shabd-logo

प्रेम में दायरा - भाग 6

8 अगस्त 2024

11 बार देखा गया 11

एक दिन नताशा को घर आया देखकर। अफ़ज़ल रुबीना से कहता है कि किसी दिन शाम को इसे दुकान पर लाओ। इसका एक चीजकेक मुझपर उधार है। तो रुबीना कहती है कि मुझसे क्यों कह रहे है। आप इसे खुद कह दीजिए। आपके सामने ही तो खड़ी है। इस पर अफ़ज़ल कहता हैं कि वो मेरे इशारे नही समझती। मुझे देखते ही दूर भागने लगती है। तो रुबीना कहती है कि इतना डरा कर क्यू रखा है आपने उसे। अफ़ज़ल कहता है मैने कब डराया। मैं तो बस उसे....
और चुप हो जाता है। फिर वहां से चला जाता है।

रुबीना और नताशा कॉलेज में है। रुबीना नताशा से पूछती है कि तुझे मेरे भाई जान कैसे लगते है। तो नताशा कहती है ये सब क्यों पूछ रही है। तुम्हारे भाई ने कुछ कहा क्या। रुबीना कहती है मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी। भाई जान ने कुछ नहीं कहा। भाई जान ने इससे पहले कभी किसी लड़की मे इतनी रुचि नहीं दिखाई। बात करने की कोशिश तक नही की। बस इसीलिए पूछा।

तुम थोड़ा खास हो शायद उनके लिए। इसलिए इतनी रुचि दिखाते है। नताशा हंसती है। कैसी खास। तो रुबीना कहती है कि वो तो वही जानते होंगे। मुझे नहीं बताते। तुम खुद ही उनसे पूछ लो। तो नताशा बेफिक्र सा बनने का नाटक करते हुए कहती है। मुझे नहीं पूछना। तो रुबीना कहती है चलो आज दुकान चलते है। तुम्हारा उधार का चीजकेक खिलाने। नताशा थोड़ा मना करती हैं । तो रुबीना कहती है। भाई जान बैचैन हुए पड़े है। तुम्हारा उधार चुकाने के लिए। तो दोनो हंसने लगती है।

शाम को दोनो दुकान पर होती है। अफ़ज़ल नताशा को देखकर खुश हो जाता है। और नौकर से दो चीजकेक लाने के लिए कहता है। रुबीना कहती है कि एक ही चीजकेक मंगवाओ। वो तो नताशा को पसंद है। मुझे तो कुछ और खाना है। आज इसे खिला दो, बहुत मुश्किल से लाई हूं इसे और अपना उधार चुकाओ। फिर पता नही ये कब आएगी। तो अफ़ज़ल धीरे से नताशा के कान में कहता है कि तुम कभी भी चीजकेक खाने आ सकती हो। वो हमेशा ही मुझपर उधार रहेगा। नताशा अफ़ज़ल की तरफ देखती है और फिर नज़रे झुका लेती है। शर्माती हुई नताशा अफ़ज़ल को बहुत प्यारी लगती है।

आज कॉलेज की छुट्टी थी। रुबीना और नताशा घूमने का मन बनाती है। वो दोनो एक मेला देखने जाना चाहती है। नताशा रुबीना को लेने के लिए उसके घर आती है। वो दोनो नताशा की स्कूटी से जाने वाली थी। रुबीना बाहर ही खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। जब वो दोनो जाने लगती है तो नताशा की स्कूटी स्टार्ट ही नही होती। रुबीना अफ़ज़ल को आवाज लगाती है। भाई जान। भाई जान।

अफ़ज़ल अभी तक नही जानता था कि नताशा आई हुई है। उसे आज देर से ऑफिस जाना था तो वो अब तक घर पर ही था। वो अपने कमरे की बालकनी से झांक कर देखता है। तो नताशा को सामने पाता है। नताशा उसे सर हिला कर नमस्ते कहती है। अफ़ज़ल मुस्कुराता है। रुबीना कहती है। नताशा की स्कूटी स्टार्ट नही हो रही है। हमे मेला देखने जाना है। क्या आप इसे स्टार्ट करने में मदद करेंगे।

22
रचनाएँ
प्रेम में दायरा
4.3
मेरी ये किताब दो प्रेमियों की कहानी है। जो अलग अलग धर्मों से है। उनके प्यार के रास्ते में ये धर्म बेड़ियां बनकर खड़ा है। क्या वो इस धर्म की बेड़ियों को तोड़ पाएंगे। और उनका मिलाप होगा। ये जानने के लिए अपको मेरी किताब पड़नी होगी। अच्छी लगे तो मेरा प्रोत्साहन जरूर बढ़ाएगा।
1

