अफ़ज़ल कहता है कि अभी तो वो अकेला आया है। यदि आप लोगो की इजाज़त होगी तो वो कल अपने अम्मी अब्बू को साथ ले आएगा। और बताता है कि वो चार साल से नताशा को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है। वो नताशा का खूब ध्यान रखेगा और उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने देगा। वो नताशा की इजाज़त से ही यहां आया है।
नताशा के पापा कहते है कि इसमें कोई शक नहीं है कि तुम नताशा का ख्याल नही रखोगे। हम मानते है कि तुम बहुत अच्छे लड़के हो। एक अच्छे खानदान से हो और तुम्हारे यहाँ नताशा को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी। परन्तु हमारा धर्म अलग है। हम हिंदू है और तुम मुस्लमान। नताशा अलग तरह के तौर तरीके से पली बड़ी है। तुम्हारे यहां निभा कैसे करेगी।
तो अफ़ज़ल कहता है कि पुराने समय में बहुत से मुस्लिम राजाओं की हिंदू रानियां हुई है। और उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा। नताशा भी मेरे यहां अपने हिसाब से रह सकती है। उसे अपना धर्म बदलने के लिए कभी मजबूर नही किया जाएगा। वो जैसे चाहे पूजा पाठ कर सकती है। घर पर अपना एक मंदिर बना सकती है। हम दोनों धर्मों के त्योहार मिलजुल कर मनाएंगे।
नताशा के पापा कहते है कि तुम्हारा कहना ठीक है पर समाज भी कोई चीज होती है। वो हमे इस बात की इजाज़त नहीं देगा। हमे तो इसी समाज में जीना मरना है। हमे माफ़ कर देना हम इस शादी की इजाज़त नहीं दे पाएंगे।
अफ़ज़ल उठकर जाने लगता है। नताशा की तरफ देखता है। नताशा की आंख में आंसू है जो उसके देखते ही छलक जाते है। अफ़ज़ल कुछ कहता नही पर जैसे निराशा भरी नजरो से उससे माफी मांग रहा हो कि वो असफल हो गया। फिर उसके पापा की तरफ मुड़कर कहता है कि नताशा आगे पढ़ना चाहती है। प्लीज मेरी वजह से उसकी पढ़ाई मत रोकिएगा। मैं वादा करता हूं कि मेरी वजह से उसे कोई परेशानी नहीं होगी। मैं कभी उसके रास्ते में नहीं आऊंगा। ऐसा कहकर वहा से चला जाता है।
नताशा अपने कमरे में चली जाती है और रोने लगती है। उसका छोटा भाई जो उससे बहुत प्यार करता था। उसे समझाने लगता है। कि वो उसकी हालत को अच्छी तरह समझ सकता है। यदि अफ़ज़ल किसी और धर्म का नही होता तो वो मम्मी पापा को मनाने में उसकी पूरी मदद करता। पर ऐसे में मम्मी पापा उसकी बिल्कुल नही सुनेगे।
इस बात के बारे में नताशा के मम्मी पापा उससे कोई बात नही करते है। वो पहले की तरह उसके साथ नोर्मल व्यवहार करते है। नताशा भी चुप रहती है पर अंदर से बहुत दुखी थी। वो घर पर ज्यादा बात नहीं करती थी। बस घर से कॉलेज और अपनी पढ़ाई में ही लगी रहती थी।