेगी, उसके पति को लंबी आयु का वरदान मिलेगा।
इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में करवा चौथ के दौरान भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस शुभ दिन पर, भक्त मां पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करते हैं।