प्रेम में दायरा - भाग 1

8 अगस्त 2024
7
5
0

बात 2004 की है। अफ़ज़ल की नज़र खिड़की से बाहर जाती है। एक स्कूटी से सफेद सूट पहने एक लड़की उतरती है। उसके मूंह पर दुप्पटा लिपटा है। अफ़ज़ल का दिल जोर से धड़कने लगता है। उसका चेहरा देखना चाहता है। पर व

2

प्रेम में दायरा - भाग 2

8 अगस्त 2024
5
5
0

फिर एक केक का ऑर्डर करके दोनों चली गई। अफ़ज़ल उससे बात कर ही नहीं पाया। पर आज वो खुश था। उसे देखकर उसका दिन बन गया था। अगले दिन वो अब्बू के बुलाए बिना ही सज धज कर दुकान में पहुंच गया। आज वो केक लेने आ

3

प्रेम में दायरा - भाग 3

8 अगस्त 2024
5
5
0

ऐसे ही साल भर कब बीता। इम्तिहान का समय हो आया। पहले नताशा के और फिर अफ़ज़ल के। अफ़ज़ल इन दिनों नताशा को देख नही पाया। उसे लगा स्कूल की छुट्टियां चल रही है तब तक वो भी अपने इम्तिहान दे देगा। पर ऐसे ही

4

प्रेम में दायरा - भाग 4

8 अगस्त 2024
5
6
1

अफ़ज़ल एक बड़ियां सा केक उसे बताता है। नताशा धीमे से कहती है। ये कितने का है। अफ़ज़ल मुस्कुरा कर कहता है। कोई बात नहीं तुम्हारे लिए ये फ्री है। वो चौंक कर कहती है, जी। अफ़ज़ल उससे पूछता है। क्या तुम ह

5

प्रेम में दायरा - भाग 5

8 अगस्त 2024
5
5
1

आज अफ़ज़ल ऑफिस से जल्दी घर आ गया था। उसे पता चला था कि आज नताशा घर आने वाली है। नताशा पहले ही घर आ चुकी थी। वो दोनो घर पर अकेली थी। अफ़ज़ल को जल्दी घर आया देख रुबीना पूछती है। क्या बात है भाई जान आप ज

6

प्रेम में दायरा - भाग 6

8 अगस्त 2024
4
5
0

एक दिन नताशा को घर आया देखकर। अफ़ज़ल रुबीना से कहता है कि किसी दिन शाम को इसे दुकान पर लाओ। इसका एक चीजकेक मुझपर उधार है। तो रुबीना कहती है कि मुझसे क्यों कह रहे है। आप इसे खुद कह दीजिए। आपके सामने ही

7

प्रेम में दायरा - भाग 7

8 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल झट से नीचे आ जाता है। स्कूटी स्टार्ट करने की सब कोशिश करता है। पर वो स्टार्ट नहीं होती। तो अफ़ज़ल कहता है कि मैकेनिक को दिखाना पड़ेगा। तो रुबीना नताशा को इशारों में पूछते हुए अफ़ज़ल से कहती है

8

प्रेम में दायरा - भाग 8

8 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल नताशा से कुछ पूछने लगता है। तभी रुबीना आ जाती है। सब आइस क्रीम खाते है। और फिर घर जाने लगते है। नताशा रुबीना से कहती है की आज बहुत लेट हो गया। उसे अभी स्कूटी ठीक करवाने भी जाना पड़ेगा। अफ़ज़ल क

9

प्रेम में दायरा - भाग 9

9 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल आज ऑफिस से जल्दी घर आ गया था। क्योंकि उसके बचपन का दोस्त आदिल उससे मिलने आने वाला था। आदिल कुछ साल पहले कनाडा चला गया था। आज बहुत समय के बाद अफ़ज़ल से मिलने आया था। दोनो दोस्त खूब जोश से एक दूस

10

प्रेम में दायरा - भाग 10

9 अगस्त 2024
4
5
0

फिर रुबीना जाने की इजाज़त मांगती है। तो आदिल कहता है कि हमे चाय नहीं पिलाओगी। तो रुबीना कहती है कि अरे मैं तो भूल ही गई। अभी बनाकर लाती हूं। तो आदिल कहता है तुम्हारे नहीं, तुम्हारी सहेली के हाथ की चाय

11

प्रेम में दायरा - भाग 11

9 अगस्त 2024
4
5
0

तभी नताशा रुबीना को कोहनी मारकर चलने का इशारा करती है। रुबीना आदिल से कहती है क्या वो लोग अब जा सकते है या नताशा से रात का खाना भी बनवाना है। तो आदिल हंस कर कहता है क्यों नहीं खाने का इम्तिहान भी आज ह

