उधर दो महीने से नताशा की तबियत बहुत खराब है। पहले बुखार से सिलसिला शुरू हुआ। फिर धीरे धीरे बढ़ता ही गया। अब तो नताशा को बिस्तर से दो कदम चलना भी मुश्किल होने लगा था। वो ठीक से खाती पीती भी नहीं थी। नताशा के घरवालों ने उसका बहुत इलाज़ करवाया। पर कोई फायदा नहीं हुआ। डॉक्टर ने कहा कि इसे कोई गम अंदर से खाए जा रहा है। इसने जीने की चाह छोड़ दी है। ऐसे में हम कुछ नहीं कर सकते। अब सब भगवान भरोसे है।
नताशा के मम्मी पापा बहुत परेशान है। कुछ समझ नही आता है। अपनी बेटी को ऐसे मरते हुए नहीं देख सकते। ऐसे में उन्हें अफ़ज़ल की याद आती है। उससे बात करने की सोचते है। नताशा के मम्मी पापा अफ़ज़ल के घर जाते है। अफ़ज़ल की अम्मी दरवाज़ा खोलती है। नताशा के पापा कहते है कि वो अफ़ज़ल से मिलना चाहते है। अफ़ज़ल की अम्मी पूछती है, सब खैरीयत तो है। क्या मेरे बच्चे से कोई गुनाह हुआ है। नताशा के पापा कहते है कि नहीं ऐसी कोई बात नही है। हम बस अफ़ज़ल से कुछ बात करना चाहते है।
अफ़ज़ल की अम्मी उन्हें अंदर बिठाती है। फिर अफ़ज़ल को बुलाने ऊपर उसके कमरे में जाती है। जब वो उसको बताती है कि नताशा के मम्मी पापा आए है। तो वो जल्दी से नीचे आता है और उनके पैर छूता है। फिर पूछता है क्या हुआ सब ठीक तो है।
नताशा की मम्मी रोने लगती है। अफ़ज़ल उसका कारण पूछता है। और कहता है क्या नताशा ठीक है। तो नताशा के पापा कहते हैं कि दो महीने से नताशा की तबियत बहुत खराब है। हमने बहुत इलाज करवाया। पर डॉक्टर कहते है कि नताशा ने जीने की चाह छोड़ दी है। ऐसे में कोई दवाई उस पर काम नहीं करेगी। हमे समझ नही आ रहा हम क्या करे। इसलिए तुम्हारे पास आए है।
हमे लगता है हमने नताशा के साथ बहुत गलत किया। हमने समाज की परवाह की और अपनी बेटी को खो दिया। हम उसे अपने सामने ऐसे मरते हुए नहीं देख सकते। अगर वो तुम्हारे साथ रहकर खुश है तो हमे भी इसी बात में खुशी है। क्या तुम अभी भी नताशा को अपनाने को तैयार हो। अफ़ज़ल कहता है ये आप कैसी बातें पूछ रहे है। मैं तो हमेशा से ही नताशा से प्यार करता था और उसका इंतजार किया।
मैं तो बस उसकी खुशी में खुश था। नहीं जानता था वो ऐसा रास्ता अपनाएगी। अफ़ज़ल को अब समझ आया था। नताशा की उस बात का मतलब कि उसने अपना रास्ता चुन लिया है। जिसपर उसे अकेले ही चलना है। अफ़ज़ल नताशा से मिलने को बैचैन था। और उसके मम्मी पापा से नताशा से मिलने की इज़ज़ाज़त मांगता है।
उसके मम्मी पापा इजाजत दे देते है। और बताते है कि नताशा अभी तक नहीं जानती की हम तुमसे मिलने आए है। अफ़ज़ल की अम्मी कहती है कि वो भी साथ में चलेगी। पर अफ़ज़ल कहता है कि अभी वो अकेला ही जाता है। और कल आप भी मिल लीजिएगा।