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समाज

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यह कथा तब की है जब बाली को ब्रह्मा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ था कि जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा। उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर में चली जाएगी और इससे बाली हर युद्ध में विजयी रहेगा।   सुग्रीव और

भगवान राम जब वनवास में थे तब उनकी मुलाकात शबरी से हुई। शबरी का असली नाम श्रमणा था...जो एक भील समुदाय से थी। शबरी का विवाह एक भील कुमार से हुआ था। शबरी के पिता भील जाति के मुखिया थे। शबरी का हृदय बहुत

राम-रावण युद्ध चल रहा था...तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है...मरे हुए को मारने से क्या फायदा ? रावण बोला–मैं तो जीवित हूँ...मैं मरा हुआ कैसे ? अंगद बोला - सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं

अगर भूख बाजारों में बिकती,तो रोटियां केवल अमीरों के घर सिकती।अगर प्यास भी बिकती बंद बोतलों में,तो यह भी होता अमीरों के एक चोंचलों में।अगर नींदो का भी होता व्यापार,तो बिस्तर नही बिछते गरीबों के द्वार।अ

अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर ।"नमाज का वक्त हो चला था चारों तरफ से अजान की आवाज आ रही थी।रहमत मियां अपने घर की ओर बढ़े जा रहे थे। प्यास के मारे गला सूखा जा रहा था आज उनका बीसवां रोजा था।पर अपने धर्म

लोग मुझसे जल्दी  खफा हो जाते हैं  क्योंकि मुझे बहाने बनाने नहीं आते हैं  घुमा फिरा कर कहने की आदत नहीं सत्य कहने सुनने से सब घबराते हैं  दर्द के सागर में उन्हें भी डूबे हुए देखा&nb

"मोहे" सुन्दर रूप है इतना , प्यारा लागे मोहे कमाल है कलेवर इसका, मन को मेरे मोहे

"आम" आम है सचमुच कितना खास फिर क्यों कहते आम उसको जो न हो खास

शब्द.इन की पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी- मार्च २०२२) विजेता बनने पर कई परिचित मुझसे एक ही सवाल पूछते हैं कि पुरस्कार में कितनी राशि मिली है। उनके लिए प्रतियोगिता का मतलब पुरस्कार में अच्छी-खासी

द्रोण के पास किसी भी प्रकार की कमी नहीं ।घर भरा-भरा लेकिन तन्हाई थी।सुनैना तो  शासन पाकर खुश थी।विख्यात के हाथ खुल चुके थें।भय निकल चुका था।जुर्म करने में सकुचाता नहीं था।निर्भीक होकर ,मित्र मण्ड़

द्रोण का मन उदास था। कृपा की समझ में नहीं आ रहा था कि कहाँ जाऊँ क्या करूँ?गाँव की सीमा पार कर पाई थी कि सामने से नील कार लेकर आ गया। नील:-मित्र मुझे पता था कि तुम आज ही गाँव छोड़ देगें।क्या इस मित्र को

सामने अम्मा को देखकर कलेजा जलता था।छोटी बहू छोटी बहू कहकर चिड़ाती थी।किसन को सारे दिन गोदी में बिठ़ाये रहती,पीछे-पीछे फिरती रहती थी।मेरे विख्यात पर कभी लाड़-प्यार से बात तक नहीं की खिलाना तो दूर की बात

विख्यात ने समझ लिया कि अब पोल-पट्टी खुल जायेगी।विख्यात की दृष्टि जम़ीन पर पड़ी ईट पर पड़ी।विख्यात ने ईट उठ़ाई और अम्मा के सिर पर मार दिया।ईट के प्रहार से अम्मा जम़ीन पर धरासाई होकर गिर पड़ी। लड़के ने कहा,

अम्मा:-तू उसके पास जायेगा।वो एकबार भी तेरे पास नहीं आया।द्रोण के रगों में में मेरा ही खून है फिर कैसे खून पानी हो गया।ऐसी औलाद पर लालत हैं।मेरी कोख ही उज़ड जाती। :-अम्मा यह सब तकद़ीर का खेल हैं।इस मनहू

माल बनाम पन्सारी ( अंतिम क़िश्त) अचानक ही एक घटना से अनिल को खयाल आया कि हो न हो माल वाले ऐसा ही कुछ तौल में कोई खेल खेल रहे हों । अनिल को ग्राहक कि इस मानसिकता का भी आभास था कि अगर ग्राहक को कोई

राम जी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो कुछ दिन पश्चात राम जी ने विभीषण, जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि को अयोध्या से विदा कर दिया।   तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में विदा करेंगे.. लेकिन राम जी न

सबसे पहले हमारे हनुमान जी महाराज ने रामायण लिखी थी। पत्थरों की सलाह पर... राम कथा का लेखन किया था। अपने नाखून से बाल्मीकि को दिखाया...देखो महाराज मैंने भी राम कथा लिखी है। बाल्मीकि जी ने जब हनुमान जी

सप्तऋषि या सप्तर्षि का अर्थ है सात ऋषि। ये सातों ऋषि प्राचीन भारत के ऋषि हैं। जिनका जिक्र वेदों और अन्य हिंदू ग्रंथों में मिलता है। वैदिक संहिता में इन ऋषियों की संख्या के बारे में कोई विवरण नहीं है ल

मनुष्य का जीवन क्रम भी एक यज्ञ के समान है...और यह यज्ञ सत्य और समर्पण के बिना अधूरा होता है। रामजी सत्य हैं और लक्ष्मणजी हैं समर्पण। जब तक राम रूपी सत्य और लक्ष्मण रूपी समर्पण हमारे जीवन में नहीं आयेग

भगवान राम कौन थे ? भगवान राम राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे। त्रेता युग में आये थे। उन्हें उनके गुरु श्री वशिष्ठ जी ने शिक्षा दी थी। राजा जनक की पुत्री जानकी जी से उनका विवाह हुआ। वे पिता और माता की आज

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