फिर एक केक का ऑर्डर करके दोनों चली गई। अफ़ज़ल उससे बात कर ही नहीं पाया। पर आज वो खुश था। उसे देखकर उसका दिन बन गया था। अगले दिन वो अब्बू के बुलाए बिना ही सज धज कर दुकान में पहुंच गया। आज वो केक लेने आने वाली थी। शाम तक इंतजार किया। पर ये क्या उसकी सहेली तो किसी और के साथ आई थी। केक लेकर चली गई। अफ़ज़ल का मूंह उतर गया। उसका इंतजार जो बेकार हो गया था। अफ़ज़ल को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। सिर्फ उसको देखने के लिए आज वो क्रिकेट खेलने भी नही गया था।
एक दिन अफ़ज़ल की बाइक खराब हो गई। उसे बस से कॉलेज जाना पड़ा। वापसी में वो जिस बस से आ रहा था। उसमे एक स्कूल की लड़की चढ़ी। बस में बहुत भीड़ होंने की वजह से कुछ लड़के बार बार उसके पास होने की कोशिश कर रहे थे। जिससे उसे परेशानी हो रही थी। अफ़ज़ल ने पीछे मुड़कर देखा तो वो नताशा थी। अफ़ज़ल भीड़ को चीरता हुआ उसके सामने जाकर खड़ा हो गया। और उन लड़कों को घूरने लगा। जिससे वो लड़के पीछे हट गए। नताशा को अब अच्छा लग रहा था। कोई उसे परेशान नहीं कर रहा था। वो बीच बीच में नज़रे चुराकर अफ़ज़ल को भी देख लेती थी।
कुछ देर बाद नताशा अपने घर के पास वाले स्टॉप पर उतर गई। अफ़ज़ल ने सोचा वो भी उसके पीछे जाकर उससे कुछ बात कर ले। और उसके घर का भी पता ले आए। पर फिर उसने सोचा कही नताशा गलत न समझ ले और बात बनने से पहले ही बिगड़ जाए। उसके स्कूल की यूनिफॉर्म से वो ये तो समझ गया था की वो किस स्कूल में पढ़ती है। अभी उसके लिए इतना ही जानना बहुत था।
अफ़ज़ल कभी कभी नताशा के स्कूल के चक्कर काटने चला जाता था। अफ़ज़ल हेलमेट पहन के रखता था ताकि कही नताशा उसे पहचान ना ले। अब नताशा रिक्शा से घर जाती थी। शायद उस दिन बस वाले हादसे की वजह से। अफ़ज़ल को नताशा के मोहल्ले का तो पता चल गया था। वो मॉडल टाउन में रहती थी। पर वो कभी उसकी गली में नहीं गया था। उसका घर नहीं जान पाया। नताशा बहुत शरीफ लड़की थी, डरता था कहीं उसे ऐसा ना लगे कि अफ़ज़ल उसका पीछा करता है।
एक दिन अफ़ज़ल के कॉलेज की छुट्टी थी। तो सभी दोस्तो ने क्रिकेट खेलने की सोची। अफ़ज़ल ने नताशा के स्कूल के पास वाले मैदान में चलने को कहा। ताकि छुट्टी के समय वो नताशा को भी देख ले। जब अफ़ज़ल की बल्लेबाजी चल रही थी तो उसने इतनी जोर से गेंद मारी की वो किसी कक्षा में जा गिरी। सब दोस्तो ने अफ़ज़ल को ही गेंद लाने को भेजा। उसका तो दिन बन गया। ये नताशा की ही कक्षा थी। उसकी अध्यापिका अफ़ज़ल को डांट रही थी पर उसे तो जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था। बस वो नताशा को ही देखता रहा और गेंद लेकर वापिस चला आया।