अफ़ज़ल दुकान से घर पहुंचता है। वो बहुत उदास है। अम्मी उसके पास आती है और कहती है क्या वो उसे कुछ बताना चाहता है। कहने से गम हल्का हो जाता है। अफ़ज़ल अम्मी की गोद में सर रख लेता है। अम्मी धीरे धीरे उसके बालों में हाथ फेरने लगती है। अफ़ज़ल कहता हैं, क्या अम्मी धर्म और जाति इतनी बड़ी चीज़ है कि उसके आगे इंसान की कोई कीमत नहीं। अम्मी कहती है कि हम सब धर्म और समाज से बंधे हुए है। अगर तुम चाहो तो मैं एक बार नताशा के घरवालों से बात करती हूं।
अफ़ज़ल कहता है कि उसका अब कोई फायदा नहीं है। नताशा का निकाह पक्का हो गया है। अम्मी दुआ करती है कि अल्लाह तुम्हे सब्र दे। और इस मुश्किल घड़ी से लड़ने की ताकत। तुम कहो तो तुम्हारे लिए भी कोई अच्छी लड़की देखूं। अफ़ज़ल कहता हैं नताशा से आगे मैं कुछ सोच नहीं पाता। अम्मी कहती है चलो तुम थोड़ा वक्त ले लो। खुदा ने चाहा तो सब अच्छा ही होगा।
कुछ दिन बाद रुबीना नताशा से मिलने आती है। वो शादी के बाद पहली बार नताशा से मिली थी। नताशा उसे देख कर बहुत खुश होती है। और कहती है। कहां गायब हो गई थी शादी करके। एक बार मेरी याद भी नहीं आई। तो रुबीना कहती है मुझे माफ कर देना। याद तो बहुत आई पर संयुक्त परिवार में रहते हुए बस फुरसत ही नही मिल पाती थी। बहुत मुश्किल से समय निकाला है।
नताशा कहती है कोई बात नही। आज तो आ गई। दोनों बहुत खुश है एक दूसरे से मिलकर। अपनी पुरानी यादों को ताज़ा करती है। रुबीना नताशा के दिल का हाल जानना चाहती है। पर नताशा कहती है। सब नियति है। तुम्हे क्या तुम्हारे भाई ने भेजा है। रुबीना कहती है, नही। मैं खुद तुमसे मिलने आई हूं। भाई जान ने तो बस ये भेजा है। और एक चीजकेक निकाल के नताशा को देती है।
नताशा चीजकेक खा के एक टुकड़ा रुबीना को देकर कहती हैं कि इसे अपने भाई को देना। रुबीना कहती है क्या तुम्हे भाई जान से कुछ कहना है। नताशा कहती है, नहीं। जो कहना था में खुद ही कह आई हूं। फिर रुबीना अलविदा लेकर चली जाती है। अफ़ज़ल नताशा का हाल जानना चाहता था। रुबीना कहती है कि नताशा ने कुछ कहा नहीं। पर वो मुझे खुश नज़र नहीं आई। और चीजकेक का टुकड़ा निकाल कर अफ़ज़ल के आगे रख देती है। अफ़ज़ल उसे खा लेता है।
अफ़ज़ल पहले की तरह नताशा के कॉलेज उसे देखने जाता है। आज नताशा दिखाई नही देती है। अफ़ज़ल सोचता है शायद आज कॉलेज नही आई होगी और निराश होकर चला जाता है। ऐसे ही एक महीना, फिर दो महीने बीत जाते है। नताशा अफ़ज़ल को कॉलेज में नज़र नहीं आती। अफ़ज़ल सोचता है शायद नताशा ने यही रास्ता चुना हो मुझसे दूर जाने का। और अफ़ज़ल की निराशा और बड़ जाती हैं।