अफ़ज़ल आज ऑफिस से जल्दी घर आ गया था। क्योंकि उसके बचपन का दोस्त आदिल उससे मिलने आने वाला था। आदिल कुछ साल पहले कनाडा चला गया था। आज बहुत समय के बाद अफ़ज़ल से मिलने आया था। दोनो दोस्त खूब जोश से एक दूसरे से मिलते है। आदिल उसके और उसके परिवार के लिए काफी सारे तोहफे लाया था। रुबीना तोहफे देखकर बहुत खुश हो जाती है। अम्मी भी आदिल को बहुत प्यार करती है और बहुत सारी दुआएं देती है फिर आराम करने अपने कमरे में चली जाती है। रुबीना भी तोहफे रखने अपने कमरे में चली जाती है।
तभी नताशा आ जाती है। अफ़ज़ल को तो जैसे आज दोगुना बोनस मिल गया। अफ़ज़ल का चेहरा चमक जाता है। नताशा अफ़ज़ल को देखकर नमस्ते कहती है। अफ़ज़ल भी हाथ उठा कर उसे आदाब कहता है। और फिर वो ऊपर रुबीना के कमरे में चली जाती है। आदिल शरारत भरी मुस्कान से अफ़ज़ल की और देखता है और कहता है कि हमें नहीं मिलवाया भाभी जान से। अफ़ज़ल हंसते हुए कहता है क्या कह रहे हो रुबीना की सहेली है।
तो आदिल कहता है कि हम तुम्हारे बचपन के दोस्त है। तुम्हारी रग रग से वाकिफ है। तुम्हारे चेहरे और आंखों की चमक ही बता रही है कि मामला तो कुछ और ही है। तो अफज़ल हंसते हुए टालने की कोशिश करता है। पर आदिल तो पीछे ही पड़ जाता है। फिर अफ़ज़ल उसे अपने दिल का सारा हाल बता देता है। और ये भी कहता है कि उसका नाम नताशा है और वो हिंदू है। अभी तक उसने नताशा से अपने दिल की बात नही कही है।
आदिल जोश से कहता है कोई बात नहीं धर्म अलग होने से क्या होता है। आदमी सांस तो एक ही हवा से लेता है। अब तो दुल्हनिया ले ही जाएंगे। और चलो अभी उसे तुम्हारे दिल की बात बताते है। अफ़ज़ल उसे ये कहकर रोक लेता है कि सही समय आने पर वो खुद ही बता देगा। तो आदिल कहता है कि भाई हमे निकाह में बुलाना मत भूलना। तो अफ़ज़ल कहता है तुम्हे बुलाना कैसे भूल सकता हूं। तुम्हे ही तो मेरे निकाह में नाचना है। फिर दोनों हंसने लगते है।
रूबीना और नताशा जाने लगती है तभी आदिल कहता है कि हमे नही मिलवाओगी अपनी सहेली से। तो रुबीना दोनो को मिलवाते हुए कहती है कि ये मेरी कॉलेज की सहेली नताशा है। और ये अफ़ज़ल भाई जान के बचपन के दोस्त आदिल भाई जान है। तो नताशा सर हिला कर नमस्ते कहती है। और आदिल भी जवाब में सलाम करता है।