अफ़ज़ल नताशा से कुछ पूछने लगता है। तभी रुबीना आ जाती है। सब आइस क्रीम खाते है। और फिर घर जाने लगते है। नताशा रुबीना से कहती है की आज बहुत लेट हो गया। उसे अभी स्कूटी ठीक करवाने भी जाना पड़ेगा। अफ़ज़ल कहता है कि वो उसे अभी घर छोड़ देता है। स्कूटी की चिंता न करे। वो खुद स्कूटी ठीक करवा के शाम तक घर छोड़ जाएगा।
नताशा मान जाती है। अफ़ज़ल उसे घर छोड़ देता है। फिर रुबीना को घर छोड़ स्कूटी ठीक करवाने चला जाता है।
शाम को अफ़ज़ल स्कूटी ले कर नताशा के घर पहुंचता है। नताशा दरवाज़ा खोलती है। नताशा के पापा अफ़ज़ल से मिलने के लिए बाहर आते है। उससे स्कूटी ठीक करवाने के पैसे पूछते है। अफ़ज़ल कहता है कि बस एक छोटा सा तार हिल गया था। जिसकी वजह से स्कूटी स्टार्ट नही हो रही थी। दुकानदार उसकी जानपहचान का था तो उसने पैसे नही लिए। नताशा के पापा अफ़ज़ल का धन्यवाद करते है और नताशा से कहते है कि अफ़ज़ल को अंदर बुलाकर चाय पिलाए। अफ़ज़ल कहता है कि उसे किसी काम से जाना है और अलविदा लेकर चला जाता हैं।
आज रविवार का दिन था। अफ़ज़ल के ऑफिस की छुट्टी थी। और आज उसका दुकान जाने का भी मन नहीं था। वो चुप चाप अपने बिस्तर पर लेटा नताशा के बारे में सोच रहा था। तभी हॉल से किसी के हंसने की आवाज़ आती है। अफ़ज़ल का दिल जोर से धड़कता है। वो अपने कमरे से निकलकर देखता है। तो नताशा और रुबीना ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी। अफ़ज़ल खुश हो जाता है। फिर अपने कमरे में जाकर अलमारी से एक डिब्बी निकालता है और उसे अपनी पैंट की जेब में रख लेता है।
अपने कमरे से नीचे हॉल में आता है। रुबीना से कुछ खाने के लिए मांगता है। रुबीना रसोई में जाती है। तभी अफ़ज़ल वो डिब्बी अपनी पैंट की जेब से निकालकर नताशा के आगे रख देता है। नताशा लेने से मना करती है। तो गुस्से में कहता है। चुप चाप रख लो। नताशा रख लेती हैं। तभी रुबीना आ जाती है। अफ़ज़ल अपने कमरे में चला जाता है। नताशा डिब्बी अपने दुपट्टे में छुपा लेती है।
रुबीना नताशा से पूछती हैं। भाई जान तुमसे क्या कह रहे थे। नताशा कहती हैं। कुछ नहीं, बस हाल चाल पूछ रहे थे। और डिब्बी को जोर से अपने दुपट्टे में दबा लेती है। रुबीना छेड़ते हुए कहती है कि आजकल भाई जान तुम्हारा कुछ ज्यादा ही ध्यान रख रहे है। नताशा उसे डांटते हुए कहती है कि तुझे तो बस यही सब सूझता है।
नताशा घर चली जाती है। अपने कमरे में जाकर डिब्बी खोलकर देखती है। उसमे वही झुमके थे जो उसने मेले में पसंद किए थे और खरीदें नहीं थे। नताशा झुमको को पहनकर शीशे में देखती है। सच में वो बहुत सुंदर थे। अब तक नताशा ये तो समझ गई थी कि अफ़ज़ल के दिल में उसके लिए कुछ भावनाएं है। पर वो कहां तक जाएंगी वो ये नहीं समझ पाई थी।