12

प्रेम में दायरा - भाग 12

9 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल कैमरा से सारी फोटोज को निकलवा लाता है। और अपने किए नताशा की अलग सी फोटो निकलवाता है। जिन्हे छिपा कर अपनी अलमारी में रखता है। एक फोटो वो अपने पर्स में रखता है। जिससे वो जब चाहे उसे देख सके। क

13

प्रेम में दायरा - भाग 13

9 अगस्त 2024
4
5
0

समय बीत रहा है। रुबीना के किसी रिश्तेदार की शादी है। वो नताशा से साथ चलने के लिए कहती है। नताशा की मम्मी से भी इजाज़त मिल जाती है। नताशा नीले रंग का लहंगा पहन कर आई है। बहुत सुंदर लग रही है। वो ल

14

प्रेम में दायरा - भाग 14

9 अगस्त 2024
4
5
0

नताशा - एक साल बहुत लंबा अंतराल नहीं है। कुछ समय जब आप मुझसे नहीं मिलेंगे तो आप मुझे भूल जाएंगे। अफ़ज़ल - ये इस एक साल की बात नहीं हैं। जब तुम बारहवीं में थी और मेरी दुकान में पहली बार ब्रेड लेने

15

प्रेम में दायरा - भाग 15

9 अगस्त 2024
4
5
0

रुबीना की और भी सहेलियां संगीत में आती है। खूब मौज मस्ती और हंसी ठिठोला हो रहा है। नाच गाना शुरू होता है। रुबीना अफ़ज़ल को भी नताशा के पास खींच कर ले आती है। दोनो साथ में नाच रहे है। रिश्तेदारों से भर

16

प्रेम में दायरा - भाग 16

9 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल कहता है कि अभी तो वो अकेला आया है। यदि आप लोगो की इजाज़त होगी तो वो कल अपने अम्मी अब्बू को साथ ले आएगा। और बताता है कि वो चार साल से नताशा को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है। वो नताशा क

17

प्रेम में दायरा - भाग 17

9 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल अभी भी कभी कभी नताशा को देखने उसके कॉलेज के बाहर आता था। जैसे ही वो गेट से बाहर निकलती थी उसे देखकर वापिस मुड़ जाता था। हमेशा की तरह हेलमेट पहन कर ताकि नताशा को उसके आने का पता न चल पाए। पर वो

18

प्रेम में दायरा - भाग 18

9 अगस्त 2024
4
5
0

नताशा का एम. कॉम का प्रथम वर्ष पूरा हो जाता है। कुछ समय बाद नताशा के लिए एक रिश्ता आता है। नताशा कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही होती है। तभी उसकी मम्मी आकर कहती है कि आज वो कॉलेज की छुट्टी कर ले। उसे

19

प्रेम में दायरा - भाग 19

9 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल दुकान से घर पहुंचता है। वो बहुत उदास है। अम्मी उसके पास आती है और कहती है क्या वो उसे कुछ बताना चाहता है। कहने से गम हल्का हो जाता है। अफ़ज़ल अम्मी की गोद में सर रख लेता है। अम्मी धीरे धीरे उसक

20

प्रेम में दायरा - भाग 20

9 अगस्त 2024
4
5
0

उधर दो महीने से नताशा की तबियत बहुत खराब है। पहले बुखार से सिलसिला शुरू हुआ। फिर धीरे धीरे बढ़ता ही गया। अब तो नताशा को बिस्तर से दो कदम चलना भी मुश्किल होने लगा था। वो ठीक से खाती पीती भी नहीं थी। नत

21

प्रेम में दायरा - भाग 21

10 अगस्त 2024
4
5
0

अफ़ज़ल नताशा के घर आता है। वो उसके कमरे में जाता है। नताशा सो रही है। वो बहुत ही कमज़ोर और बीमार हो गई थी। अफ़ज़ल उसके बिस्तर के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ जाता है। नताशा का हाथ थाम लेता है। और उसे निहारन

22

प्रेम में दायरा - भाग 22

10 अगस्त 2024
4
5
1

नताशा के इम्तिहान भी आ गए। ऐसा लग रहा था। नताशा से ज्यादा अफ़ज़ल का इम्तिहान है। दोनो अब कम मिल पाते थे। इम्तिहान के बाद दोनो के परिवार साथ बैठे थे। वो ये नहीं समझ पा रहे थे कि शादी हिंदू रीति रिवाज

---

किताब पढ़िए