प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश की फाइनेंशियल पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला।मोदी सरकार ने अलग से रेल बजट पेश करने की दशकों पुरानी परंपरा खत्म करके इसे आम बजट के साथ ही कर दिया था।आखिर इसके पीछे की वजह क्या थी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कई बदलाव हुए. सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कई परंपराओं को खत्म किया। जैसे, ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्यपथ’ किया, ‘इंडिया गेट’ पर ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’ की प्रतिमा को लगाना। और फिर रेल बजट का विलय आम बजट में करना।
भारत में 1924 से ही अलग रेलवे बजट पेश करने की परंपरा थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद भी रेलवे बजट को अलग से पेश करने की परंपरा बनी रही, क्योंकि ये भारत सरकार के सबसे बड़े विभागों में से एक है। हालांकि इससे कई समस्याएं थीं, जिसे दूर करने के लिए ही मोदी सरकार ने रेल बजट का विलय आम बजट में कर दिया।
रेल बजट का आम बजट में विलय करने से सरकार को रेलवे सेक्टर में होलिस्टिक अप्रोच के साथ निवेश करने का मौका मिला। इसी की बदौलत रेलवे में इलेक्ट्रिफिकेशन, रेलवे लाइनों का नवीनीकरण और दोहरीकरण, वंदे भारत और तेजस जैसी ट्रेन को शुरू करने में आसानी हुई।