समय बीत रहा है। रुबीना के किसी रिश्तेदार की शादी है। वो नताशा से साथ चलने के लिए कहती है। नताशा की मम्मी से भी इजाज़त मिल जाती है।
नताशा नीले रंग का लहंगा पहन कर आई है। बहुत सुंदर लग रही है। वो लोग शादी में बहुत मजा करते है। नताशा और रुबीना नाच रही है। अफ़ज़ल भी कोशिश करता है उसके साथ नाचने की। उसे बहुत अच्छा लग रहा है। अफ़ज़ल सोचता है आज मौका देख कर नताशा से प्यार का इज़हार कर ही दूंगा। वो बस उसके अकेला होने की राह देखता है।
निकाह में रुबीना का एक रिश्तेदार ईमरान रुबीना को पसंद करने लगता है। रुबीना को बार बार छेड़ रहा है। रुबीना को भी वो अच्छा लगने लगता है। वो भी उससे बात करना चाहती है।
नताशा बाथरूम जाना चाहती है। रुबीना से कहती है तो रुबीना उसे कहती है कि अकेले ही चली जाओ। सामने ही है। मुझे ईमरान से बात करनी है। फिर ऐसा मौका नहीं मिलेगा।
नताशा बाथरूम की तरफ जा रही है। अफ़ज़ल उसे अकेला जाते देख कर उसके पीछे हो लेता है। अफ़ज़ल उसे आवाज़ लगाता है नताशा रुको। नताशा और तेज़ी से चलने लगती है। अफ़ज़ल जल्दी से आकर उसका हाथ पकड़ लेता है और एक कोने में ले जाता है। नताशा डर जाती है और कहती है क्या कर रहे है। पीछे हटिए जाने दीजिए मुझे। अफ़ज़ल उसका हाथ पकड़े रखता है। और कहता है बात करनी है तुमसे।
नताशा दीवार का सहारा लिए खड़ी है। अफ़ज़ल ने उसका हाथ पकड़ा हुआ है। नताशा डरते हुए कहती है। जाने दीजिए मुझे कोई देख लेगा तो मेरी बदनामी हो जाएगी। अफ़ज़ल अपना सर उसके सर के साथ टिक्का के कहता है। प्यार करता हू तुमसे। बहुत प्यार। निकाह करना चाहता हूं। तुम्हे बदनाम नहीं होने दूंगा। तभी किसी के आने की आहट होती है। नताशा हाथ छुड़ा कर भाग जाती है। वो रुबीना से भी कुछ नहीं कहती।
घर जाने का समय हो जाता है। रुबीना अफ़ज़ल से कहती है कि वो नताशा और उसे घर छोड़ दे। जैसे ही रुबीना कार में बैठने लगती है। तो रुबीना की मौसेरी बहन कहती है कि वो बहुत दिनो बाद रुबीना से मिली है तो उसे कुछ देर और रुकने के लिए कहती है। नताशा कहती है कि कोई बात नही तुम यहां रुक जाओ। मैं रिक्शा से चली जाऊंगी। रुबीना कहती है कि इतना तैयार हो कर रिक्शा से जाना ठीक नहीं। और अफ़ज़ल से कहती है कि वो नताशा को छोड़ दे।
अफ़ज़ल नताशा को छोड़ने घर जा रहा है। नताशा कार की आगे वाली सीट पर उसके साथ बैठी है। दोनो चुप है। अफ़ज़ल नताशा से पूछता है कि तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। तो नताशा कहती हैं कि इस रिश्ते का कोई वजूद नहीं है। हमारे रिश्ते को कोई नहीं अपनाएगा। ना हमारे घरवाले ना समाज। तो अफ़ज़ल कहता है कि मैं सबकी नहीं पूछ रहा। तुम क्या चाहती हो। तो नताशा कहती है कि मेरे चाहने से कुछ नहीं होता।
नताशा की इस बात से अफ़ज़ल ये तो समझ गया था कि नताशा के दिल में भी उसके लिए कुछ भावनाएं है।