अफ़ज़ल कैमरा से सारी फोटोज को निकलवा लाता है। और अपने किए नताशा की अलग सी फोटो निकलवाता है। जिन्हे छिपा कर अपनी अलमारी में रखता है। एक फोटो वो अपने पर्स में रखता है। जिससे वो जब चाहे उसे देख सके।
कॉलेज के इम्तिहान शुरू होने वाले है। नताशा रुबीना के घर पढ़ने आई है। शाम को वापिस जाते हुए जल्दी में सीढ़ी से उतरते हुए उसका पैर मुड़ जाता है। जिससे उसे मोच आ जाती है। वो हिल भी नहीं पाती है। रुबीना बहुत कोशिश करती है। पर उसे उठा नही पाती।
तभी अफ़ज़ल ऑफिस से आ जाता है। वो नताशा का हाथ पकड़ कर उसे सामने पड़ी कुर्सी पर बैठाता है। उसका हाथ पकड़ते ही नताशा के बदन में सिरहन सी दौड़ जाती है। वो न चाहते हुए भी अफ़ज़ल को मना नहीं कर पाती।
अफ़ज़ल डॉक्टर को बुलाता है। डॉक्टर कहता है कि पैर की नसे खींच गई है। जिसकी वजह से दर्द और सूजन है। वो दवाई देता है और इंजेक्शन लगा देता है। बताता है कि इंजेक्शन की वजह से कुछ घंटे नींद आ जाएगी। जिससे कुछ घंटों में थोड़ा चलने लायक आराम हो जाएगा।
नताशा कहती है अब वो घर कैसे जाएगी। मम्मी परेशान हो रही होगी। रुबीना की अम्मी कहती है कि वो तुम्हारी मम्मी को फोन करके बता देंगी कि पैर में मोच की वजह से तुम्हे आने में कुछ देर हो जाएगी। रुबीना की अम्मी फोन करने चली जाती है।
अफ़ज़ल कहता है कि तुम्हे ऊपर चलकर कमरे में कुछ देर सो जाना चाहिए। नताशा कहती है कि वो एक कदम भी नही चल सकती। तभी अफ़ज़ल नताशा को गोद में उठा लेता है। नताशा एकदम सहम जाती है। कहती है क्या कर रहे है। अफ़ज़ल कहता है। चुप रहो कुछ नही कर रहा हूं। बस तुम्हे आराम की जरूरत है। फिर सीडियां चढ़ने लगता है।
नताशा अफ़ज़ल के इतना पास शरमाई हुई। ठीक से अफ़ज़ल को पकड़ भी नही पा रही थी। तो अफ़ज़ल कहता है कि ठीक से पकड़ो वरना गिर जाओगी। अफ़ज़ल नताशा को रुबीना के कमरे में लिटा देता है। रुबीना से कहता है कि इसका ध्यान रखना। कुछ देर बाद नताशा को नींद आ जाती है।
नताशा की जब नींद खुलती है तो वो देखती है कि अफ़ज़ल उसके पैर की बर्फ से सिकाई कर रहा है। अब उसे काफी आराम है। अफ़ज़ल उसका हाल पूछता है। नताशा कहती है, अब वो ठीक है और घर जाना चाहती है। अफ़ज़ल और रुबीना नताशा को घर छोड़ देते है। नताशा और अफ़ज़ल दोनो को एक दूसरे का इतना पास होना जब याद आता है तो दोनो को वो यादें बहुत गुदगुदाती है।