एक दिन नताशा को घर आया देखकर। अफ़ज़ल रुबीना से कहता है कि किसी दिन शाम को इसे दुकान पर लाओ। इसका एक चीजकेक मुझपर उधार है। तो रुबीना कहती है कि मुझसे क्यों कह रहे है। आप इसे खुद कह दीजिए। आपके सामने ही तो खड़ी है। इस पर अफ़ज़ल कहता हैं कि वो मेरे इशारे नही समझती। मुझे देखते ही दूर भागने लगती है। तो रुबीना कहती है कि इतना डरा कर क्यू रखा है आपने उसे। अफ़ज़ल कहता है मैने कब डराया। मैं तो बस उसे....
और चुप हो जाता है। फिर वहां से चला जाता है।
रुबीना और नताशा कॉलेज में है। रुबीना नताशा से पूछती है कि तुझे मेरे भाई जान कैसे लगते है। तो नताशा कहती है ये सब क्यों पूछ रही है। तुम्हारे भाई ने कुछ कहा क्या। रुबीना कहती है मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी। भाई जान ने कुछ नहीं कहा। भाई जान ने इससे पहले कभी किसी लड़की मे इतनी रुचि नहीं दिखाई। बात करने की कोशिश तक नही की। बस इसीलिए पूछा।
तुम थोड़ा खास हो शायद उनके लिए। इसलिए इतनी रुचि दिखाते है। नताशा हंसती है। कैसी खास। तो रुबीना कहती है कि वो तो वही जानते होंगे। मुझे नहीं बताते। तुम खुद ही उनसे पूछ लो। तो नताशा बेफिक्र सा बनने का नाटक करते हुए कहती है। मुझे नहीं पूछना। तो रुबीना कहती है चलो आज दुकान चलते है। तुम्हारा उधार का चीजकेक खिलाने। नताशा थोड़ा मना करती हैं । तो रुबीना कहती है। भाई जान बैचैन हुए पड़े है। तुम्हारा उधार चुकाने के लिए। तो दोनो हंसने लगती है।
शाम को दोनो दुकान पर होती है। अफ़ज़ल नताशा को देखकर खुश हो जाता है। और नौकर से दो चीजकेक लाने के लिए कहता है। रुबीना कहती है कि एक ही चीजकेक मंगवाओ। वो तो नताशा को पसंद है। मुझे तो कुछ और खाना है। आज इसे खिला दो, बहुत मुश्किल से लाई हूं इसे और अपना उधार चुकाओ। फिर पता नही ये कब आएगी। तो अफ़ज़ल धीरे से नताशा के कान में कहता है कि तुम कभी भी चीजकेक खाने आ सकती हो। वो हमेशा ही मुझपर उधार रहेगा। नताशा अफ़ज़ल की तरफ देखती है और फिर नज़रे झुका लेती है। शर्माती हुई नताशा अफ़ज़ल को बहुत प्यारी लगती है।
आज कॉलेज की छुट्टी थी। रुबीना और नताशा घूमने का मन बनाती है। वो दोनो एक मेला देखने जाना चाहती है। नताशा रुबीना को लेने के लिए उसके घर आती है। वो दोनो नताशा की स्कूटी से जाने वाली थी। रुबीना बाहर ही खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। जब वो दोनो जाने लगती है तो नताशा की स्कूटी स्टार्ट ही नही होती। रुबीना अफ़ज़ल को आवाज लगाती है। भाई जान। भाई जान।
अफ़ज़ल अभी तक नही जानता था कि नताशा आई हुई है। उसे आज देर से ऑफिस जाना था तो वो अब तक घर पर ही था। वो अपने कमरे की बालकनी से झांक कर देखता है। तो नताशा को सामने पाता है। नताशा उसे सर हिला कर नमस्ते कहती है। अफ़ज़ल मुस्कुराता है। रुबीना कहती है। नताशा की स्कूटी स्टार्ट नही हो रही है। हमे मेला देखने जाना है। क्या आप इसे स्टार्ट करने में मदद करेंगे।