अवतार सिंगह संधू पाश ने अपनी कविता सबसे खतरनाक में फासीवाद का बढ़ना तथा आम जन का उसपे कोई प्रतिक्रिया न करने पर अपने काव्य के माध्यम से लोगों को क्रांति लाने के लिए प्रेरित किया है। हमारे समाज में बहुत
भगत सिंह ने पहली बार पंजाब को जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था जिस दिन फाँसी दी गई उनकी कोठरी में लेनिन की किताब मिली जिसका एक पन्ना मुड़ा हुआ था पंजाब की जवानी को उसके आख
हम झूठ-मूठ का कुछ भी नहीं चाहते जिस तरह हमारे बाजुओं में मछलियाँ हैं, जिस तरह बैलों की पीठ पर उभरे सोटियों के निशान हैं, जिस तरह कर्ज़ के काग़ज़ों में हमारा सहमा और सिकुड़ा भविष्य है हम ज़िन्दग
संविधान यह पुस्तक मर चुकी है इसे मत पढ़ो इसके लफ़्ज़ों में मौत की ठण्डक है और एक-एक पन्ना ज़िन्दगी के अन्तिम पल जैसा भयानक यह पुस्तक जब बनी थी तो मैं एक पशु था सोया हुआ पशु और जब मैं जागा
"द डायमंड हीस्ट: ए मुंबई मिस्ट्री" मुंबई, भारत की हलचल भरी सड़कों पर एक अपराध किया गया था। प्रसिद्ध संग्रहालय से एक बेशकीमती हीरा चोरी हो गया था, और पुलिस चकित थी। हीरा लाखों रुपये का था, और यह संग
टिंग-टोंग... डोरबेल बजी तो कुछ ही देर बाद किरण ने दरवाज़ा खोला। सामने अमन था। किरण- अमन! अच्छा हुआ तू आ गया। मेरी जान छुड़वा इनसे। अमन को देखते ही राहत भरी सांस लेकर बोली किरण तो उसने हैरानी से पूछ
यह कहानी है एक छोटे से परिवार की जो अपने जीवन के फैसले लेने से पहले यह सोचता है की समाज क्या सोचेगा? उन्हें अपनी खुशियों से ज्यादा समाज की विचारधारा का ध्यान रखना ज्यादा जरुरी लगता था | लेकिन जब एक प
एक नौ वर्षीय बालक काशी के मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर बैठा हुआ था | उसकी आँखों से निकले हुए आंसू जो आग की गरमाहट से सूख से गए थे लेकिन उसका हृदय अभी भी विचलित था | घाट पर जल रही अनेकों चिताओं से निकल
यह कहानी है एक ऑटो वाले और एक नवयुवक प्रशांत की जो उस रात अपने घर को जल्दी पहुंचना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था इसीलिए उस दिन उन दोनों का अंतिम सफर था । इस कहानी को उस दिन की सुबह से
आज का यह युवा भारत,लोकतांत्रिक मुख्य आधार।राजनीति और विकास पर,युवा अग्रसर और है तैयार।।आज का यह युवा भारत,शक्ति से यह परिपूर्ण है।देश स्वाधीनता इसकी,योगदान बेहतरी सम्पूर्ण है।।आज का यह युवा भारत,मार्ग
पत्र लेखन का जमाना, बदल गया चलन आज। कल लिखते बातें कितनी, जो बयां नहीं करते उतनी।। दूर होने पर आती याद, पत्र लेखन करते फरियाद। मनमीत की याद में आंसू, निकलते थे दिन रात।। कभी बेटी को शादी बाद, आती थी म
कल्पना की उड़ान भरी, चांद सितारों की दुनिया। चांद की चांदनी रात में, झील सितारों की बगिया।। कल्पना की पराकाष्ठा पर, चांद पर भी घर बसने लगे। ऑक्सीजन की आपूर्ति को, मास्क सभी लोग पहने लगे।। कल्पना की उड
अलौकिक शक्तियों से,जुड़े हुए हम प्रकृति से।अदम्य साहस दिखा हम,शक्ति अर्जित कर प्रभु से।।अलौकिक तेज धरा पर,अवतरित बसंत सा कोमल।सूरज लालिमा छाई छटा,किरणों से प्रकाश निर्मल।।अलौकिक शक्तियों से,लबरेज स्फू
किरदार अपना अपना,जीवन में सभी निभाते हैं।कभी हंसते कभी रोते हैं,कभी सुख दुःख देखते हैं।।किरदार अपना अपना,जीवन मंत्र सार सबका।कभी खुशी कभी रंजोगम,कभी लोक कल्याण सबका।।किरदार अपना अपना,निभाना पड़ता सभी
यह जिंदगी का खेल है,जिंदगी जंग से कम नहीं।इस जंग में कभी हार होती,कभी जीत दर्ज हो जाती।।हार से मिलती है सीख,सबक सिखाने आती है।करो मेहनत सही दिशा में,दिशा निर्देश दिखाती है।।दिशा निर्देश सही प्रशस्त ,म
आज देवउठनी एकादशी है। हर साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय हैं। तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा ज
सपनों को साकार करने में,व्यस्त तुम इतने हो जाओ।समय ही न मिले कभी भी,कुछ और में गुम हो जाओ।।उदासी ना हो जिंदगी की,सपनों को पंख मिल जाए।उदासी के लिए वक़्त नहीं,अरमानों को पंख मिल जाए।।सपनों को जीवन देना
रंग बिरंगी तितली देखो,उड़ती मस्त पवन में।फूल फूल मंडराती देखो,उड़ती तितली मधुवन में।।तितली बैठे जब फूलों पर,रस फूलों का ले लेती है।मकरंद फूलों का ले लेकर,फूल फूल ऐसे मंडराती है।।इतराती इठलाती तितली,फू
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 42-45 वर्ष की रही होंगी वो अपने पति राम अमोल पाठक जी और चार बच्चों बड़ा बेटा चन्दन, बेटी पूर्णिमा,मंझला बे