ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यन्त भव्य है। यह सफेद साड़ी धारण किए हैं इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की आराधन करने से शक्ति, त्याग, संयम, और वैराग्य में विकास होता है. मां ब्रह्मचारिणा को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी हैं।आज नवरात्र का दूसरा दिन है. ये दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। मां को शक्कर अतिप्रिय है. ऐसे में आज के दिन उन्हें शक्कर का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यन्त भव्य है। यह सफेद साड़ी धारण किए हैं।इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है।मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की आराधन करने से शक्ति, त्याग, संयम, और वैराग्य में विकास होता है। मां ब्रह्मचारिणा को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम से भी जाना जाता है।
हजारों वर्षों तक की थी कठिन तपस्या
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है।मान्यताओं के मुताबिक पूर्व जन्म में मां ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेकर भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक कठिन तपस्या की थी। इसी के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया। जो भी भक्त सच्चे दिल से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का करता है, उसके अंदर जप तप की शक्ति में वृद्धि होती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।आइए जानते हैं नवरात्र के दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद माता रानी को पंचामृत से स्नान कराने के बाद मां दुर्गा के आगे दीया जलाएं। इसके बाद एक हाथ में सफेद फूल लेकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और माता रानी को अर्पित करें। इस के साथ उन्हें अक्षत, कुमकम औ सिंदूर भी चढ़ाएं। मां दुर्गा को सफेद और सुगंधित फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही आप माता रानी को कमल का फूल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद माता रानी को भोग चढ़ाए और सुपारी अर्पित करें।इसके बाद 3 बार अपनी जगह खड़े होकर घूमें और बाद में आरती करें। इसके बाद अनजाने में हुई भूल चूक खी क्षमा मांगे और प्रार्थना करें। इसके बाद सभी में प्रसाद बांटें।