नताशा के इम्तिहान भी आ गए। ऐसा लग रहा था। नताशा से ज्यादा अफ़ज़ल का इम्तिहान है। दोनो अब कम मिल पाते थे।
इम्तिहान के बाद दोनो के परिवार साथ बैठे थे। वो ये नहीं समझ पा रहे थे कि शादी हिंदू रीति रिवाज से हो या मुस्लिम। तो अफ़ज़ल ने कहा कि मैने और नताशा ने फैसला किया है कि हम कोर्ट मैरिज करेंगे और उसके बाद सब रिश्तेदारों के लिए एक रिसेप्शन।
सभी को ये सुझाव बहुत अच्छा लगता है। शादी की तारीख तय हो जाती है। दोनो परिवार जोर शोर से तैयारी में लग जाते है। अफ़ज़ल और नताशा भी अपने शादी के जोड़े बनवा लेते है। इसी बीच खबर आती है कि रुबीना ने एक बेटे को जन्म दिया है। सबकी खुशी दोगुनी हो जाती है।
आज वो दिन भी आ जाता है। जब नताशा और अफ़ज़ल एक होने वाले होते है। दोनो अपने परिवार के साथ कोर्ट पहुंच जाते हैं और कागज़ पर हस्ताक्षर करके एक दूसरे को अपना बना लेते है।
अब रिसेप्शन की तैयारी चल रही है। नताशा ने सुनहरे रंग का लहंगा पहना है। जिसपर उसने भारी गहने मांग टिक्का, नथ सभी पहने है। जो उसके चेहरे पर चार चांद लगा रहे है। सच में नताशा आज बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। रुबीना उसे छेड़ती है। तुम इतनी खूबसूरत हो या ये मेरे भाई जान के प्यार का असर है। आदिल भी आकर कहता है। ये तो हमारे भाई का ही असर है। और दोनो हंसने लगते है।
तभी अफ़ज़ल भी सुनहरी शेरवानी पहने सामने आ जाता है। आदिल कहता है माशाअल्लाह तुम भी भाभी को पूरी टक्कर दे रहे हो। तभी अम्मी आकर कहती है। नज़र ना लगाओ मेरे बच्चों को और आकर दोनों की बलाएं लेती है।
सब जगह खुशी का माहौल है। सब रिश्तेदार बहुत खुश हैं और दोनो को खूब दुआएं दे रहे है।
तभी अफ़ज़ल कहता है। मैने कहा था ना।
" प्रेम में दायरा नहीं होता "
दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है।
अब उन दोनो के जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। जिसके लिए वो बस सबका प्यार चाहते है।
" समाप्त "